महाराष्ट्र सरकार के स्वामित्व वाली पॉवर जेनरेटर और ट्रांसमिशन ईकाइयां महाजेनको और महाट्रांसको में से प्रत्येक 1,000 करोड़ से 1,500 करोड़ के लगभग के आईपीओ लाने की संभावनाएं तलाश रही है ताकि 2009-10 तक 47,000 करोड़ की अपनी पूंजीगत खर्चे की योजना को पूरी कर सके।
अगर ये कंपनियां आईपीओ लाने की अपनी योजना में सफल हो जाती हैं तो राज्य सरकार के स्वामित्व वाली पहली पॉवर यूटीलिटीज होंगी जो आईपीओ लेकर आई हों। महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिकसिटी बोर्ड को वित्तीय वर्ष 2005-06 में अलग-अलग महाजेनको, महाट्रांसको और महावितरण में बांट देने के बाद ये दोनों कंपनियां लाभ कमा रही हैं।
महाजेनको को वित्त्तीय वर्ष 2007-08 के अंत में 645.56 करोड़ का शुध्द लाभ हुआ वहीं महाट्रांसको को 779 करोड़ का शुध्द लाभ हुआ। महाजेनको की योजना 30,000 करोड़ के पूंजीगत खर्चे की है जिसके तहत कंपनी 2011-12 तक 6,800 मेगावॉट की अतिरिक्त क्षमता की स्थापना भी करेगी। इसके लिए कंपनी 80 फीसदी हिस्सा डेट के जरिए जुटाएगी जबकि 20 फीसदी हिस्सा इक्विटी के जरिए जुटाएगी।
डेट के लिए महाजेनको ने पॉवर फाइनेंस कारपोरेशन और रुरल इलेक्ट्रीफिकेशन कारपोरेशन के साथ गठजोड़ किया है। जबकि इक्विटी का हिस्सा राज्य सरकार की मद्द और आईपीओ के जरिए आएगा। महाजेनको के प्रबंध निदेशक अजॉय मेहता ने कहा कि आईपीओ लाने के अंतिम निर्णय के पहले हम राज्य सरकार की अनुमति लेंगे।
ट्रांसमिशन यूटीलिटी भी 2011-12 की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार कर रही है। क्योंकि महाजेनको तब तक 12,500 मेगावॉट का अधिक उत्पादन कर रहे होंगे और इसके लिए और ट्रांसमिशन सुविधाओं की आवश्यकता होगी। महाट्रांसको भी अपने प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग के लिए 80 फीसदी पूंजी डेट से और 20 फीसदी पूंजी इक्विटी से जुटाएगी।
डेट के लिए कंपनी ने पीएफसी, आरईसी और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जैसे जापान बैंक ऑफ इंटरनेशनल कारपोरेशन और विश्व बैंक के साथ समझौता किया है। कंपनी के प्रबंध निदेशक सुब्रत राथो ने कहा कि बाकी का हिस्सा राज्य सरकार की मद्द और 1,000 करोड़ से 1,500 करोड़ के आईपीओ के जरिए जुटाए जाएंगे।
मेहता ने कहा कि विघटन के बाद कंपनियों के प्रबंध निदेशक अपनी कंपनी के कोर बिजनेस की तरफ फोकस कर सके हैं जिससे इन ईकाइयों का प्रदर्शन सुधरा है। उन्होनें कहा कि पहले बोर्ड का चेयरमैन वितरण पर ज्यादा गौर करना पड़ता था जिससे जेनरेशन और ट्रांशमिशन कारोबार उपेक्षित रह जाता था।
विघटन के बाद महाजेनको लगभग सभी क्षेत्रों में अपना प्रदर्शन सुधारने में कामयाब हुई है जैसे प्लांट लोड फैक्टर और फोर्स्ड आउटेज। अलग बोर्ड बना देने के बाद वितरण कंपनी महावितरण को वित्त्तीय वर्ष 207-08 में पहली बार 80 करोड़ का लाभ हुआ। कंपनी का खतरे से बाहर निकलने की मुख्य वजह डिस्ट्रीब्यूशन लॉस का कम होना रहा।