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पुणे के बिल्डरों ने बनाया अपना इक्विटी फंड

Last Updated- December 07, 2022 | 5:01 AM IST

पुणे में छोटे आवासीय प्रोजेक्टों के डेवलपरों को अब प्राइवेट फंडिग पर निर्भर नहीं  रहना होगा। यहां के प्रमोटर्स एंड बिल्डर्स ऐसोसिएशन ऑफ पुणे(पीबीएपी) ने  स्वयं के 26 करोड़ रुपये के रियलिटी फंड लाँच किए हैं।


इसके जरिए एकत्र राशि  में से जिले में निर्माणाधीन हर छोटे रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा विकसित किए जा  रहे हर आवासीय प्रोजेक्ट पर 5 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे डेवलपर प्रोजेक्ट  की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए उसे समय पर पूरा कर सकेंगे। फंड की पहली कड़ी में निवेश पुणे के 84 बिल्डरों ने किया है।

ये सभी पीबीएपी से  जुड़े हुए हैं। जुटाई गई 26 करोड़ रुपये की राशि सबसे पहले 6 प्रोजेक्ट में निवेश  की जाएगी। पीबीएपी के प्रमुख ललितकुमार जैन ने बताया कि हाल फिलहाल छोटे निवेशकों  के लिए कोई इक्विटी फंड नहीं है। 25 एकड़ के क्षेत्र से अधिक पर विकसित हो रहे प्रोजेक्ट ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)और म्युचुअल फंड के जरिए फंड  हासिल कर सकते हैं। इसकी बड़ी वजह महंगी प्रोसेसिंग फीस है।

इस कारण  छोटे डेवलपर प्राइवेट फंडिंग पर निर्भर रहते हैं जो काफी महंगे हैं। इन दिक्कतों पर विचार करने के बाद ही पीबीएपी ने अपना स्वयं का फंड बनाने का निर्णय  लिया जो छोटे प्रोजेक्ट में आने वाली वित्तीय परेशानियों को दूर करने के लिए इनमें हिस्सेदारी खरीदेगा। जैन ने बताया कि पीबीएपी रियलिटी इन्वेस्टमेंट फंड के पहले संस्करण का लॉक  इन पीरियड 7 साल होगा।

हालांकि इस बीच यह निवेश दूसरे पीबीएपी सदस्य को स्थानांतरित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को वित्तीय और कानूनी विशेषज्ञों ने मंजूर कर दिया है। बाद में पीबीएपी निवेश कमेटी इस पर अपनी राय देगी। उनकी योजना एक माह के नोटिस पर फंड को वितरित करने की है। वे उसी प्रोजेक्ट पर निवेश करेंगे जिसकी समय सीमा 18 से 24 माह हो। एक बार यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद निवेश दूसरे प्रोजेक्ट को स्थानांतरित हो जाएगा। यहां मिला रिटर्न निवेशकों के बीच बंटेगा।

पीबीएपी ने एक ट्रस्ट की भी स्थापना की है जो इस फंड की गतिविधियों का संचालन करने वाली एक अलग कंपनी होगी। पीबीएपी सदस्य और इस कंपनी के प्रबंध निदेशक रंजीत नायकनावारे ने बताया कि निवेश जमीन की कीमत के आधार पर होगा क्योंकि इस स्थिति में विनिर्माण गतिविधियों के लिए बैंक का फंड आसानी से उपलब्ध होता है। उन्होंने उम्मीद जताई की यह फंड 2009 तक तक 300 करोड़ रुपये का हो जाएगा।

First Published - June 11, 2008 | 11:00 PM IST

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