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एक साल तक रह सकता है मंदी का दौर

Last Updated- December 07, 2022 | 11:07 PM IST

सेंसेक्स के 11000 अंकों से नीचे उतरने के बाद राजेश भयानी ने बाजार विशेषज्ञों से आने वाले दिनों के बारे में उनके अनुमानों के बारे में बातचीत की।


साथ ही उन्होंने यह जानने की भी कोशिश की कि इन हालात से निवेशकों को किस प्रकार निपटना चाहिए।

निवेशकों को निवेश का अनुशासित तरीका अपनाना चाहिए।
ज्योति जयपुरिया
शोध प्रमुख, डीएसपीएमएल

आपके अनुसार क्या विदेशी संस्थागत निवेशक आगे भी बिकवाली जारी रखेंगे?

जब तक वैश्विक परिदृश्य की दिशा साफ नहीं होती तब तक अस्थिरता जारी रहेगी।

इक्विटी बाजार के बारे में आपका नजरिया क्या है?

बाजार वैश्विक कारकों से प्रभावित होते हैं। ऋण संकट यूरोप में भी अपने पांव पसार रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के संबंधों को देखते हुए ऐसा कोई भी देश नहीं है जो इस प्रभाव से पूरी तरह बचा हो सकता हो। कई प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौती से थोड़ी मदद जरूर मिलेगी लेकिन ऋण की उपलब्धता को प्रभावित करने में इसे थोड़ा समय लगेगा।

वैश्विक मंदी से प्रभावित होने के मामले में भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद में निर्यात का योगदान केवल 15 फीसदी का है। हमारा मानना है कि भारत विश्व में सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। हालांकि, परिशुध्द तरीके से देखा जाए तो अर्थव्यवस्था में पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ी मंदी होगी।

आय भी घट कर लगभग 10 से 15 प्रतिशत हो सकता है, यह अपेक्षाकृत अच्छी वृध्दि दर है, लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में यह कम है। एक तरफ जहां इन कारकों से इक्विटी बाजार प्रभावित होगा वहीं हमारा मानना है कि बड़े परिमाण में मूल्यों में सुधार देखी जा चुकी है।

ऐसा अनुमान है कि सुधार का दौर अगले 6 से 12 महीनों तक जारी रहेगा। इस अवधि के दौरान बाजार में आगे और भी गिरावट आ सकती है।

ऐसी परिस्थिति में निवेशकों को क्या करना चाहिए?

निवेशकों को निवेश का अनुशासित तरीका अपनाना चाहिए। परिसंपत्ति वर्ग के मामले में पोर्टफोलियो में पर्याप्त विशाखण होना चाहिए। लंबी समयावधि में, प्रतिफल के मामले में इक्विटी अधिकांश परिसंपत्ति वर्ग को मात देते हैं।

हालांकि, निवेशकों को अपने जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन करते हुए फंडों का आवंटन करना चाहिए। दूसरी बात कि कभी बाजार में उपयुक्त समय की तलाश नहीं करनी चाहिए।

जल्द ही बदलेगा बाजार का रुख

खुदरा निवेशकों ने म्युचुअल फंडों में अपना निवेश बड़े पैमाने पर बनाए रखा है
के विजयन
सीईओ, जेपी मॉर्गन एएमसी

एफआईआई द्वारा की जाने वाली वर्तमान बिकवाली के बारे में आप क्या कहेंगे?

बाजार में गिरावट इसलिए आ रही है क्योंकि आपूर्ति बढ़ रही है और खरीदारी का कोई सहारा इसे नहीं मिल पा रहा है। भारत के प्रति दीर्घावधि का नजरिया रखने वाले विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) फिर से बाजार में प्रवेश करने के लिए वैश्विक उठा-पटक के शांत होने के संकेतों का इंतजार कर रहे हैं।

भारतीय बाजार में बिकवाली करने वाले एफआईआई नकदी के लिए ऐसा करने को बाध्य थे। इसके अलावा, जो बाजार में प्रवेश करने का इंतजार कर रहे हैं उन्हें निवेश करने की कोई जल्दी नहीं है। निचले स्तर पर कुछ बुध्दिमान निवेशकों ने बाजार में पैसा लगाना शुरू कर दिया है।

क्या म्युचुअल फंडों पर भी यूनिटों के भुनाए जाने का दबाव है?

इससे पहले भी मैंने मंदी का चक्र देखा है, और मुझे आश्चर्य है कि खुदरा निवेशकों ने म्युचुअल फंडों में अपना निवेश बड़े पैमाने पर बनाए रखा है। अब उन्हें लगता है कि निवेश बनाए रखने से ही उन्हें अच्छा प्रतिफल मिलेगा।

कुछ रिडम्पशन तो होना ही था, लेकिन अधिकांश योजनाबध्द निवेश योजनाएं पहले की तरह जारी हैं। पैसों के बाहर जाने के नजरिए से देखें तो यह लगभग पिछले वर्ष की तरह ही है। इस साल पैसों के अंतर्प्रवाह पर असर पड़ा है।

परिदृश्य कैसा है?

मुझे लगता है कि अब बाजार में स्थिरता आनी चाहिए। मैं कहना चाहूंगा कि पिछले साल भारत की स्थिति मजबूत थी, किसी व्यक्ति को कम परिमाण में धीरे-धीरे इक्विटी जोड़ना चाहिए क्योंकि परिस्थितियों में बदलाव भी जल्द नहीं होते हैं। पीएफ और पेंशन फंडों के पैसे बाजार में आने का इंतजार कर रहे हैं। अगर ये पैसे बाजार में आते हैं तो तेजी आना लगभग तय है।

गिरावट में कहां लगाएं पैसा

30 शेयरों वाला बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स में जनवरी के बाद 45.73 प्रतिशत की गिरावट आई है। संपत्ति प्रबंधकों का कहना है कि सस्ते में खरीदारी करने का यह सही समय है।

सेंसेक्स के 10000 अंको का रुख करने के साथ-साथ इक्विटी ज्यादा आकर्षक हो गया है। शेयरों के मूल्य गिरने से पोर्टफोलियो में इक्विटी का अनुपात बढ़ाए जाने की जरूरत है। लेकिन इसके साथ ही निवेशकों को 2 वर्षों की समय-सीमा रखनी चाहिए।
राहुल रेगे
सेंट्रम वेल्थ मैनेजमेंट

पोर्टफोलियो में इक्विटी का आवंटन बढ़ाएं। इस सत्र पर कमोडिटीज में निवेश करने का कोई खास तुक नजर नहीं आता। अगर निवेशक इक्विटी में निवेश नहीं करना चाहता है तो पोर्टफोलियो के लगभग 10 प्रतिशत का निवेश इक्विटी लिंक्ड स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट में किया जा सकता है।
विपुल शाह
जेएम फाइनैंशियल

जब तक वैश्विक बाजार स्थिर होता है तब तक निवेशकों को ऐसे आस्ति वर्ग की तलाश करनी चाहिए जिसमें कम जोखिम हो। उदाहरण के लिए वह लिक्विड प्लस योजनाएं या एफएमपी पर विचार कर सकते हैं जो रियल एस्टेट आदि में निवेश नहीं करते हैं।
निपुण मेहता
एसजी प्राइवेट बैंकिंग

स्रोत- वैल्यूरिसर्च, बातचीत- तिनेश भसीन

First Published - October 9, 2008 | 10:12 PM IST

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