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पीई निवेशकों ने भी मंदी में डुबो ली अच्छी खासी रकम

Last Updated- December 07, 2022 | 10:03 AM IST

मंदी की चौतरफा मार ने प्राइवेट इक्विटी निवेशकों को भी खासा नुकसान पहुंचाया है। पिछले साल जिन सूचीबध्द कंपनियों में जितनी भी प्राइवेट इक्विटी डील हुई हैं उनमें से 75 फीसदी डील में निवेशकों को नुकसान झेलना पड़ा है।


दिल्ली स्थित नेक्सजेन कैपिटल्स लिमिटेड के एक अध्ययन के अनुसार पिछले साल प्राइवेट इक्विटी की 63 डील में सबसे ज्यादा नुकसान इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में किये गए निवेश में हुआ है। वर्ष 2007 में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की सूचीबध्द कं पनियों में 59.12 अरब रुपये का निवेश हुआ लेकिन मार्केट-टू-मार्केट वैल्यू निकाली जाए तो यह पूंजी घटकर आधी रह गई है, यानी यह निवेश अब केवल 29.67 अरब रुपये का रह गया है।

दिल्ली स्थित ब्रॉकरेज एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज की मर्चेंट बैंकिंग शाखा नेक्सजेन कैपिटल्स के अनुसार पिछले साल सूचीबध्द कंपनियों में किया गया 218.57 अरब रुपये मूल्य का प्राइवेट इक्विटी निवेश फिलहाल 12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 192.23 अरब रुपये के स्तर पर पहुंच गया। इन 63 पीई निवेश में सूचना-प्रद्यौगिकी और इससे जुड़ी सेवाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेअर, टेलीकाम, रिटेल, मीडिया, विनिर्माण, रियलटी, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं।

दिसंबर में 10 प्राइवेट इक्विटी निवेशकों जिनमें एटॉन फंड एलपी, टी रॉव प्राइस, डायचे एसेट मैंनेजमेंट और सिटीग्रुप शामिल हैं, ने क्वालिफाइड इंस्टीटयूशनल प्लेसमेंट के जरिए जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर में 240 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से कुल 39.65 अरब रुपये का निवेश किया। हालात यह हो गए कि सोमवार तक इस निवेश का मौजूदा मूल्य 63 प्रतिशत की गिरावट के साथ 14.63 अरब रुपये रह गया। सोमवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 86.10 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से बंद हुआ जो कि सोमवार के स्तर से 2.8 प्रतिशत नीचे है।

बाजार में अनिश्चितता से कारोबारी माहौल पर इसके पड़नेवाले असर का एक और उदाहरण ग्रेट ऑफशोर लिमिटेड में किए गए निवेश से मिलता है। अमेरिका स्थित प्राइवेट इक्विटी फर्म कार्लाइल ग्रुप ने  ग्रेट ऑफशोर में 860 रुपये प्रति शेयर केहिसाब से 4.99 प्रतिशत हिस्सा खरीदा था, जिसका मूल्य 1.63 अरब डॉलर था। आलम यह है कि अभी  कार्लाइल के निवेश का मार्केट-टू-मार्केट वैल्यू 45 प्रतिशत गिरकर 9010.6 लाख रुपये रह गया है।

हालांकि विपरीत हालात के बावजूद प्राइवेट इक्विटी निवेशकों के लिए बैंकों, वित्तीय सेवाएं और बीमा प्रदान करनेवाली और टेलीकॉम क्षेत्र की सूचीबध्द कंपनियों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। रिटेल सेक्टर  का प्रदर्शन सबसे बढ़ियां रहा जिसका मार्केट-टू-मार्केट वैल्यू पर  मूल्य 3.03 अरब रुपये रहा जो कि कुल निवेश किए गए 2.15 अरब रुपये पर 41 प्रतिशत फायदे को दर्शाता है। रिटेल के अलावा औद्योगिक जगत के जानकार निकट भविष्य में सूचीबध्द कंपनियों में प्राइवेट इक्विटी निवेश को लेकर खासे उत्साहित हैं।

First Published - July 9, 2008 | 10:39 PM IST

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