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मारुति: नतीजे निराशाजनक

Last Updated- December 05, 2022 | 11:45 PM IST

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता और 17,936 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनी मारुति सुजुकी के लिये पिछले वित्त वर्ष की मार्च तिमाही के परिणाम अधिक उत्साहजनक नहीं रहे।


बिक्री में मात्र 8 फीसदी की वृध्दि और स्टील तथा एल्यूमिनियम की बढ़ती कीमतों के कारण कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में कमी आई और मार्जिन 1.4 फीसदी घटकर 11 फीसदी के स्तर पर आ गया। अवमूल्यन पॉलिसी से तालमेल बिठाने के प्रयास के तहत कंपनी का एक छोटी सी अवधि में अपनी परिसंपत्तियों के मूल्यों में कटौती का इरादा है। कंपनी पर कम टैक्स बिल के कारण नेट मार्जिन 13.4 फीसदी की बेहतर दर से बढ़ा।


मारुति की मार्च में समाप्त हुये वित्तीय वर्ष में नेट प्रॉफिट ग्रोथ 11 फीसदी बढ़कर 1,731 करोड़ हो गई लेकिन कंपनी के लिये आने वाला समय परेशानी से भरा लगता है। पिछले कुछ महीने से कार बाजार अपनी गति खो रहा है और इसकी रिटेल डिमांड कम हो गयी है।


ब्याज दरों के उच्च रहने और अर्थव्यवस्था में मंदी की अवस्था के कारण उपभोक्ताओं की मांग में जल्द उछाल होने के आसार नहीं हैं। इसलिए कंपनी की बिक्री में वृध्दि के वित्तीय वर्ष 2009 में मात्र 10 फीसदी के आसपास रहने केआसार हैं जबकि वित्तीय वर्ष 2008 में 11.5 फीसदी रही थी।


हालांकि कंपनी ने 2008 में एसएक्सफोर और डिजायर सहित कई नये मॉडल पेश किए हैं और बाजार में 51 फीसदी हिस्सेदारी वाली इस कंपनी को अधिक प्रतियोगिता का भी सामना भी नहीं करना पड़ा।


कंपनी पिछले कुछ समय से बाजार में अपनी हिस्सेदारी खो रही है और वर्ष के अंत तक ए-स्टार और अगले वर्ष के प्रारंभ में ही स्प्लास के लॉन्च होने के बाद इस स्थिति में कुछ परिवर्तन हो सकता है। ए-स्टार को मूलत: यूरोपीय बाजार में निर्यात करने के लिये बनाया गया है और इसे घरेलू बाजार में हुंडई की आईटेन के हिस्सेदारी को भी प्रभावित करना चाहिए।


इससे कंपनी को अपनी बिक्री बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। यद्यपि स्विफ्ट के डीजल मॉडल की मांग लगातार बढ़ रही है और डिजायर की बिक्री भी अच्छी संख्या में हो रही है। वर्तमान में 746 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर कंपनी का कारोबार 2009 में अनुमानित आय से 11 गुना ज्यादा है।


एचडीएफसी बैंक: विश्वासजनक परिणाम


मजबूत 4.4 फीसदी के  इंटररेस्ट रेट मार्जिन केसाथ ही एक फीसदी की बढ़ोतरी और फी इनकम में 37 फीसदी की बढ़त के अलावा एचडीएफसी का प्री-प्रोविजिनिंग प्रॉफिट मार्च 2008 की तिमाही में 42 फीसदी ज्यादा रहा। यह पिछले साल की इसी तिमाही से भी अधिक है। उच्च सौदे और आकस्मिक खर्च 74 फीसदी बढ़कर 465 करोड़ पर रहे।


बैंक का मार्च 2008 की तिमाही में नेट प्रॉफिट ग्रोथ 37 फीसदी रहना थोड़ा परेशान करने वाला अवश्य रहा क्योंकि बैंक ने वित्त वर्ष 2008 की तीसरी तिमाही में 45 फीसदी का नेट प्रॉफिट ग्रोथ अर्जित किया था।


हाल ही मे सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब को स्टॉक डील के जरिये खरीदने वाले इस प्राइवेट सेक्टर के बैंक के लिये यह साल कुल मिलाकर अच्छा रहा। मुश्किल रिटेल क्रेडिट वातावरण होने के बावजूद वित्तीय वर्ष 2008 में बैंक की परिसंपत्ति का 35 फीसदी की गति से बढ़ना जारी रहा।


बैंक ने अपनी वृध्दि को बरकरार रखने के लिये कम खर्च की जमा राशियों पर ध्यान केंद्रित किया। बैंक के कुल जमा में लगभग 55 फीसदी हिस्सा वर्तमान और बचत खाते से आता है और बढ़ती ब्याज दर का इस पर सबसे कम प्रभाव पड़ा है। कारोबार में लोन बुक सामान्यत:साफ-सुथरा रही। नेट नॉन-परफार्मिग परिसंपत्तियां लगातार 0.5 फीसदी से कम स्तर पर रहीं।


अर्थव्यवस्था में चल रही सामान्य मंदी का असर एचडीएफसी बैंक पर भी पड़ना चाहिये लेकिन सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब के अधिग्रहण के बाद बैंक के पास अच्छी खासी संख्या में शाखाओं का नेटवर्क,ज्यादा गा्रहक और ज्यादा अच्छी प्रबंधकीय सुविधायें हैं।


अधिग्रहण के साथ कुछ परिव्यय सहक्रियायें भी आनी चाहिये यद्यपि अधिग्रहण खुद बहुत खर्चीला था और इक्विटी से प्रति शेयर होने वाली आय में भी कमी आयेगी।इसके अतिरिक्त लाभ की स्थिति आने में अभी समय लगेगा। 1,447 रुपये के वर्तमान बाजार मूल्य के स्तर पर वित्तीय 2009 में अनुमानित कीमत से चार फीसदी कम बुक वैल्यू पर कारोबार होता है और इसके बाजार के माहौल के अनुसार रहने के आसार हैं।

First Published - April 25, 2008 | 11:09 PM IST

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