नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने वोलैटिलिटी इंडेक्स (अस्थिरता सूचकांक) लॉन्च किया है जो निकट अवधि में बाजार के अस्थिरता संबंधी संबंधी अनुमानों को प्रतिबिंबित करेगा।
यह निकट अवधि आगामी 30 दिनों की है।भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के अध्यक्ष सी बी भावे ने इंडिया वीआईएक्स नामक इस सूचकांक को लॉन्च किया। निफ्टी 50 इंडेक्स विकल्प मूल्यों पर आधारित इंडिया वीआईएक्स विकल्प मूल्यों से जुड़ी अस्थिरता का प्रग्रहण करेगा।
भावे ने कहा, ‘किसी चीज को मापने का लाभ तभी है जब पहले उसे परिभाषित कर लिया जाए। वोलैटिलिटी इंडेक्स लोगों की समझ में इजाफा करेगा। एक बार ऐसा हो जाने के बाद हम इस पर आधारित उत्पाद लांच करेंगे।’
निफ्टी 50 विकल्प करारों (एनएसई के वायदा एवं विकल्प वर्ग में किए जाने वाले कारोबार) के सबसे अच्छे बोली और पेशकश मूल्यों से एक अस्थिरता अंक (वोलैटिलिटी फिगर प्रतिशत में) की गणना की जाती है जो यह सूचित करता है कि आगामी तीस दिनों में बाजार की अनुमानित अस्थिरता कितनी होगी। उपलक्षित अस्थिरता (इम्पलायड वोलैटिलिटी) जितनी अधिक होगी, इंडिया वीआईएक्स भी उतना ही ऊपर होगा।
वोलैटिलिटी इंडेक्स द्वारा प्रग्रहित उपलक्षित (इम्पलायड वोलैटिलिटी एज कैप्चर्ड बाइ वोलैटिलिटी इंडेक्स) अस्थिरता शेयर बाजार के साथ जुड़े जोखिमों की तरफ इशारा करता है न कि मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव की तरफ। जब बाजार का दायरा तय होता है या उसके ऊपर चढ़ने की थोड़ी संभावना होती है तो आमतौर पर अस्थिरता को कम माना जाता है।
ऐसे दिनों में कॉल ऑप्शन खरीदारी (बाजार में गिरावट की संभावना को देखते हुए लिया गया पोजीशन) साधारणत: पुट ऑप्शन खरीदारी (बाजार के मजबूत होने की आशा के साथ लिया गया पोजीशन) से कहीं अधिक होती है जो कम जोखिम का संकेत देता है।
इसके विपरीत जब बेचने की गतिविधियों में महत्वपूर्ण वृध्दि होती है तो निवेशक पुट ऑप्शन की खरीदारी पर टूट पड़ते हैं जिससे उन विकल्पों की कीमतों में बढ़ोतरी होती है। पुट ऑप्शन के लिए निवेशकों के अधिक भुगतान करने की चाहत वोलैटिलिटी इंडेक्स के उच्चतर स्तर से प्रदर्शित होता है।
एनएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि नारायण ने कहा, ‘इस सूचकांक की शुरुआत से निवेशकों के पोर्टफोलियो में अस्थिरता भी एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में जुड़ सकता है।’
निवेशक अस्थिरता के विरुध्द अपने पोर्टफोलियो को हेज कर पाएंगे इसके लिए उन्हें इंडिया वीआईएक्स फ्यूचर्स या विकल्प के करारों में ऑफसेटिंग पोजीशन लेनी होगी। इस सूचकांक द्वारा दिया जाने वाला उपलक्षित वोलैटिलिटी सूचना (इम्लायड वोलैटिलिटी इनफॉर्मेशन) का इस्तेमाल विकल्पों के गलत मूल्यों के पहचान करने में भी की जा सकता है।
एनएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ऑप्शन वर्ग में जितनी अधिक तरलता होगी, सूचकांक भी उतना ही बेहतर होगा। बाजार के प्रतिभागियों के द्वारा एक इस वोलैटिलिटी इंडेक्स को स्वाकार कर लिए जाने के बाद एक इंट्रा-डे वोलैटिलिटी इंडेक्स लांच करने की भी योजना है।’
जनवरी महीने में ने बीएसई और एनएसई दोनों एक्सचेंजों को वोलैटिलिटी इंडेक्स लॉन्च करने की हरी झंडी दे दी थी। सेबी के परिपत्र में कहा गया है, ‘प्राप्त अनुभव और लोगों में फैली जागरुकता के आधार पर आने वाले समय में वोलैटिलिटी इंडेक्स में डेरिवेटिव के लिए विचार किया जाएगा।’ एनएसई भारत में इस प्रकार का सूचकांक लॉन्च करने वाला पहला एक्सचेंज बन गया है।