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बाजार एकीकरण से कंपनियों का मुनाफा बढ़ा, मूल्य निर्धारण में मिली मजबूती

कई बड़ी कंपनियों ने विलय एवं अ​धिग्रहण के जरिये बाजार का बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया जिससे बाजार में एकीकरण हुआ और कॉरपोरेट मार्जिन बढ़ा है।

Last Updated- July 16, 2025 | 11:05 PM IST
Corporate earning

हाल के वर्षों में कंपनी जगत ने मूल्य निर्धारण में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है जिसके परिणामस्वरूप कच्चे माल और ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव और आय वृद्धि में मंदी के बावजूद कई क्षेत्रों में मुनाफा मार्जिन में वृद्धि हुई है। महामारी के बाद की अवधि में मार्जिन विस्तार सबसे अधिक स्पष्ट रहा है। कई बड़ी कंपनियों ने विलय एवं अ​धिग्रहण के जरिये बाजार का बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया जिससे बाजार में एकीकरण हुआ और कॉरपोरेट मार्जिन बढ़ा है।

हरफिंडल-हर्शमैन इंडेक्स (एचएचआई) द्वारा मापा गया बाजार एकीकरण वित्त वर्ष 2025 में वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2020 की तुलना में प्रमुख आठ में से छह क्षेत्रों में अधिक था। पिछले दशक में पेंट और दोपहिया वाहन क्षेत्र में कम एकीकरण दिखा। अन्य सभी क्षेत्रों विमानन, सीमेंट, यात्री वाहन, इस्पात, दूरसंचार और टायर कारोबार में एचएचआई सर्वकालिक उच्च स्तर के करीब है।

इन क्षेत्रों के लिए औसत एचएचआई स्कोर वित्त वर्ष 2015 में 1,980 और वित्त वर्ष 2020 में 2,167 था जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 2,532 हो गया। यह अमेरिकी न्याय विभाग के एचएचआई पैमाने के अनुसार प्रमुख क्षेत्रों में बाजार एकीकरण के अत्य​धिक उच्च स्तर को इंगित करता है।

ऐतिहासिक आंकड़ा एचएचआई स्कोर और कॉरपोरेट मार्जिन के बीच सकारात्मक संबंध दिखाता है। उदाहरण के लिए सूचीबद्ध कंपनियों का औसत कर पूर्व मुनाफा मार्जिन (बैंक, वित्त एवं बीमा, तेल एवं गैस और आईटी को छोड़कर) पिछले 10 वर्षों में लगभग 300 आधार अंक बढ़ा है। इन कंपनियों का कर पूर्व मुनाफा मार्जिन वित्त वर्ष 2015 में 7.8 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 12 फीसदी हो गया है। इसी अवधि में शुद्ध मुनाफा या कर बाद मुनाफा मार्जिन वित्त वर्ष 2015 में 5 फीसदी था जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 8.8 फीसदी हो गया है।

कंपनियों का मुनाफा, आय या शुद्ध बिक्री में वृद्धि से ज्यादा तेजी से बढ़ा है। आय और राजस्व वृद्धि के बीच अंतर महामारी के बाद की अवधि में विशेष रूप से ज्यादा रहा है। पिछले दस वर्षों में कंपनियों की शुद्ध बिक्री सालाना 9.7 फीसदी चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है। इसी अवधि में इन कंपनियों का कुल कर पूर्व लाभ 14.6 फीसदी सीएजीआर से बढ़ा जबकि कर बाद लाभ में 16 फीसदी सीजीएआर की वृद्धि देखी गई।

राजस्व और आय वृद्धि के बीच अंतर वित्त वर्ष 2020 से और भी ज्यादा बढ़ गया। पिछले पांच वर्षों में कंपनियों की शुद्ध बिक्री 12.7 फीसदी सीएजीआर से बढ़ी है जबकि कर पूर्व मुनाफा 25 फीसदी और कर बाद मुनाफा 25.7 फीसदी सीएजीआर से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में शुद्ध बिक्री की वृद्धि औसतन घटकर7.6 फीसदी रह गई मगर इस अवधि में शुद्ध लाभ औसतन 19 फीसदी बढ़ा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में उच्च एकीकरण और अ​धिक कॉरपोरेट मार्जिन के बीच सीधा संबंध है।

सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में शोध एवं इक्विटी स्ट्रैटजी के सह-प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश उद्योगों में लाभ मार्जिन पिछले 25 वर्षों में सर्वा​​धिक स्तर पर है। यह सीधे तौर पर कंपनी की मूल्य निर्धारण शक्ति और बाजार में प्रभुत्व की वजह से है।’

सिन्हा के अनुसार अधिकांश नियामक परिवर्तन और वृहद आर्थिक झटके जैसे कि नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) और कोविड-19 लॉकडाउन बड़ी कंपनियों के लिए फायदेमंद रहे हैं और उन्हें अपना बाजार प्रभुत्व बढ़ाने में मदद मिली।

अमेरिकी न्याय विभाग के एचएचआई पैमाने के अनुसार हमारे अध्ययन के आठ में से पांच क्षेत्र – विमानन, दूरसंचार, पेंट, इस्पात और दोपहिया वाहन 1,800 और उससे अधिक के एचएचआई स्कोर के साथ अत्यधिक केंद्रित हैं। तीन अन्य क्षेत्र- सीमेंट, टायर और यात्री वाहन मध्यम रूप से केंद्रित हैं, जिनका एचएचआई स्कोर 1,000 से अ​धिक मगर 1800 से कम है।

एचएचआई पैमाना 0 (जब उद्योग में किसी भी कंपनी की बाजार हिस्सेदारी नगण्य होती है) से लेकर अधिकतम 10,000 (जब एक कंपनी के पास पूरा बाजार होता है) तक होता है। एचएचआई तब बढ़ता है जब बाजार में कंपनियों की संख्या घटती है और उन कंपनियों के आकार में असमानता बढ़ती है। 2023 के लिए अमेरिकी न्याय विभाग और संघीय व्यापार आयोग के विलय दिशानिर्देशों के अनुसार कोई भी लेनदेन जो अत्यधिक केंद्रित बाजारों में एचएचआई को 100 पॉइंट से अधिक बढ़ाता है, उसे बाजार में वर्चस्व बढ़ाने की भावना वाला माना जाता है। एचएचआई एक क्षेत्र में काम करने वाली सभी कंपनियों के राजस्व हिस्सेदारी पर आधारित है।

First Published - July 16, 2025 | 10:51 PM IST

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