भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) एक ऐसे मान्यताप्राप्त संगठन के जरिये शोध विश्लेषकों (आरए) की व्यापक निगरानी पर विचार कर रहा है, जो संबद्ध प्रशासनिक कार्यों, निगरानी गतिविधियों और शिकायत निपटान के लिए जवाबदेह होगा। यह कदम बढ़ते अनचाहे शेयर सुझावों और फाइनैंशियल इनफ्लूएंसरों के बढ़ते दबदबे को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है।
मंगलवार को इस संबंध में जारी एक परामर्श पत्र में कहा गया है कि बाजार नियामक ने निवेश सलाहकारों की तरह ही रिसर्च एनालिस्ट एडमिनिस्ट्रेशन ऐंड सुपरवाइजरी बॉडी (आरएएएसबी) के तौर पर एक निकाय को पहचान दिए जाने का प्रस्ताव रखा है।
सेबी ने प्रस्ताव रखा है कि आरए प्रमाणन पाने के लिए पात्र मानक में से एक के तौर पर इस निकाय के साथ पंजीकरण अनिवार्य होगा। मौजूदा समय में, शोध रिपोर्ट या खरीद और बिक्री का सुझाव देने वाले शोध विश्लेषक को बाजार नियामक सेबी के साथ पंजीकृत होना जरूरी है। सेबी ने शोध विश्लेषक के तौर पर ऐसे पंजीकरण के लिए पात्रता शर्तें और अन्य मानकों के लिए व्यापक ढांचा पेश किया है।
उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि कॉरपोरेट निकाय गठित करने के कदम से सेबी पर नियामकीय बोझ घटेगा और उसे अपने संसाधन मुक्त करने में मदद मिलेगी। जून 2021 में सेबी ने बीएसई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई बीएसई एडमिनिस्ट्रेशन ऐंड सुपरविजन लिमिटेड (बीएएसएल) को तीन साल के लिए निवेश सलाहकार प्रशासन एवं निगरानी निकाय (आईएएएसबी) के तौर पर पहचान दी थी।
हाल में बाजार नियामक ने नई विज्ञापन संहिता को ध्यान में रखते हुए निवेश सलाहकारों द्वारा विज्ञापनों की निगरानी एवं मंजूरी की जिम्मेदारी भी इसमें शामिल की है। सेबी एक मान्यताप्राप्त निकाय के जरिये इस ढांचे का आरए तक विस्तार करना चाहता है। हालांकि सेबी ने आश्वासन दिया है कि प्रस्तावित आरएएएसबी से आरए पर किसी तरह का अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। बाजार नियामक ने इस प्रस्ताव पर 12 सितंबर तक सुझाव मांगे हैं।