बाजार नियामक सेबी ने अफवाह सत्यापन के नियमों के अनुपालन की समयसीमा बढ़ाकर 1 जून कर दी है। पहल यह समयसीमा 1 फरवरी तय की गई थी। इंडियन स्टैंडर्ड फोरम (आईएसएफ) के अपना पक्ष रखने और इससे जुड़े अन्य प्रस्ताव पर टिप्पणी के बाद सेबी ने समयसीमा में विस्तार किया है।
100 अग्रणी सूचीबद्ध कंपनियों को अब मीडिया की रिपोर्ट की पुष्टि, इनकार या सत्यापन 1 जून से करना होगा। वहीं 250 अग्रणी कंपनियों के लिए यह समयसीमा अब दिसंबर की गई है। सेबी ने गुरुवार को जारी परिपत्र में यह जानकारी दी है।
कंपनियों को दूसरी बार समयसीमा में विस्तार मिला है। इससे पहले अक्टूबर 2023 में इसे लागू होना था। कंपनियों की आपत्तियों के बाद बाजार नियामक ने आईएसएफ का गठन किया था, जिसकी सिफारिशें दिसंबर 2023 में जारी परामर्श पत्र में शामिल की गईं।
सूत्रों ने कहा कि बाजार नियामक फरवरी की बोर्ड बैठक में समीक्षा के लिए सुझाव लेगा। बोर्ड के फैसले के आधार पर नियमन में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। परामर्श पत्र में सेबी ने प्रस्ताव रखा है कि सत्यापन तभी होगा जब शेयर कीमतों पर अहम असर पड़े। लेकिन इसके साथ ही बेंचमार्क सूचकांकों- निफ्टी व सेंसेक्स की चाल को भी ध्यान में रखा जाएगा।
कीमत की चाल उस प्रतिभूति के कीमत दायरे के आधार पर तय की जाएगी। उच्च कीमत दायरे में आने वाले शेयरों के लिए कम प्रतिशत की बढ़त या गिरावट को अहम माना जाएगा, वहीं कम कीमत दायरे वालों के लिए उच्च मूल्यांकन को अहम माना जाएगा।
सेबी ने प्रस्ताव रखा है कि कीमत पर असर के बाद 24 घंटे के भीतर सूचीबद्ध कंपनी को इसकी पुष्टि या इनकार करना होगा, जबकि पहले मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्टिंग के 24 घंटे के बाद ऐसा किया जाना था।
बाजार नियामक ने यह प्रस्ताव भी रखा है कि अफवाह के बारे में प्रवर्तकों, निदेशकों और अहम अधिकारियों को सही और समयबद्ध प्रतिक्रिया देनी होगी, न कि सूचीबद्ध फर्म को।