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ट्रंप टैरिफ का झटका: छोटे निवेशक डरे-डरे, विश्लेषक उत्साह से भरे

निवेशकों ने या तो अपने एसआईपी बंद कर दिए हैं या फिर वे अपने मौजूदा एसआईपी की अवधि समाप्त होने पर नई पोजीशन शुरू करने से परहेज कर रहे हैं।

Last Updated- April 16, 2025 | 10:06 PM IST
SIP mutual funds

भारत के रिटेल निवेशकों में सतर्कता बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। बाजार में बढ़ता उतार-चढ़ाव कई लोगों को अपने निवेश पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित कर रहा है। जवाबी शुल्कों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बदलते रुख ने बाजारों में उतार-चढ़ाव को बढ़ावा दिया है।

एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) सेगमेंट में पूंजी निवेश लगातार तीसरे महीने मार्च में घटकर 25,082.01 करोड़ रुपये पर आ गया। यह अप्रैल 2024 के बाद से सबसे कम है। एसआईपी के जरिये निवेश हालांकि नई ऊंचाई के आसपास बना हुआ है और लगातार तीसरे महीने इसमें मामूली ही कमी आई है।

रिपोर्टों के अनुसार इस बात के संकेत मिले हैं कि निवेशकों ने या तो अपने एसआईपी बंद कर दिए हैं या फिर वे अपने मौजूदा एसआईपी की अवधि समाप्त होने पर नई पोजीशन शुरू करने से परहेज कर रहे हैं। इस कारण मार्च में एसआईपी रोकने का अनुपात बढ़कर 128.27 प्रतिशत हो गया। इस बीच, रिटेल निवेशकों का शेयर बाजार में सीधा निवेश मार्च में कमजोर पड़ गया। उन्होंने 14,325 करोड़ रुपये मूल्य के इक्विटी शेयर बेचे जो 2016 (जब एनएसई ने डेटा दर्ज करना शुरू किया) से अब तक दर्ज की गई सर्वाधिक बिकवाली है।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च में वरिष्ठ विश्लेषक (मैनेजर रिसर्च) नेहल मेश्राम के अनुसार सतर्कता बढ़ने से सेक्टोरल और थीमेटिक फंडों में निवेश घटने से हाल के महीनों में रिटेल निवेशकों की रफ्तार धीमी पड़ी है। मेश्राम ने कहा, ‘बढ़ते टैरिफ टकराव ने निवेशकों को अपने जोखिम का फिर से आकलन करने के लिए बाध्य किया है, जिससे इक्विटी बाजारों से वे अस्थायी तौर पर बाहर हो रहे हैं।’

2 अप्रैल को ट्रंप के शुल्कों की घोषणा के बाद शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 7 अप्रैल को सूचकांक में 5 प्रतिशत की गिरावट आई जो पिछले साल 4 जून के बाद से सबसे खराब दिन था। हालांकि बाद के दिनों में बाजारों ने ज्यादातर नुकसान की भरपाई कर ली, क्योंकि ट्रंप ने कुछ समय के लिए शुल्क पर रोक लगा दी है। यानी कि सभी व्यापारिक साझेदार देशों पर 10 प्रतिशत का समान शुल्क लागू रहेगा। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है क्योंकि अमेरिका अब चीन से आने वाले सामान पर 145 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है।

विश्लेषकों का मानना है कि इस माहौल में टैरिफ महज एक छोटा सा हिस्सा है। लेकिन इसके अलावा भी बहुत कुछ है। स्मॉल और मिडकैप सेगमेंट के शेयरों में ऊंचे मूल्यांकन, एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) की निकासी और सितंबर में गिरावट के बाद ताजा परिवेश ने निवेशक धारणा को कमजोर कर दिया है। एलआईसी म्युचुअल फंड में सह-मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) निखिल रूंगटा के अनुसार रिटेल भागीदारी में गिरावट से चिंता के बजाय सतर्कता जाहिर होती है।

मार्च में शुद्ध इक्विटी निवेश इसलिए भी घट गया क्योंकि बढ़ती अस्थिरता के कारण सेक्टोरल/थीमैटिक फंडों में निवेश दिसंबर 2024 के 15,000 करोड़ रुपये के मुकाबले मार्च में महज 170 करोड़ रुपये ही आया। रिटेल डायरेक्ट इक्विटी निवेश भी कमजोर रहा। लेकिन एसआईपी प्रवाह 25,926 करोड़ रुपये पर मजबूत बना रहा जिससे निवेशकों के अनुशासन का पता चलता है।

विश्लेषकों का मानना है कि एसआईपी निवेश की रफ्तार मजबूत बनी हुई है क्योंकि इनमें निवेशकों का भरोसा खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि टैरिफ का खतरा अस्थायी रूप से टल गया है और व्यापार वार्ता फिर से शुरू हो गई है जिससे अनिश्चितता के बादल छंट गए हैं। डिजर्व के सह-संस्थापक वैभव पोरवाल ने कहा कि बाजार में गिरावट सामान्य बात है और भारत की दीर्घावधि वृद्धि की कहानी मजबूत बनी
हुई है।

First Published - April 16, 2025 | 9:56 PM IST

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