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डेट म्युचुअल फंडों पर टैक्स, दबाव में AMC के शेयर

Last Updated- March 24, 2023 | 11:20 PM IST
म्युचुअल फंड पर कर्ज तभी लें जब ब्याज से ज्यादा रिटर्न मिले, Loan against MFs: Opt if portfolio growth set to outpace loan rate

बैंकों की सावधि जमाओं के मुकाबले डेट म्युचुअल फंडों को जिस तरह का कर लाभ मिल रहा था उसे हटाया जा रहा है। सरकार ने निवेशक के स्लैब के आधार पर डेट म्युचुअल फंडों से होने वाले फायदे पर कर वसूलने का प्रस्ताव रखा है, चाहे निवेश की अवधि कुछ भी हो।

इस कदम से परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के शेयरों पर कारोबारी सत्र की शुरुआत से ही दबाव रहा और इनके शेयर करीब 5 फीसदी तक टूट गए। यूटीआई एएमसी का शेयर एनएसई पर 4.88 फीसदी की गिरावट के साथ 657 रुपये पर बंद हुआ।

एचडीएफसी एएमसी के शेयर पर 4.23 फीसदी की चोट पड़ी और यह 1,670 रुपये पर बंद हुआ। आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी का शेयर 4.48 फीसदी की फिसलन के साथ 339.95 रुपये पर बंद हुआ। सबसे कम 1.27 फीसदी की गिरावट निप्पॉन एएमसी के शेयर में रही और यह 206 रुपये पर बंद हुआ।

अभी तीन साल से ज्यादा अवधि वाले डेट फंड निवेश लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर के पात्र होते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि इंडेक्सेशन के फायदे के साथ लाभ पर 20 फीसदी कर लगाया जाता है। तीन साल से कम निवेश अल्पावधि वाले पूंजीगत लाभ कर के पात्र होते हैं और निवेशकों को अपने टैक्स स्लैब के आधार पर देना होता है।

अगर वित्त विधेयक में प्रस्तावित संशोधन को हरी झंडी मिलती है तो हर अवधि वाले निवेश पर अल्पावधि का पूंजीगत लाभ कर लगेगा। इसका मतलब यह हुआ कि सभी फायदों पर निवेशकों के टैक्स स्लैब के आधार पर कर लगेगा और इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा। यह बैंक एफडी के कर ढांचे के मुताबिक होगा।

संशोधन के तहत गोल्ड ईटीएफ व इंटरनैशनल फंडों के लिए एलटीसीजी कराधान हटाने का प्रस्ताव भी है, जहां अभी डेट योजनाओं की तरह की कर ढांचा है।

चूंकि बैंक एफडी व डेट फंडों का रिटर्न अक्सर एक जैसा होता है, लेकिन डेट एमएफ पर कर लाभ उच्च टैक्स स्लैब वाले निवेशकों के लिए आकर्षक साबित हुआ है।

इस कदम ने म्युचुअल उद्योग को चिंतित कर दिया है।

First Published - March 24, 2023 | 9:56 PM IST

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