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तेजी के बीच छोटी योजनाएं लाने पर जोर दे रहे हैं फंड हाउस

Last Updated- June 01, 2023 | 11:30 PM IST
Smallcaps steal a march over largecaps

ऐसे समय में, जब निवेशक ज्यादा जो​खिम वाली निवेश योजनाओं थीमेटिक और स्मॉलकैप म्युचुअल फंडों को पसंद कर रहे हैं, कुछ फंड हाउसों ने नए निवेश अवसरों के लिए कम बाजार पूंजीकरण (mcap) वाली योजनाओं में संभावना तलाशनी शुरू कर दी है।

एचडीएफसी एमएफ (HDFC MF ) ने इस साल के शुरू में एक ऐ​क्टिव माइक्रोकैप योजना पेश करने के लिए बाजार नियामक सेबी के पास आवेदन जमा कराया था। उद्योग के जानकारों का कहना है कि कुछ फंड हाउस ऐसी कई और योजनाएं पेश करने को उत्साहित हैं।

सामान्य तौर पर, किसी शेयर को तब माइक्रोकैप समझा जाता है, जब उसकी रैंकिंग सूचीबद्ध इ​​क्विटी क्षेत्र में संपूर्ण बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) के संदर्भ में 500 से नीचे हो, या उसका एम-कैप 1,000 करोड़ रुपये से कम हो।

यदि हम निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स के पिछले प्रदर्शन पर नजर डालें तो संकेत मिलता है कि माइक्रोकैप योजना उपयुक्त नहीं है। इस सूचकांक ने पिछले तीन साल में 56 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दिया है। तुलनात्मक तौर पर, लार्जकैप सूचकांक निफ्टी-50 ने 21 प्रतिशत रिटर्न दिया है। ब्लूमबर्ग के आंकड़े से पता चलता है कि 10 वर्षीय अव​धि के दौरान, माइक्रोकैप सूचकांक ने निफ्टी-50 के मुकाबले करीब दोगुना प्रतिफल दिया।

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हालांकि हाल के वर्षों के दौरान मजबूत प्रदर्शन के बावजूद विश्लेषक माइक्रोकैप सेगमेंट को जो​खिम से भरा मान रहे हैं, क्योंकि संपूर्ण विश्लेषण के लिए इनसे जुड़ी जानकारी पर्याप्त नहीं होती है, और छोटी कंपनियों में कॉरपोरेट प्रशासनिक मानक कम होते हैं। एम-कैप के संदर्भ में 500 से नीचे रैंक के शेयरों का विश्लेषक कवरेज भी काफी कम किया जाता है। इसके अलावा ऐसी कंपनियों में तरलता आमतौर पर कम होती है।

First Published - June 1, 2023 | 9:00 PM IST

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