देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी के मार्जिन में जून 2008 की तिमाही के परिणामों में कमी देखी गई। इसकी वजह कंपनी की लागत में होने वाली बढ़ोतरी रही।
बढ़ती मंहगाई की चलते कच्चे माल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इस कार निर्माता के राजस्व तो 20 फीसदी की वृध्दि के साथ 4,370 करोड़ के स्तर पर रहा लेकिन यह मार्जिन पर होने वाले दबाव को रोकने में सफल न हो सका। कंपनी के मार्जिन में पांच फीसदी की गिरावट देखी गई और यह 10 फीसदी के स्तर से भी नीचे आ गया।
डिप्रेशिएसन पॉलिसी में परिवर्तन की वजह से जिसमें कंपनी ने अपनी परिसंपत्तियों के छोटी अवधि में राइट ऑफ का प्रस्ताव किया था, की वजह से कंपनी की शुध्द लाभ भी सात फीसदी कम होकर 465 करोड़ रुपये के स्तर पर रहा। कंपनी के प्रॉफिट में छ: फीसदी वृध्दि की वजह उसके ऊंची अन्य आय होने की वजह से रही।
जून की तिमाही के लिए कंपनी के वॉल्यूम की बिक्री 13.5 फीसदी ज्यादा रही जबकि कंपनी के निर्यात में 38 फीसदी की बढ़त देखी गई। जबकि घरेलू बाजार की बिक्री में 12 फीसदी की बढ़त आई। इसकेअतिरिक्त स्विफ्ट और स्विफ्ट डिजायर के डीजल संस्करण की अच्छी बिक्री की वजह से कंपनी की टॉपलाइन में 20 फीसदी की बढ़त देखी गई। यह मार्च तिमाही के आठ फीसदी बढ़त से काफी बेहतर है। कंपनी के मॉडल सेडान की बिक्री भी अगले कुछ महीनों में बेहतर होने की संभावना है जिससे कंपनी को अपने कुल वॉल्यूम की संख्या बढ़ाने में मद्द मिलेगी।
इसके अतिरिक्त कंपनी के निर्यात किए जाने वाले वाहनों के वॉल्यूम में भी सुधार होना चाहिए क्योंकि मारूति ए-स्टार की बिक्री इस वित्त्तीय वर्ष की दि्तीय छमाही से शुरु हो जानी चाहिए। कार से लोगों की महत्वाकांक्षाएं जुड़ी होने की वजह से इनकी बिक्री पर तेल की बढ़ती कीमतों का कोई प्रभाव पड़ने की संभावना कम ही है। हालांकि ऊंची ब्याज दरों की वजह से ग्राहक अभी खरीदारी टाल सकते हैं। मौजूदा बाजार मूल्य 648 रु पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आय से 11 गुना के स्तर पर हो रहा है और इसका कारोबार संतुलित मूल्य पर होने की संभावना है।
अल्ट्राटेक-धुंधला भविष्य
सीमेंट की बड़ी कंपनियों में से एक अल्ट्राटेक के राजस्व में सालाना आधार पर जून की तिमाही में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 5,509 करोड़ की इस कंपनी के राजस्व में वृध्दि होने की मुख्य वजह रियलाइजेशन में आठ फीसदी की बढ़ोतरी रही।
कंपनी ने अपने उत्पादों की ज्यादातर बिक्री देश के दक्षिणी हिस्सों में की। हालांकि सीमेंट के निर्यात पर छ: हफ्तों तक लगी रोक से कंपनी के निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ा और कंपनी का निर्यात 38 फीसदी कम रहा। जबकि घरेलू बिक्री में भी महज 3.8 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। ऊंची तेल कीमतों की वजह से कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में भी 2.3 फीसदी की गिरावट आई और यह 30 फीसदी के स्तर पर रहा।
जबकि पिछले साल के दौरान कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। सिक्वेशनल बेसिस के आधार पर भी कंपनी के वॉल्यूम की बिक्री घटी। तेल की ऊंची कीमतों की वजह से इस वित्त्तीय वर्ष में भी कंपनी पर कीमतों के दबाव का असर बना रहेगा। प्रबंधकों ने कम होती मांग पर चिंता जताई है जिससे सीमेंट की कीमतों पर भी दबाव पड़ेगा। जबकि कंपनी सीमेंट की कीमतों में प्रति बैग दो से तीन फीसदी की वृध्दि करने जा रही है।
उद्योगों पर कड़ी नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है मार्च 2009 तक 15 लाख मिलियन टन की सप्लाई संभव हो जाएगी जो मांग से ज्यादा है। लेकिन परेशान करने वाली जो बात है कि सीमेंट की खपत में हाउसिंग सेक्टर की हिस्सेदारी करीब आधी होती है और रियल एस्टेट कंपनियों ने ऊंची ब्याज दरों के चलते अपने प्रोजेक्ट पर ढिलाई बरतना शुरु कर दिया है।
कंपनी के राजस्व में इस वित्त्तीय वर्ष सात से आठ फीसदी वृध्दि की संभावना है। लेकिन कंपनी की प्रति शेयर आय जो अभी 81 रु के स्तर पर है, वित्त्तीय वर्ष 2010 तक इसमें कमी आने की संभावना है। मौजूदा बाजार मूल्य 539 रु पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 9.4 गुना केस्तर पर हो रहा है और निवेशकों के लिए इस शेयर की खरीदारी करना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि इस सेक्टर का भविष्य अभी धुंधला है।