इस साल जनवरी में भारतीय शेयर बाजार नकारात्मक क्षेत्र में प्रवेश कर गया। उसके बाद से 6 माह में यह बाजार 30 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है।
10 जनवरी को बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 21,260 अंकों के ऑल टाइम हाई पर था। 22 जुलाई मंगलवार को यह 14,104 पर बंद हुआ। बाजार में आई इस बड़ी गिरावट ने न केवल शेयर में निवेशकों की, बल्कि म्युचुअल फंड में भी निवेश करने वालों की हालात पतली कर दी।
ओपन-एंड इक्विटी के आंकड़ों को देखने वाले यह आसानी से जान सकते हैं कि कुछ फंड ही गिरावट की इस ऊंची उठती लहर में समा जाने से बच पाए या फिर थोड़ा ही डूबे। ठीक-ठीक कहें तो वे मात्र ग्लोबल फंड ही थे,जिन्होंने अच्छा रिटर्न दिया। इसके बाद फार्मा का नंबर आता है। हालांकि इस क्षेत्र में निवेशकों को नुकसान भी हुआ, लेकिन उतना नहीं जितना दूसरे फंड को हुआ।
गिरते बाजार के दौर में निवेशकों को सोने में निवेश करने से अच्छा रिटर्न मिला। इस कारण सोने की खानों में निवेश करने वाले डीएसपीएमएल वर्ल्ड गोल्ड फंड ने 5.86 फीसदी का रिटर्न दिया। इसके बाद अच्छा रिटर्न देने वाले फंडों में डीएसडब्ल्यू ग्लोबल थेमेटिक ऑफशोर और आईएनजी ग्लोबल रियल एस्टेट फंड ने क्रमश: 2.47 व 1.44 फीसदी रिटर्न दिया। ये सभी फंड फीडर फंड या फिर फंडों के फंड थे, जिसने विदेशों कंपनियों के शेयरों में निवेश करने के बजाय अपनी पैतृक एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के फंडों या फिर अच्छे रिकार्ड वाले दूसरे फंडों में निवेश करना बेहतर समझा।
डॉयचे असेट मैनेजमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी सुरेश सूद ने बताया कि विश्व बाजार में करेक्शन के बाद ये ग्लोबल फंड अच्छी स्थिति में है। करेक्शन का यह दौर सितंबर में उस समय प्रारंभ हुआ था जब भारतीय शेयर बाजारों में बूम की स्थिति थी। पिछली कई तिमाहियों में खस्ताहाल रहे फार्मा शेयर भी अभी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि इनसे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन इसकी तुलना में अधिक तेजी से से नीचे आए बाजार में वे अपने पांव मजबूती से जमाए रहे और दूसरे सेक्टरों की तरह नीचे नहीं गए।