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स्मॉलकैप पर नियामक की सख्ती माइक्रोकैप के लिए चिंताजनक

मार्च में अब तक निफ्टी माइक्रोकैप 250 सूचकांक 7 प्रतिशत से अधिक गिरा है जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में 1.5 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई

Last Updated- March 13, 2024 | 10:42 PM IST
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माइक्रोकैप शेयरों पर जांच की तलवार लटक रही है, क्योंकि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) स्मॉलकैप शेयरों में निवेश पर अपना ​शिकंजा कस रहा है। इसे देखते हुए विश्लेषकों ने निवेशकों को सुझाव दिया है कि इस सेगमेंट से कुछ समय के लिए बाहर निकल जाना चाहिए।

स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा का कहना है कि नियामक मूल्यांकन के मोर्चे पर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, ‘हाल तक, माइक्रोकैप में गिरावट को खरीदारी अवसर के तौर पर देखा जा रहा था, जो सही भी साबित हुआ। लेकिन जब मूल्यांकन ज्यादा बढ़ जाता है तो सुरक्षा जाल कमजोर पड़ जाता है। इसलिए लालच पर नियंत्रण पाना और मुनाफा कमा लेना या नुकसान में निकल जाना उचित है।’

माइक्रोकैप ऐसे शेयर होते हैं जो 500 कंपनियों (बाजार पूंजीकरण के लिहाज से) के बाहर होते हैं और उनका बाजार पूंजीकरण 5,000 करोड़ रुपये से कम होता है। मार्च में मंगलवार तक निफ्टी माइक्रोकैप 250 सूचकांक 7 प्रतिशत से अघिक गिरा है जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में 1.5 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। इस बीच निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक 0.5 प्रतिशत और 3.6 प्रतिशत नीचे आए हैं।

शेयरों में, जेटीएल इंडस्ट्रीज, आईनॉक्स विंड, न्यूलैंड लैबोरेटरीज, रैंकी इन्फ्रास्ट्रक्चर, एमएएस फाइनैं​शियल सर्विसेज, हिमाद्री स्पे​शियलिटी केमिकल और जिंदल वर्ल्डवाइड में ज्यादा गिरावट आई। एसीई इ​क्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि एक्सचेंजों पर इन शेयरों में 18 प्रतिशत से 33.4 प्रतिशत के बीच कमजोरी आई।

सेबी की बढ़ती चिंता

पिछले एक साल के दौरान माइक्रोकैप शेयरों में बड़ी तेजी आई थी। निफ्टी माइक्रोकैप 250 सूचकांक के 250 शेयरों में से 70 से ज्यादा शेयर इस दौरान 100 प्रतिशत से ज्यादा (722 प्रतिशत तक भी) चढ़े। इनमें जीई टीऐंडडी, आनंद राठी वेल्थ, इलेक्ट्रोस्टील का​स्टिंग्स, आईनॉक्स विंड और एचबीएल पावर सिस्टम्स मुख्य रूप से शामिल हैं। इन शेयरों का पिछले 12 महीने का पीई बढ़कर 256 गुना तक पहुंच गया।

सूचकांक स्तर पर बात करें तो माइक्रोकैप बेंचमार्क इस दौरान 75 प्रतिशत (27.3 गुना) चढ़ा जबकि निफ्टी-50 में 28.3 प्रतिशत (23 गुना पीई) की तेजी आई। अत्य​धिक तेजी की वजह से सेबी को निवेशकों को इस सेगमेंट में बुलबुले जैसे हालात से बचाने के कदम उठाने के लिए आगे आना पड़ा है।

11 मार्च को सेबी ने कहा कि वह उन नियमों को संशोधित करने के लिए तैयार है जो स्मॉल- और मिड-कैप फंडों को अपनी संपत्ति का कम से कम 65 प्रतिशत इन शेयरों में निवेश करने के लिए बाध्य करते हैं। सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने कहा कि नियामक को स्मॉल एंड मिडसाइज एंटरप्राइज (एसएमई) सेगमेंट में ट्रेडिंग और आईपीओ स्तर दोनों पर जोड़तोड़ के संकेत मिले हैं। उन्होंने कहा, ‘बाजार में उफान जैसी स्थिति है।

कुछ लोग इसे बुलबुला कहते हैं। इसे बढ़ने देना ठीक नहीं हो सकता क्योंकि जब यह फूटता है तो निवेशकों पर इसका बुरा असर पड़ता है। एमएफ ट्र​स्टियों को इस जोखिम का मुकाबला करने के लिए नीति बनानी चाहिए।’ पिछले महीने बाजार नियामक ने फंड प्रबंधकों से स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों का स्ट्रेस-टेस्ट करने और पा​​क्षिक रिपोर्ट सौंपने को कहा था।

राइट हॉराइजंस के संस्थापक एवं फंड प्रबंधक अनिल रीगो कहते हैं, ‘स्मॉल/माइक्रोकैप सेगमेंट में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है क्योंकि निवेशक महंगे मूल्यांकन की चिंताओं को लेकर सतर्क हो रहे हैं। इन सेगमेंट में निवेश लगभग सर्वा​धिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है और सख्ती की ताजा खबरों के कारण माइक्रोकैप से निकासी को बढ़ावा मिल सकता है।’

उन्होंने कहा कि निवेशकों को स्मॉलकैप और माइक्रोकैप सेगमेंट में आंशिक मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए और संपूर्ण पोर्टफोलियो प्रदर्शन को मजबूती देने के लिए फ्लेक्सीकैप श्रे​णियों में निवेश करना चाहिए।

First Published - March 13, 2024 | 10:42 PM IST

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