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सही मूल्य निर्धारण बदल सकता है आईपीओ बाजार

Last Updated- December 05, 2022 | 9:11 PM IST

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्राथमिक बाजार में सुधार लाने की तैयारी में है ताकि निवेशकों को लाभ हो और आईपीओ बाजार के प्रति उनका विश्वास फिर से लौट सके।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह नव जागरण तभी संभव है जब पब्लिक इश्यू के मूल्य आकर्षक हों और सेकंडरी बाजार में प्रतिफल के मामले में उनमें स्थायित्व हो।


सेबी के अध्यक्ष सी बी भावे ने हाल ही में कई उपायों का  प्रस्ताव किया है जिनमें आईपीओ आवंटन प्रणाली में तेजी लाना, पात्र संस्थागत खरीदारों (क्वालिफायड इंस्टीटयूशनल बायर्स) से पब्लिक इश्यू के लिए शुरू में ही 100 प्रतिशत भुगतान के लिए कहना और ऐसे तंत्र की व्यवस्था करना कि जब तक निवेशकों को शेयर आवंटित न हो जाएं तब तक उनके बैंक खाते में अभिदान की राशि बनी रहे, शामिल हैं।


निवेश सलाहकार एस पी तुलसियान का नजरिया है कि प्राथमिक बाजार को ज्यादा सक्षम बनाने की दिशा में सेबी के प्रस्तावित उपायों के जरिए वक्त लग सकता है। हालांकि, यहां आईपीओ का सही मूल्य निर्धारण महत्वपूर्ण बात है, इससे निवेशकों के लिए प्रतिफल की सुनिश्चितता बढ़ सकेगी।


उन्होंने कहा, ‘अगर किसी आईपीओ में निवेश करने से अच्छे प्रतिफल प्राप्त होने का अवसर है तो किसी भी परिस्थिति में लोग निवेश अवश्य करेंगे। आईपीओ के हाल में हुए हश्र को देखते हुए मर्चेन्ट बैंकर और कंपनियों को अपने आईपीओ के मूल्य के संदर्भ में सीख लेनी चाहिए और निवेशकों के लिए भी उन्हें कुछ छोड़ना चाहिए।’


आईपीओ सभा में बोलते हुए भावे ने भी प्राथमिक निर्गम के मूल्य निर्धारण की सधे शब्दों में आलोचना की। उन्होंने इशारा किया कि इस मामले में मर्चेन्ट बैंकर और निर्गम जारी करने वाले, दोनों एक ही पक्ष में थे।


उन्होंने कहा, ‘ऐसा समझा जा रहा है कि बाजार में गिरावट आने की वजह से यह समय आईपीओ के लिए बुरा है। मैं आपसे इस पर विचार करने की गुजारिश करूंगा कि ऐसा बाजार की मंदी की वजह से हो रहा है या यह मूल्य से जुड़ा मामला है?’ जनवरी के शीर्ष स्तर से सेंसेक्स में तकरीबन 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।


इस वजह से कई कंपनियों ने अपने आईपीओ और क्वालिफायड इंस्टीटयूशनल प्लेसमेंट निर्गम लाने का इरादा टाल दिया है। अनिल अंबानी द्वारा प्रवर्तित रिलायंस पावर का मेगा आईपीओ भी कमजोर साबित हुआ क्योंकि सूचीबध्द होने के बाद इसके मूल्य में जबर्दस्त गिरावट आई थी।


इसका खास असर अन्य बड़े आईपीओ, जिसमें वॉकहार्ट हॉस्पिटल, एम्मार-एमजीएफ और एसवीईसी कंस्ट्रक्शंस शामिल हैं, पर देखने को मिला। निवेशकों की अरुचि के  कारण इन तीनों कंपनियों को अपनी शेयरों की पेशकश वापस लेनी पड़ी।


प्राइम डेटाबेस ,जो कॉर्पोरेट और प्राथमिक बाजार के विकास को ट्रैक करती है, के  प्रबंध निदेशक पृथ्वी हल्दिया का नजरिया है कि प्राथमिक बाजार आमतौर पर द्वितीयक बाजार का अनुसरण करता है। सही वक्त न होने के कारण आईपीओ का ऐसा हश्र हुआ।


कुछ कंपनियों, जिनमें एम्मार और वॉकहार्ट शामिल हैं, ने ऐसे समय में अपने प्राथमिक निर्गम की घोषणा की जब बाजार में उठा-पटक चल रही थी और तरलता का अभाव था। उन्होंने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति आईपीओ के मूल्य से संबंधित शिकायत नहीं करता है अगर द्वितीयक बाजार में सबको अच्छे पैसे मिल रहे हों।’


विश्लेषकों के अनुसार बाजार की उठा पटक में रिलायंस के आईपीओ ने आग में घी का काम किया क्योंकि इसने सेकंडरी बाजार से ढेर सारा पैसा आकर्षित किया।इस इश्यू का अभिदान 72 गुना हुआ था और तकरीबन 45 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। इस आईपीओ ने  7 लाख 10 हजार करोड़ रुपये संग्रहित किए थे।

First Published - April 10, 2008 | 11:15 PM IST

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