पिछले कुछ महीनों में इक्विटी म्युचुअल फंड में होनेवाले निवेश और प्रतिपादन में गिरावट देखी गई है।
मार्च और जुलाई के बीच में निवेशकों ने 18,401 करोड रुपये की यूनिटों का रिडिंपशन किया जबकि इसी दौरान इनफ्लो 25,346 करोड़ रुपये का रहा। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमफआई) द्वारा एकत्र आंकडों के अनुसार इस साल जनवरी से होनेवाले निवेश में लगातार गिरावट आई है।
जनवरी में यह 12,717 करोड रुपये था जबकि जुलाई में यह गिरावट केसाथ सिर्फ 2,538 करोड रुपये रह गया। अब ऐसा लगता है कि लोग इनकम फंड केरास्ते से निवेश करने को तरजीह दे रहे हैं। जुलाई में इन्कम फंड ने 8,640 करोड़ इकठ्ठे किए थे।
पूंजी निवेश केअलावा रिडिंपशन में भी तेजी से गिरावट आई है। मार्च में यह 5,660 करोड रुपये था जो कि जुलाई में गिरकर यह 2,483 करोड रुपये रह गया। इस साल जनवरी के बाद शेयर बाजार में उठा-पटक का दौर जारी है जिसकेकारण कि निवेशकों के उत्साह और विश्वास में कमी आई है। इस स्थिति में अभी भी सुधार नहीं हुआ है और निवेशकों को बाजार में और गिरावट आने डर सता रहा है।
बाजार में गिरावट का दौर जारी रहने के कारण इक्विटी फंडों के नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) को भी करारा झटका लगा है। खुदरा निवेशकों जिनका का कि पैसा इस तरह केफंड में लगा था उसमें घाटा होने के बाद निवेशक निवेश करने से कतरा रहे हैं।
जहां तक फंड प्रबंधकों की बात है तो वह भी सुरक्षात्मक रवैया अपना रहें हैं और बाजार में खस्ता कारोबारी हालत को देखते हुए निवेश करने केबजाय पैसा अपने पास ही रखना चाहते हैं। इस बारे में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के उप प्रबंध निदेशक निमेश शाह का कहना है कि निवेशकों का बाजार के प्रति अविश्वास और डर का माहौल बनने के बाद उसे दूर होने में थोड़ा समय लगता है।