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रैनबैक्सी -परेशानियों से घिरी

Last Updated- December 07, 2022 | 3:41 PM IST

डायची सैंक्यों का खुला ऑफर रैनबैक्सी के माइनारिटी शयरधारकों के लिए इस महीने के बाद प्रस्तावित किया जाएगा।


अधिग्रहण के वक्त जिस रैनबैक्सी के शयरों की कीमतें काफी ज्यादा चढ़ी थीं वह इस वक्त 516 रुपये के करीब कारोबार कर रही हैं। जबकि वाणिज्यिक वर्ष 2008 के संदर्भ में कीमत कमाई के अनुपात की बात करें तो यह अनुपात वाणिज्यिक वर्ष के 32 गुना पर कारोबार कर रहा है जो बेहद सस्ता नही है।

बहरहाल इस साल कमाई दवाब में रह सकती है पर नतीजतन वाणिज्यिक वर्ष 2009 में कमाई में इजाफा हो सकता है। क्योंकि उस साल के लिए अनुपात 17 से 18 गुना पर काम करना शुरू कर देगा। लेकिन कंपनी के लिए चिंता का सबब इतना ही नही है बल्कि इसके लिए मार्क-टू-मार्केट घाटे का होना भी परेशानी है।

मालूम हो कि कंपनी को आउटस्टैंडिंग डेरिवेटिव्स के सौदों और अमेरिका के एफडीए के कारण कंपनी को 900 करोड़ रुपये का मार्क-टू-मार्केट घाटा हुआ है। इसके अलावा ओपन ऑफर की कीमत के 737 रुपये के आकर्षक स्तर पर होने और स्वीकृति अनुपात के 30 फीसदी के स्तर पर होने के कारण जितने शेयर स्वीकृत किए गए हैं उतने की बिक्री का एक मतलब निकलेगा।

इन सबके बीच रैनबैक्सी के लिए कोढ़ में खाज का काम जून 2008 की तिमाही के परिणाम भी रहे जिसकी वजह से कंपनी के शुद्ध मुनाफे में 91 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। ऐसा कंपनी के फॉरेक्स घाटे के कारण हुआ है। इतना ही नही बल्कि ट्रांसलेशनल घाटे का सांमजस्य करने के बाद भी साल दर साल के आधार पर कर चुकाने बाद का मुनाफा यानी पीएटी 161 करोड़ पर पूरा सपाट रहा। इसके अलावा कंपनी के कुल रेवेन्यू के 13 फीसदी चढ़कर 1,830 करोड़ रुपये होने के बावजूद भी अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में जहां कंपनी का एक तगड़ा कस्टमर बेस है, कारोबार छिटपुट ही रहा।

हालांकि कंपनी इन सब परेशानियों से उबरने की कोशिश कर रही है और इस साल के अंत तक कंपनी कई सारे नए उत्पाद लांच करने जा रही है। इन उत्पादों की विदेशी बाजारों में खासकर ज्यादा मार्केटिंग की जा रही है जिसके कारोबार होने के बाद कंपनी के रेवेन्यू और मुनाफे में इजाफा हो सकता है। साथ ही कंपनी को भरोसा है कि वाणिज्यिक वर्ष 2008 में कंपनी को कुल 7,900 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हो सकता है जो पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा होगा। बात जहां तक शुद्ध मुनाफे की है तो वाणिज्यिक वर्ष 2007 के 775 करोड़ रुपये के मुकाबले इस बार इसके 550 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है।

आरकॉम- आसार अच्छे नहीं

जून 2008 तिमाही में आरकॉम के द्वारा अपने जीएसएम नेटवर्क की विस्तार योजना को अमली जामा पहनाने के बावजूद इसके प्रति इस्तेमालकर्ता के औसत रेवेन्यू प्रति यूजर(एआरपीयू) में एक तेज क्रमिक गिरावट आने के कारण इसका टॉपलाइन ग्रोथ सपाट रहेगा।

इतना ही बल्कि एआरपीयू में 11 फीसदी की गिरावट के साथ साथ इस्तेमाल की समयावधि यानी एमओयू में भी एक फीसदी की गिरावट के कारण जून तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू गिरकर 5,229 करोड़ रुपये रह गया है। एआरपीयू में गिरावट हालांकि अभी कुछ समयों से इस इंडस्ट्री में गिरावटी रूझान का नतीजा है लेकिन अपने प्रतिद्वंदी कंपनियों मसलन भारती, एयरटेल की भी बात करें तो उनके मुकाबले आरकॉम के एआरपीयू में खासी गिरावट दर्ज की गई है।

विशेषकर आरकॉम अपने प्रतिद्वंदियों से इतर इस्तेमाल किए जाने वाली समयावधियों में भी इजाफा दर्ज नही कर सका है बावजूद इसके की टैरिफों में गिरावट भी आई है। कंपनी के परेशानी का सबब इसके परिचालन खर्च का अपेक्षाकृत ज्यादा भी होना है। इसकी वजह से कंपनी के परिचालन मुनाफे के अंतर में कुल 160 बेसिस प्वाइंट की कमी आई है । आरकॉम जो अब तक सिर्फ सीडीएमए की सेवाएं दे रहा था अब अपने प्लेटफॉर्म से जीएसएम नेटवर्क की भी शरूआत करने जा रहा है।

इस साल के अंत तक कंपनी 14 अतिरिक्त इलाकों में कंपनी अपनी इस सेवा का विस्तार करेगा। विश्लेषकों को यह भरोसा है कि इस प्रकार दोनों सेवाएं देनो से कंपनी को अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने में तो सहायता मिलेगी ही साथ ही उसे बाजार अपनी हिस्सेदारी को भी बढ़ाने में सहायता मिलेगी। प्रारंभिक अवस्था में इसके ग्राहकों की संख्या में बहुत तेजी से इजाफ होगा ऐसा एकदम सुनिश्चित नही है।

साथ ही कंपनी को वित्तीय वर्ष 2009 में कुल 23,700 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। जबकि कंपनी के शुद्ध मुनाफे में 24 फीसदी के इजाफे रहने की उम्मीद है। इस प्रकार कंपनी का शुद्ध मुनाफा 6,200 करोड़ रुपये रहेगा। प्रति शेयर कमाई के अनुपात की बात करें तो इसमें 13 से 14 फीसदी के इजाफे के साथ इसके 30 रुपये पर पहुंचने की उम्मीद है जबकि इसके शेयर मौजूदा 442 रुपये की कीमत पर वित्तीय वर्ष 2009 के अनुमानित कमाई से 15  गुना पर कारोबार कर रहे हैं।

First Published - August 6, 2008 | 10:37 PM IST

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