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म्युचुअल फंडों ने मुंह मोड़ लिया कॉमर्शियल पेपर से

Last Updated- December 08, 2022 | 4:41 AM IST

बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड ने हाल ही में अपने शॉर्ट टर्म इनकम फंड के पोर्टफोलियो में बदलाव किया और अपना पैसा केवल सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी) में निवेश किया।


ज्यादातर संस्थागत निवेशकों पर निर्भर इस फंड ने बाजार से 3,000 करोड़ रुपये उगाहे हैं। टाटा म्युचुअल फंड भी 371 दिनों के फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लॉन टाटा फिक्स्ड होराइजन फंड-20 स्कीम ए के साथ बाजार में आया है। फंड हाउस ने अपने सांकेतिक पोर्टफोलियो के जरिए संकेत दिए हैं कि वह केवल बैंकों के सीडी में ही निवेश करेगा।

प्रिंसिपल म्युचुअल फंड ने 91 दिवसीय एफएमपी-सिरीज 14 लांच की है। उसने संकेत दिया है कि उसका कॉमर्शियल पेपर में कोई एक्सपोजर नहीं होगा। ज्यादा समय नहीं बीता है जब म्युचुअल फंड (एमएफ) छह माह से लेकर एक साल तक की अवधि वाले कॉमर्शियल पेपर (सीपी) में धड़ल्ले से निवेश कर रहे थे, लेकिन अब वे बेहद सतर्क हो गए हैं ।

सीडी में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। सीपी बाजार में तरलता की तंगहाली और संस्थागत निवेशकों के बिदकने के कारण इनकी मांग बेहद कम हो गई है। कॉमर्शियल पेपर वह इंस्ट्रूमेंट है जिसके जरिए तमाम तरह की कंपनियां कार्यशील पूंजी की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्त की उगाही करती हैं। सीडी यानी सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट उन निवेशकों के लिए एक तयशुदा ब्याज दर में पैसा लगाने का जरिया है जिन्हें तत्काल धन की आवश्यकता नहीं  होती।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि फंड हाउस सीडी के एवज में बैंकों से कर्ज ले सकते हैं। इस  घोषणा का सीपी बाजार पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा और बड़ी संख्या में सीपी बाजार में डंप कर दिए गए। फंड मैनेजरों का कहना है कि सीपी का स्प्रेड अब बढ़कर 2.5 फीसदी से लेकर 3 फीसदी तक हो गया है।

यह एक साल पहले सिर्फ 0.15 फीसदी ही था। इसी कारण  हाल ही में जारी कुछ फंडों ने अपना सीपी को एक्सपोजर बेहद सीमित रखा है।जेएम फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स में फिक्स्ड इन्कम के  कार्यकारी निदेशक मुख्य निवेश अधिकारी मोहित वर्मा ने बताया कि सीपी बाजार में तरलता का अभाव हो चला है। इसका दायरा बढ़ा है। इसलिए हम  अपने पोर्टफोलियो में सीडी को अहम स्थान देंगे।

उद्योग जगत के आंकड़ों के अनुसार इस समय म्युचुअल फंडों ने सीडी में 1-1.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। ज्ञातव्य है कि आरबीआई ने म्युचुअल फंडों और एनबीएफसी को  60,000 करोड़ रुपये की तरलता उपलब्ध कराई है।

अत: फंडों के पास इतने सीडी हैं कि वह अकेले ही इस सारी 60,000 करोड़ रुपये  की तरलता का उपयोग कर सकता है। दूसरी ओर अधिकांश गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और रियल एस्टेट कंपनियां कॉमर्शियल पेपर जारी करने वाली प्रमुख कंपनियां रहीं थी।

इनके अतिरिक्त यह पेपर जारी करने वाली दूसरी भी कई कंपनियां हैं जिन्हें एएए प्लस रेटिंग मिली हुई थी। अब ये कंपनियां वित्त जुटाने में खासी दिक्कतों का सामना कर रहीं हैं।

भारत में फिक्स्ड इन्कम के मचर्ट बैंकर एके कैपिटल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट विकास जैन का कहना है कि शॉर्टर एंड पर तरलता अभी भी कम है। एक साल के कॉमर्शियल पेपर को लेने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है। आलम यह है कि कंपनियों को फंड के लिए 13.5 फीसदी से लेकर 14 फीसदी तक दाम चुकाने होंगे।

इस समय वित्तीय सलाहकार भी निवेशकों को ऐसे फंडों में निवेश की सलाह देने लगे हैं जो बचत पत्रों में निवेश करती हैं।

First Published - November 20, 2008 | 9:34 PM IST

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