भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने वैकल्पिक निवेश फंडों (AIF) को डायरेक्ट प्लान का विकल्प मुहैया कराने और सिर्फ ट्रेल आधार पर अन्य योजनाओं के लिए वितरण शुल्क वसूलने का निर्देश दिया है। सेबी के इन निर्देशों का मकसद गलत जानकारी देकर योजनाओं की बिक्री पर लगाम लगाना और शुल्क भुगतान में पारदर्शिता बढ़ाना है। ये डायरेक्ट योजनाएं किसी वितरण शुल्क या प्लेसमेट शुल्क से जुड़ी नहीं होंगी।
सेबी ने कहा है, ‘एआईएफ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सेबी पंजीकृत इंटरमीडिएटरी के जरिये एआईएफ से जुड़ने वाले निवेशक सिर्फ डायरेक्ट प्लान के तहत निवेश करें। सेबी के साथ पंजीकृत ये बिचौलिये अलग से निवेशकों से अलग से शुल्क (परामर्श शुल्क या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट शुल्क के तौर पर) वसूलते हैं। ’
वितरण शुल्क के अग्रिम भुगतान को छोड़कर बाजार नियामक ने कैटेगरी-3 एआईएफ से निवेशकों से समान ट्रेल बेसिस पर ही शुल्क वसूलने को कहा है। कैटेगरी-3 के एआईएफ सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले हेज फंड हो सकते हैं और इन्हें जोखिमपूर्ण निवेश योजना समझा जाता है।
पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं और म्युचुअल फंडों के लिए अपफ्रंट कमीशन पहले से ही प्रतिबंधित है। इस पहल से एआईएफ के लिए वितरकों को मिलने वाले लाभ समाप्त होने से एक समान व्यावसायिक अवसर हासिल होने की संभावना बढ़ी है। सेबी का मकसद गलत जानकारी देकर निवेश याजनाओं की बिक्री को नियंत्रित करना है।
कुछ खास मामलों में, ये अपफ्रंट कमीशन संबद्ध रकम के 5 प्रतिशत तक हो सकते हैं। नियामक का कहना है, ‘किसी तरह का वितरण शुल्क/प्लेसमेंट शुल्क सिर्फ कैटेगरी-3 एआईएफ के प्रबंधकों द्वारा प्राप्त प्रबंधन शुल्क से होगा।’
अन्य श्रेणियों के लिए, एआईएफ कुल वितरण योग्य शुल्क का एक-तिहाई हिस्सा वितरकों को अग्रिम तौर पर चुका सकते हैं, और शेष भुगतान फंड की अवधि के दौरान ट्रेल आधार पर करना होगा।
एआईएफ को निवेशकों को अपने साथ जोड़ते वक्त वितरण शुल्क या प्लेसमेंट शुल्क (यदि कोई हो) का अनिवार्य तौर पर खुलासा करना होगा। इस संबंध में नए मानक 1 मई से प्रभावी होंगे।