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पहली छमाही में प्रवर्तकों ने बेचे 87,000 करोड़ रुपये के शेयर

विश्लेषकों का कहना है कि इस वर्ष प्रवर्तकों के साथ साथ निजी इक्विटी (पीई) फर्मों ने भी भी बिकवाली की और यह लगभग सभी क्षेत्रों से जुड़ी हुई थी।

Last Updated- July 01, 2024 | 11:35 PM IST
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बाजार में तेजी और आकर्षक मूल्यांकन का फायदा उठाते हुए प्रवर्तकों ने कैलेंडर वर्ष 2024 के पहले 6 महीनों के दौरान 87,000 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य के शेयर बेचे। कोटक इंस्टीट्यूशनल इ​क्विटीज (केआईई) के एक विश्लेषण के अनुसार शीर्ष-500 से 37 कंपनियों के प्रवर्तकों ने 87,400 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। यह आंकड़ा पिछले कैलेंडर वर्ष में इ​क्विटी शेयर बिक्री के जरिये प्रवर्तकों द्वारा जुटाए गए 99,600 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री से सिर्फ 12 प्रतिशत कम था।

विश्लेषकों का कहना है कि इस वर्ष प्रवर्तकों के साथ साथ निजी इक्विटी (पीई) फर्मों ने भी भी बिकवाली की और यह लगभग सभी क्षेत्रों से जुड़ी हुई थी। 2024 की पहली छमाही में निफ्टी 10.6 प्रतिशत बढ़ा जो तीन साल में सबसे अधिक है। इस बीच मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 20-20 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई।

केआईई ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हम प्रवर्तक (गैर-पीई) बिक्री में तेजी के पीछे कई वजह मान रहे हैं। लेकिन बाजार में मौजूदा तेजी का माहौल ही एकमात्र कारण नहीं है क्योंकि ज्यादातर प्रवर्तकों का दीर्घाव​धि निवेश का नजरिया होता है। मुख्य कारणों में व्यवसाय विस्तार, न्यूनतम शेयरधारिता मानकों (उदाहरण के लिए मैनकाइंड) के साथ अनुपालन, कर्ज में कमी (वेदांत), प्रवर्तक परिवार की शेयरधारिता में समायोजन और निजी मामले (सिप्ला, एमऐंडएम) और प्रवर्तकों के हितों के रणनीतिक समायोजन (भारती एयरटेल, इंडस टावर्स) शामिल हैं।’

प्रवर्तकों की प्रमुख बिकवाली में इंडस टावर में वोडाफोन पीएलसी का 15,300 करोड़ रुपये मूल्य के ​शेयर बेचना, इंटरग्लोबल के प्रवर्तकों की 10,200 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में टाटा समूह की 9,300 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री शामिल हैं। इसके अलावा पीई फर्मों की बिक्री पहली छमाही के दौरान 39,300 करोड़ रुपये रही। पीई कंपनियों ने आईपीओ के जरिये भी अपनी हिस्सेदारी घटाने पर जोर दिया।

केआईई ने रिपोर्ट में कहा है, ‘निवेश की सीमित अव​धि और स्वरूप को ध्यान में रखते हुए पीई कंपनियों ने अपनी पूरी या कुछ हिस्सेदारी बेचने के लिए तेजी वाले सेकंडरी बाजार का इस्तेमाल किया है जो कि उनके लिए तार्किक है। बिक्री पेशकश यानी ओएफएस से जुटाई गई रा​शि पिछले कुछ वर्षों में नए पूंजी निर्गमों की रकम से ज्यादा हो गई है।’

2024 में पीई फर्मों की प्रमुख निकासी में वेस्टब्रिज क्रॉसओवर फंड द्वारा इंडियामार्ट इंटरमेश में 1,900 करोड़ रुपये की बिक्री, एशिया ऑपर्च्युनिटीज और जनरल अटलांटिक सिंगापुर फंड द्वारा पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस में 1,000 करोड़ रुपये की हिस्सा बिक्री और वेस्टब्रिज द्वारा एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक में 850 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बिक्री शामिल रही।

बड़े पैमाने पर प्रवर्तकों की बिकवाली के कारण प्रवर्तक शेयरधारिता में भारी गिरावट आई है। की रिपोर्ट के अनुसार बीएसई-200 इंडेक्स में निजी प्रवर्तकों की हिस्सेदारी दिसंबर 2022 तिमाही के अंत में 42.1 प्रतिशत थी जो मार्च 2024 तिमाही में घटकर 38.8 प्रतिशत रह गई है। जून 2024 तिमाही के दौरान इस शेयरधारिता में और गिरावट आ सकती है लेकिन इसके आंकड़े अभी आने बाकी हैं।

First Published - July 1, 2024 | 11:00 PM IST

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