महिंद्रा एंड महिंद्रा का यानचेंग के साथ संयुक्त उपक्रम से तेजी से बढ़ते चीन के बाजार में कंपनी की पहुंच बननी चाहिए।
इसके अलावा इससे कंपनी को वैश्विक डीलर नेटवर्क को भी मजबूत करने में मदद मिलेगी जिससे कंपनी भारत से ट्रैक्टरों का निर्यात कर सकेगी। 11,503 करोड़ की महिंद्रा एंड महिंद्रा ने खुद लो कॉस्ट मैन्यूफैक्चरिंग बेस बनाया है।
कंपनी को यानचेंग के साथ संयुक्त उपक्रम में 51 फीसदी की हिस्सेदारी के लिए 112 करोड़ रुपयों का भुगतान करना पड़ा है जबकि यानचेंग नई कंपनी को 50 मिलियन डॉलर की कीमत को ट्रैक्टर केपाट्र्स ट्रांसफर करेगी। चीन की तीसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर कंपनी यानचेंग ने वित्तीय वर्ष 2007 में बिक्री के जरिए 12 करोड़ डॉलर का राजस्व अर्जित किया।
इसके अलावा कंपनी ने अच्छा ऑपरेटिंग प्रॉफिट स्तर भी बरकरार रखा। इस प्रकार यह सौदा कुछ महंगा है क्योंकि महिंद्रा को टेक्नोलॉजी और लोगों में निवेश करना पड़ेगा। इस सौदे के लिए पूंजी जुटाने के लिए कंपनी ने कंपनी की 3.6 फीसदी हिस्सेदारी गोल्डमैन सैश को बेची है। इससे कंपनी को 700 करोड़ रुपए मिले।
चीन के बाजार में कंपनी ने पहली बार प्रवेश नहीं किया है क्योंकि उसका जियांगलिंग मोटर्स के साथ पहले से ही संयुक्त उपक्रम है जिसने वित्त्तीय वर्ष 2008 के दौरान करीब 4,459 ट्रैक्टरों की बिक्री की और कंपनी ने 55 करोड़ का राजस्व अर्जित किया। यानचेंग के साथ हुए सौदे से कंपनी को चीन के बाजार में खुद के कारोबार का प्रसार करने में मद्द मिलेगी।
अभी कंपनी 4,500 ट्रैक्टर सालाना बेच रही है और इस सौदे के बाद कंपनी 30,000 ट्रैक्टर अतिरिक्त बेच लेगी। यानचेंग के पास 25 राज्यों में मजबूत डीलर नेटवर्क है और उसका प्रोडक्ट पोर्टफोलियो भी बहुत अच्छा है, इससे कंपनी को अपनी मौजूदा क्षमता को बढ़ाने में खासी मदद मिलेगी।
साल 2003 से 2007 के दौरान चीन के ट्रैक्टर बाजार में 40 फीसदी की सालाना ग्रोथ हुई है क्योंकि इधर चीन की सरकार ने ट्रैक्टर की खरीदारी के लिए सब्सिडी दी है। इसने अतिरिक्त यानचेंग ने अमेरिका, अफ्रीका , दक्षिणी अमेरिका, रूस में फैले अपने कारोबार के जरिए 8,000 ट्रैक्टरों का निर्यात भी किया।
महिंद्रा एंड महिंद्रा भी इस नेटवर्क का फायदा उठाना चाहेगी। पिछले साल महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 10,000 ट्रैक्टरों का निर्यात किया था। निर्यातित वॉल्यूम की संख्या में जुलाई के महीनें में 65 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई जबकि जून के महीनें में इसमें सिर्फ 2.5 फीसदी की ग्रोथ हुई थी।
चीन में अपनी उपस्थिति बढ़ाकर महिंद्रा एंड महिंद्रा जॉन डियर को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा ट्रैक्टरों का निर्माण करने वाली कंपनी बन सकती है। अभी कंपनी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा ट्रैक्टर निर्माण करने वाली कंपनी है।
इस समय कंपनी विश्व के तीसरी सबसे ज्यादा निर्माण करने वाली कंपनी है। मौजूदा बाजार मूल्य 516 रुपएपर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय ससात गुना के स्तर पर हो रहा है।
यूनिटेक-जमीनी हकीकत
मार्च 2008 की अपनी बैलेंस सीट में यूनिटेक प्रबंधन ने साफ कहा कि यह बिल्कुल साफ है कि लंबे समय तक बाजार के ऊंचाईयों को छूने के बाद रियलटी बाजार में मंदी दिखाई देनी शुरु हो गई है और अब कीमतें अपने वास्तविक स्तर के ज्यादा करीब जा रही हैं और ऐसा बाजार में करेक्सन के चलते हुआ है।
जून 2008 की तिमाही में इस रियल एस्टेट कंपनी का राजस्व महज 19 फीसदी ज्यादा रहकर 1,000 करोड़ रुपए रहा। रेजीडेंशियल सेगमेंट की तरफ से बढ़ी हिस्सेदारी की वजह से कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 1.14 फीसदी सुधरकर 59 फीसदी के स्तर पर रहा।
कंपनी का करों की देनदारी के बाद अर्जित लाभ भी बड़ा। कंपनी मुंबई के स्थानीय डेवलपर्स के साथ मिलकर शिवालिक प्रोजक्ट को लाभ में पहुचाने में कामयाब रही। लीमैन ब्रदर्स मुंबई में दस लाख वर्ग फुट के प्रोजेक्ट का विकास करने के लिए कंपनी में 740 करोड़ रुपए लगाएगा और इसमें लेहमैन बद्रर्स की हिस्सेदारी 50 फीसदी होगी। इस निवेश से यूनीटेक का कैस फ्लो मजबूत होगा।
कंपनी के ऊपर इससमय 8,600 करोड़ का कर्जा है और विश्लेषकों का अनुमान है कि उसके कर्ज की औसत लागत 12 फीसदी है। कंपनी का इंट्रेस्ट पर आउटफ्लो वित्त्तीय वर्ष 2008 में पिछले साल के 120 करोड़ की तुलना में 280 करोड़ रुपए बढ़ा।
कंपनी को आशा है अनुमति मिलने के चलते रूके कंपनी के हैदराबाद और चेन्नई में रुके कुछ प्रोजेक्ट शुरु हो जाएंगे। कंपनी की भारत के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में मजबूत उपस्थिति है और इसकी कंपनी के कुल लैंडबैंक में हिस्सेदारी 75 फीसदी है। कंपनी 550 लाख वर्ग फुट भूमि का इससमय विकास कर रही है जिसमें 30 फीसदी रेजीडेंशियल सेगमेंट है। कंपनी का मौजूदा बाजार मूल्य 165 रुपए है।