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पुंज लॉयड: मुश्किलों भरा दौर

Last Updated- December 07, 2022 | 3:43 AM IST

पुंज लॉयड के ऑडिटरों ने कंपनी के खातों के नोट्स में इस बात का जिक्र किया है कि साइमन कार्वस के साथ हुए सौदे से कंपनी को हुए घाटे के मद्देनजर कंपनी ने कुछ भी वित्तीय सहायता प्रदान नही किया है।


कंपनी को इस सौदे से 300 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है,जबकि सायमन कार्वस पुंज लॉयड द्वारा अधिग्रहित कंपनी है। ऑडिटरों के मुताबिक अगर कंपनी को यह घाटा उसके खाते के तहत हुआ होता तो इंजीनियरिंग फर्म को पहले से ही हुए 483 करोड़ रुपये का मुनाफा इस स्तर से कम होता।

यह रकम ही इतनी प्रभावी है कि पिछले शुक्रवार को कंपनी के शेयर 13 फीसदी पर पहुंच गई। इस बाबत प्रबंधन का मानना है कि काम करने की प्रणाली और इसके स्कोप में हुए बदलावों के चलते कीमतों में इजाफा हुआ है।

प्रबंधन इस बात को भी स्पष्ट करती है कि कंपनी ने डेढ़ करोड़ पाउंड के सेटलमेंट की बात कर ली है,जबकि बाकी बची रकम की भी सेटलमेंट की बात कर रही है जो हमारे हक  में परिणाम देनी चाहिए। बहरहाल स्टील की चिंताएं अभी भी बरकरार हैं।

जबकि इस बीच मार्च 08 के तिमाही परिणामों से स्ट्रीट खासा खुश था,क्योंकि जहां इस तिमाही में रेवेन्यू में कुल 38 फीसदी का इजाफा हुआ था,वहीं 08 के वित्तीय वर्ष के संगत देखा जाए तो रेवेन्यू में 51 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ जो पहुंचकर 7,753 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके अलावा कंपनी की उम्मीद से कहीं बढ़कर उसके ऑपरेटिंग मार्जिन में हुए 0.1 फीसदी की बढ़ोत्तरी भी स्ट्रीट की खुशी का राज थी।

यह इजाफा कंपनी को मुख्यत:स्टैंड अलोन ऑपरेशनों और लुभावने ऑपरेटिंग सहित कर्मियों पर होने वाले खर्च में कटौती के चलते हुआ। दूसरी ओर कंपनी के रेवेन्यू में 60 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली कंपनी की अंतरराष्ट्रीय सब्सिडियरी के मार्जिन पर नजर दें तो इसमें 250 बेसिस प्वांइट की गिरावट के साथ मार्जिन 3.9 फीसदी रह गया है।

हालांकि इसमें बदलाव आने चाहिए,क्योंकि कंपनी ने कई कम मार्जिन वाले सौदें किए हैं। लेकिन भारत में इससे मार्जिन पर कोई असर नही पड़ा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इंडियन ऑर्डर के हाइयर मार्जिन में खासी गिरावट दर्ज हुई है। बावजूद इसके कि कंपनी का मौजूदा ऑर्डर बुक प्रभावी 19,600 करोड़ रुपये है और इसके बिक्री में 2.5 गुणा की बढ़ोत्तरी हुई है।

इसके अलावा भारत में कंपनी के मार्जिन पर बदलाव ने आने का कारण कच्चे माल की कीमतों में इजाफा होना भी है। मसलन पिछले चार महीनों के दौरान स्टील की कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी  कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट को इस साल दबाव में रख सकता है। हालांकि इसमें ज्यादा से ज्यादा यह हो सकता है कि कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मौजूदा स्तर पर बना रहा सकता है।

इस संबंध में कंपनियों पर नजर रखने वालों का कहना है कि जब तक अन्य इंजीनियरिंग और कन्स्ट्रक्शन कंपनियां इस बाबत कदम नहीं उठाती हैं तब तक पुंज लॉयड शायद बढ़ते लागत को काबू में न कर सके। मालूम हो कि ऐसा कंपनी के द्वारा किए गए सौदों के चलते हो रहा है,क्योंकि कंपनी ने सौदे उस समय किए थे,जब स्टील कीमतें थीं पर अब तस्वीर कुछ और है।

वैसे कंपनी को उम्मीद है कि कंपनी वित्तीय वर्ष 09 में कुल 9,700 करोड़ रुपये के रेवेन्यू जुटा सकती है। जबकि इस दौरान शुद्ध मुनाफा 400 करोड़ रुपये का हो सकता है। उधर 281 रुपये प्रति शेयर की दर पर कंपनी के शेयर वित्तीय वर्ष 09 के आकलित मूल्य से 22 गुणा पर कारोबार कर रहा है।

एस्टरलाइट: कारोबार की रिफाइनिंग

क्या एस्टरलाइट इंडस्ट्रीज अमेरिकी कॉपर माइनिंग,एस्मेल्टिंग और रिफाइनिंग कं पनी अर्साको की खरीद से अपने मेटल फर्म कारोबार के जोखिमों को कम कर सकेगा? यह एक अच्छा सवाल हो सकता है लेकिन निश्चित तौर पर कंपनी के विस्तार से यह एबिडा कर की  अदायगी और बेहतर तरीके से कर सकती है। 

कुछ सालों के दौरान कंपनी के द्वारा अदा किया जाने वाला यह कर 45 फीसदी से गिरकर 31 फीसदी पर आ गया है। जबकि तांबा के योगदान की बात करें तो इस वक्त इसकी हिस्सेदारी जहां 17 फीसदी है,कुछ दिनों के भीतर इसके बढ़कर 40 फीसदी से ज्यादा हो जाने की है। 24,705 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली एस्टरलाइट ने दिवालिया घोषित हो चुके असार्को को कुल 2.6 अरब डालर में अधिग्रहित किया है। यह रकम उसने नकद अदा की है।

एस्टरलाइट ने असार्को का वैल्यूएशन 2007 एबिडा के चार गुणा के रुप में किया है। गौरतलब है कि असार्को की माइनिंग क्षमता कॉपर रिजर्व के 50 लाख टन आकलित की गई है। लिहाजा,एस्टरलाइट के लिए यह डील खासी खर्चीली नही है। हालांकि डील पूरी करने के लिए यह कुछ कर्जे ले सकती है,जो यह नकद रकम के रुप में ही इस्तेमाल में लाएगा। 

इस वक्त तांबे के एलएमई का मौजूदा भाव 7979 डॉलर प्रति टन है। अगला मसला असार्को के साथ आता है कि क्या यह हाईयर मार्जिन फीनिस्ड प्रॉडक्ट मसलन कॉपर कैथोड और कैथोड रॉड  के लिए कुछ प्रीमियम की मांग भी करेगा क्योंकि इससे इसके मुनाफे में सुधार आ सकता है। 

एस्टरलाइड के शेयर 902 रुपये की दर पर वित्तीय वर्ष 09 की अर्निंग के आकलन से 14 गुणा जबकि हिंडॉल्कों के शेयर 184 रुपये की दर पर इस वित्तीय वर्ष की कमाई के आकलन से 16.3 गुणा पर कारोबार कर रहा है।

First Published - June 5, 2008 | 1:15 AM IST

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