Stock Market Closing Bell, 14 July: वैश्विक बाजारों से मिलेजुले रुख के बीच भारतीय शेयर बाजार हफ्ते के पहले दिन यानी सोमवार (14 जुलाई) को गिरावट में बंद हुए। आईटी स्टॉक्स में गिरावट और यूएस-इंडिया में ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितताओं के चलते निफ्टी-50 और सेंसेक्स लगातार चौथे ट्रेडिंग सेशन में गिर गए।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज 150 से ज्यादा अंक गिरकर 82,537.87 पर ओपन हुआ। कारोबार के दौरान यह 82,010 अंक तक फिसल गया था। अंत में यह 247.01 अंक या 0.30 फीसदी की गिरावट लेकर 82,253.46 पर बंद हुआ।
इसी तरह, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी गिरावट के साथ 25,149 पर ओपन हुआ। हैवीवेट स्टॉक्स में बिकवाली से इंडेक्स में गिरावट और ज्यादा बढ़ गई। अंत में यह 67.55 अंक या 0.27 फीसदी गिरकर 25,082.30 पर क्लोज हुआ।
सेक्टोरल मोर्चे पर निफ्टी आईटी सबसे ज़्यादा 1.1 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। टेक महिंद्रा, विप्रो, इंफोसिस, एचसीएल टेक, टीसीएस और एलटीआईमाइंडट्री गिरावट वाले शेयरों में शामिल रहे। अन्य शेयरों में निफ्टी प्राइवेट बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज और तेल एवं गैस भी लाल निशान में बंद हुए।
दूसरी तरफ, निफ्टी रियल्टी में लगभग 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अलावा निफ्टी हेल्थकेयर, मीडिया, फार्मा, कंज्यूमर ड्यूरेबल, पीएसयू बैंक, ऑटो, एफएमसीजी, मेटल और एनर्जी भी हरे निशान में रहे।
सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से 20 शेयर लाल निशान में बंद हुए। टेक महिंद्रा, इंफोसिस, एशियन पेंट्स, बजाज फाइनेंस, एचसीएल टेक और एलएंडटी सबसे ज़्यादा 1.8 प्रतिशत तक की गिरावट के साथ बंद हुए। जबकि इटरनल (जोमैटो), टाइटन, एमएंडएम, सन फार्मा और आईटीसी सबसे ज़्यादा लाभ में रहे।
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर एक और दौर की बातचीत शुरू होने वाली है। इसके लिए भारतीय वाणिज्य मंत्रालय की एक टीम वाशिंगटन DC पहुंच चुकी है। यह चार दिवसीय बातचीत आज यानी सोमवार से शुरू होगी और गुरुवार तक चलेगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच कृषि और ऑटोमोबाइल जैसे बड़े व्यापारिक मुद्दों में आ रहे मतभेदों को सुलझाने की कोशिश होगी।
ओला इलेक्ट्रिक ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) के नतीजे जारी किए, जिसमें कंपनी को ₹420 करोड़ का घाटा हुआ। ये घाटा पिछली तिमाही यानी Q4 FY25 में हुए ₹870 करोड़ के घाटे से जरूर कम है, लेकिन साल दर साल तुलना करें तो पिछली साल इसी तिमाही में कंपनी को ₹347 करोड़ का घाटा हुआ था, यानी लॉस बढ़ा है। इसके बावजूद ओला इलेक्ट्रिक के शेयर आज बीएसई पर 18% से ज्यादा चढ़कर 47.13 रुपये पर बंद हुए।
खाने-पीने की चीजों और फ्यूल की कीमतों की नरमी से जून 2025 में थोक महंगाई दर 20 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत की थोक महंगाई दर सालाना आधार पर जून में घटकर -0.13 फीसदी रह गई। यह अक्टूबर 2023 के बाद सबसे कम है। मई में यह 14 महीने के निचले स्तर 0.39 फीसदी पर थी। जून के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़े (CPI) आज बाद में जारी होने की उम्मीद है।
एशियाई बाजारों का रुख मिला-जुला रहा। जापान के Nikkei और Topix में हल्की गिरावट देखने को मिली। जबकि कोरिया का Kospi हरे निशान में रहा। ऑस्ट्रेलिया के ASX 200 में भी थोड़ी कमजोरी रही। उधर अमेरिकी फ्यूचर्स इंडेक्स (Dow Jones, Nasdaq, S&P 500) एशियाई ट्रेडिंग घंटों के दौरान कमजोरी के साथ कारोबार करते दिखे। इससे संकेत मिलता है कि वैश्विक निवेशकों में फिलहाल सतर्कता का माहौल है।
अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर सिंगापुर की GDP ने बेहतर प्रदर्शन किया है। साल 2025 की दूसरी तिमाही में सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में 4.3% की ग्रोथ दर्ज की गई, जो पिछले क्वार्टर की 3.9% ग्रोथ से ज्यादा है और बाज़ार की 3.5% की उम्मीद से भी बेहतर है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि कुछ एशियाई अर्थव्यवस्थाएं ट्रेड टेंशन के बीच भी मजबूती दिखा रही हैं।
11 जुलाई को विदेशी निवेशकों (FIIs) ने ₹5,155.68 करोड़ की बड़ी बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹3,482.95 करोड़ की खरीदारी की। इससे यह साफ़ है कि विदेशी निवेशक फिलहाल सतर्क रवैया अपना रहे हैं, जबकि घरेलू निवेशकों का भरोसा बना हुआ है।
Also Read: इन तीन तगड़े स्टॉक्स को ₹315, ₹340 और ₹847 पर खरीदने की सलाह, Angel One ने बताए TGT, SL
कमोडिटी मार्केट की बात करें तो ट्रंप के टैरिफ ऐलान के बाद गोल्ड की मांग बढ़ गई है। निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के लिए सोने की ओर रुख किया। सोना 1.4% बढ़कर $3,372.60 प्रति औंस पर पहुंच गया। अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स भी 1% चढ़े। वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में भी 2% से ज्यादा की तेजी रही। ब्रेंट क्रूड $70.36 और WTI क्रूड $68.45 प्रति बैरल पर बंद हुआ। तेल की कीमतों में तेजी की वजह निकट भविष्य में सप्लाई की कमी की आशंका और रूस पर संभावित प्रतिबंध हैं।