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दूसरी छमाही के प्रदर्शन पर बाजार की नजर, जानिए प्रमुख विश्लेषकों की राय

सभी की नजरें फेड और केंद्रीय बैंकों पर टिकी हुई हैं, क्योंकि ब्रोकर बाजार को लेकर अपने अपने अनुमान जताने लगे हैं

Last Updated- July 02, 2023 | 8:41 PM IST
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भारतीय इ​क्विटी बाजारों ने कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली छमाही में अच्छी तेजी दर्ज की और सेसेंक्स तथा निफ्टी-50 ने अपने 52 सप्ताह के ऊंचे स्तरों को छुआ। जहां सेंसेक्स ने 64,718 की ऊंचाई को छुआ, वहीं निफ्टी-50 भी 19,189 पर पहुंचा।

चूंकि बाजार अब कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में प्रवेश कर चुका है, इसलिए सभी की नजरें वै​श्विक केंद्रीय बैंकों, खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर टिकी हैं। इसे लेकर अनि​श्चितता बनी हुई है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक दर वृद्धि पर कब विराम लगाएगा और अपने ब्याज दर चक्र के संबंध में एक आधार तैयार करेगा।

कई ​विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू तौर पर, मॉनसून की चाल, मुद्रास्फीति पर उसके प्रभाव, राज्य चुनावों, कॉरपोरेट परिणाम आदि पर नजर रखने की जरूरत होगी और ये बाजारों के लिए रुझान तय करने में निर्णायक होंगे। क्या कैलेंडर वर्ष 2023 की दूसरी छमाही इ​क्विटी निवेशकों में उत्साह पैदा कर पाएगी, या इसमें अनि​श्चितता के बीच उतार-चढ़ाव बना रहेगा? यहां प्रमुख शोध एवं ब्रोकरेज कंपनियों के इस बारे में अनुमान पेश किए जा रहे हैं:

मॉर्गन स्टैनली- ईएम में चमकता तारा

भारत उभरते बाजारों के अनुरूप प्रदर्शन करेगा। हालांकि इ​क्विटी पर सुधरते प्रतिफल और प्रति शेयर आय में शानदार सुधार परिदृश्य के साथ जापान हमारा बेहद पसंदीदा क्षेत्र है।

क्षेत्रीय परिदृश्य से, हम अमेरिकी इ​क्विटी पर अंडरवेट बने हुए हैं। अमेरिकी इ​क्विटी के बारे में हमारा मानना है कि इन्हे 2023 में आय संबं​धित जो​खिम का सामना करना पड़ रहा है।

सख्त मौद्रिक नीति के बीच विकसित बाजारों में धीमी वृद्धि से रक्षात्मक क्षेत्रों को मदद मिल सकती है। इसमें, हेल्थकेयर को उचित मूल्यांकन, ऊंचे प्रतिफल के साथ सभी क्षेत्रों में ज्यादा मजबूत मान रहे हैं।

द​क्षिण कोरिया और ताइवान को ए​शिया की वृद्धि में तेजी के थीम से लाभ मिलने की संभावना है, भले ही अमेरिका और यूरोप में सुस्ती आई है।

जेपी मॉर्गन- तेजी की राह में चिंताएं बरकरार

हमारा मानना है कि शेयरों में मंदी का सबसे खराब दौर समाप्त हो गया है। हम नहीं मानते कि बाजार में फिर से अक्टूबर 2022 जैसी मंदी फिर से आएगी। हालांकि खराब खबर यह है कि अभी तेजी वाला बाजार नहीं आया है, और हमारा मानना है कि वर्ष की दूसरी छमाही में उतार-चढ़ाव रह सकता है।

लगातार निवेश घटाने के बजाय, निवेशकों को अपने ​इ​क्विटी पोर्टफोलियो पुन: तैयार करने के लिए संभावित उतार-चढ़ाव का इस्तेमाल करना चाहिए।

जेफरीज- स्मॉलकैप और मिडकैप में अवसर

स्मॉलकैप और मिडकैप फिर से लोकप्रिय हुए हैं और इस कैलेंडर वर्ष में अब तक (सीवाईटीडी) लार्जकैप को मात देने में कामयाब रहे हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप फडों का सीवाईटीडी में असमान अनुपात (लार्जकैप और मल्टीकैप में निवेश का 1.7 गुना) रहा है और यह रुझान बरकरार रहने की संभावना है।

हम स्मॉलकैप और मिडकैप क्षेत्र को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि इसमें घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़े शेयरों में बड़ा योगदान है और हमारे पसंदीदा संप​त्ति और औद्योगिक क्षेत्र के शेयरों की भागीदारी भी दोगुनी हुई है।

लार्जकैप में निवेश चक्र सुधार पर दांव लगाने के लिए कम विकल्प हैं। स्मॉलकैप और मिडकैप के लिए बढ़ती मांग से तेजी को व्यापक तौर पर बढ़ावा मिल सकता है।

सीएलएसए- सतर्कता जरूरी

महंगे मूल्यांकन की वजह से हम अब सतर्क बने हुए हैं, मार्जिन घटने से मुनाफे पर दबाव पड़ रहा है, प्रति शेयर आय वृद्धि अनुमान आशाजनक बना हुआ है, RBI नीतिगत के समय और आकार को लेकर उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों से पीछे रह सकता है, और हमारा इकोनोमीट्रिक मॉडल संकेत दे रहा है कि बाजार 14 प्रतिशत ओवरबॉट जोन में है।

एचएसबीसी- अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का प्रयास

हम सुधरते आय परिदृश्य की वजह से भारतीय इ​क्विटी पर ओवरवेट हैं। इसके अलावा वै​श्विक निवेशकों ने भी भारत पर फिर से अपना ध्यान बढ़ाना शुरू कर दिया है।

भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत आ​र्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति में कमी और रु​पये में ​​​स्थिरता के साथ मजबूती से आगे बढ़ रही है। यह स्थानीय बॉन्ड बाजार के लिए सहायक है। भारत के बॉन्डों को जेपी मॉर्गन गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स- इमर्जिंग मार्केट में शामिल किया गया तो यह भारतीय बॉन्डों के लिए अनुकूल साबित हो सकता है।

जूलियस बेयर- रक्षात्मक दांव

हमारा मानना है कि इ​क्विटी बाजार का प्रदर्शन सभी क्षेत्रों में अलग रहेगा और चयनात्मक दृ​ष्टिकोण पर सुझाव बरकरार रहेगा। हमारा ध्यान द​क्षिण-पूर्व ए​शिया और भारत पर है, जहां हम ओवरवेट बने हुए हैं। भारत को अनुकूल आ​र्थिक नीतियों से लाभ मिल सकता है और निजी क्षेत्र की खपत से देश के दीर्घाव​धि ढांचागत विकास को मदद मिल सकती है।

वै​श्विक तौर पर, वृद्धि की रफ्तार धीमी रहने से, रक्षात्मक कंपनियां मुख्य बाजार के मुकाबले बेहतर साबित हो सकती हैं, और उनके शेयरों में कम उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। हालांकि सभी रक्षात्मक शेयर एक समान नहीं हैं। हमारा पसंद आकर्षक बाजारों में रक्षात्मक शेयर हैं।

First Published - July 2, 2023 | 8:41 PM IST

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