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SBI, PNB, HDFC समेत 8 बैंक शेयरों पर ब्रोकरेज बुलिश,’BUY’ की सलाह; नोट कर लें टारगेट

शेयरखान ने सरकारी बैंकों पर बुलिश रुख अपनाते हुए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) को 'BUY' रेटिंग दी है।

Last Updated- November 21, 2024 | 7:00 PM IST
Bank Share

दूसरी तिमाही (Q2FY25) में भारतीय बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। सरकारी बैंकों ने प्राइवेट बैंकों के मुकाबले कहीं बेहतर नतीजे पेश किए। सरकारी बैंकों की आय में 39% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि प्राइवेट बैंकों की आय में सिर्फ 8% की बढ़ोतरी हुई। कमजोर नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) ग्रोथ और नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में गिरावट ने प्राइवेट बैंकों के प्रदर्शन को सीमित कर दिया। वहीं, सरकारी बैंकों ने ट्रेजरी गेन, बैड लोन की वसूली और कम क्रेडिट कॉस्ट की मदद से मजबूत प्रदर्शन किया।

सरकारी बैंकों का प्रदर्शन

सरकारी बैंकों ने मजबूत आय वृद्धि दर्ज की, जिसमें प्रमुख योगदान ट्रेजरी गेन, बैड लोन की वसूली और गैर-ब्याज आय में सुधार का रहा। शेयरखान ने सरकारी बैंकों पर बुलिश रुख अपनाते हुए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) को ‘BUY’ रेटिंग दी है। इन बैंकों के लिए शेयरखान ने नीचे बताए गए प्राइस टार्गेट तय किए हैं:

SBI: वर्तमान प्राइस ₹780.90, प्राइस टार्गेट ₹975
BOB: वर्तमान प्राइस ₹228.70, प्राइस टार्गेट ₹310
PNB: वर्तमान प्राइस ₹96.60, प्राइस टार्गेट ₹125
BOI: वर्तमान प्राइस ₹101.79, प्राइस टार्गेट ₹130

गौर करने वाली बात है कि सरकारी बैंकों ने ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 33% की वृद्धि दर्ज की, जिसमें कम क्रेडिट कॉस्ट और बेहतर लिक्विडिटी पोजिशन ने अहम भूमिका निभाई।

प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन

प्राइवेट बैंकों की आय में केवल 8% की वृद्धि हुई, जो कमजोर क्रेडिट ग्रोथ और NIM में गिरावट के चलते कम रही। प्राइवेट बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ 15% रही, जबकि लोन ग्रोथ सिर्फ 11% रही, जिससे उनका लोन-डिपॉजिट रेशियो (LDR) घटा। हालांकि, शेयरखान ने प्रमुख प्राइवेट बैंकों को निवेश के लिए बेहतर विकल्प माना है।

HDFC बैंक: वर्तमान प्राइस ₹1739.95, प्राइस टार्गेट ₹2000
ICICI बैंक: वर्तमान प्राइस ₹1255.85, प्राइस टार्गेट ₹1500
Axis बैंक: वर्तमान प्राइस ₹1143.50, प्राइस टार्गेट ₹1400
IndusInd बैंक: वर्तमान प्राइस ₹983.50, प्राइस टार्गेट ₹1500

ग्रोथ के कारण और चुनौतियां

सरकारी बैंकों ने जहां ट्रेजरी गेन और बैड लोन की वसूली का लाभ उठाया, वहीं प्राइवेट बैंकों को कमजोर डिपॉजिट ग्रोथ और NIM में गिरावट का सामना करना पड़ा। प्राइवेट बैंकों की लोन ग्रोथ में सुस्ती और डिपॉजिट की उच्च लागत ने उनके प्रदर्शन को प्रभावित किया।

लोन और डिपॉजिट ग्रोथ

प्राइवेट बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ 15% और लोन ग्रोथ 11% रही। सरकारी बैंकों ने बेहतर लिक्विडिटी पोजिशन के चलते कम डिपॉजिट ग्रोथ से निपटने में सफलता पाई। कुल मिलाकर, बैंकों के लिए औसत लोन ग्रोथ 13% और डिपॉजिट ग्रोथ 12% दर्ज की गई।

एसेट क्वालिटी और क्रेडिट कॉस्ट

एसेट क्वालिटी में बड़ी गिरावट नहीं हुई, लेकिन पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और माइक्रोफाइनेंस जैसे असुरक्षित लोन में कुछ दिक्कतें नजर आईं। बड़े बैंकों ने क्रेडिट खर्च को नियंत्रण में रखा, जबकि कुछ मिड और छोटे बैंकों को इन सेगमेंट में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

कुल मिलाकर, सरकारी बैंकों ने दूसरी तिमाही में मजबूत प्रदर्शन किया, जबकि प्राइवेट बैंक धीमी गति से बढ़े। हालांकि, बैंकिंग सेक्टर के लंबे समय के आउटलुक को देखते हुए, विशेषज्ञ इसे निवेश के लिए आकर्षक मानते हैं।अच्छी लिक्विडिटी, कम क्रेडिट खर्च और गैर-ब्याज आय में सुधार के कारण बैंकिंग सेक्टर आने वाले समय में निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे सकता है।

डिस्क्लेमर: यहां शेयर में निवेश की सलाह ब्रोकरेज ने दी है। बाजार में निवेश जो​​खिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।

First Published - November 21, 2024 | 5:08 PM IST

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