भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) म्युचुअल फंड कंपनियों द्वारा अखबारों में ऑडिट खातों की जानकारी प्रकाशित करने की अनिवार्य जरुरत पर पुनर्विचार कर रही है।
गुरुवार को इस संदर्भ में सेबी की असोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के साथ पहले दौर की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक यह मसला अगले सप्ताह मुंबई में होने वाली सेबी बोर्ड की बैठक के सामने विचार के लिए रखा जाएगा।
सभी फंड हाउस प्रत्येक वर्ष के अप्रैल और अक्टूबर महीने में अपनी संक्षिप्त वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करते हैं। एम्फी का मानना है कि फंड हाउस विज्ञापनों और प्रकाशित किए जाने वाले परिणामों या इनकी प्रिंट प्रति पर होने वाले भारी खर्चे में बचत करने के लिए ऐसी सारी सूचनाएं इंटरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध करा सकती हैं।
असोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के अध्यक्ष ए पी कुरियन ने कहा, ‘वर्तमान नियम यह कहता है कि ऑडिटेड खातों को अखबारों में प्रकाशित किया जाना चाहिए। हमलोग इस मसले पर विचार कर रहे हैं।’ हालांकि, उन्होंने इस संदर्भ में ज्यादा विस्तार से जानकारी नहीं दी। अगर सेबी एम्फी के प्रस्तावों को मंजूरी दे देता है तो म्युचुअल फंड के नियमों में संशोधन करने की आवश्यकता होगी।
सेबी बोर्ड नए फंड ऑफर के पेशकश दस्तावेजों को सामान्य बनाने की मंजूरी भी दे सकती है क्योंकि इससे लागत के साथ-साथ उसे तैयार करने से लेकर नियामक की मंजूरी के लिए भेजे जाने में लगने वाले समय में कमी आएगी।
सेबी ने हाल ही में फिक्स्ड मैच्योरिटी योजनाओं जिसके तहत अल्पावधि के ऋण उपकरणों में निवेश किया जाता है, के द्रुत गति से निपटान का प्रस्ताव रखा है। म्युचुअल फंड के लगभग 70 प्रतिशत पेशकश दस्तावेज नियत कालिक योजनाओं के लिए भरे जाते हैं जैसे कि फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान और इंटर्वल स्कीम जिसकी कई श्रृंखलाएं होती हैं।
यद्यपि म्युचुअल फंड कंपनियां अनिवार्य महत्वपूर्ण सूचना ज्ञापन के अनुसार प्रकटीकरण करती हैं लेकिन बाजार में हिस्सा लेने वालों का मानना है कि पेशकश दस्तावेज का एक बड़ा हिस्सा दुहराया जाता है।