भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) स्टॉक एक्सचेंज जैसे मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MII) के लिए लागू अपने ‘फिट ऐंड प्रॉपर’ मानकों में बदलाव पर विचार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस बदलाव का मकसद संबद्ध संस्थान से लोगों की भूमिका अलग करना है।
मौजूदा ढांचे के तहत, वरिष्ठ कर्मी द्वारा गलत तरीका अपनाने से स्टॉक एक्सचेंज, डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट और समाशोधन सदस्यों जैसे एमआईआई को प्रतिबंधित किया जा सकता है, जैसा कि पिछले समय में ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं।
इसके अलावा, सेबी एक ऐसा क्लॉज लागू करने पर भी विचार कर रहा है, जिसके जरिये एमआईआई के खिलाफ पारित किसी आदेश से उसका परिचालन प्रभावित नहीं होगा, जब तक कि आदेश में इसके बारे में विशेष रूप से जिक्र नहीं किया गया हो।
फिट ऐंड प्रॉपर मानकों से यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि क्या कोई संस्था और व्यक्ति बाजार तंत्र में अपनी महत्ता को देखते हुए एमआईआई का शेयरधारक बनने के लिहाज से पात्र है या नहीं। लोगों को एमआईआई में बड़ी जिम्मेदारियां पाने के लिए फिट ऐंड प्रॉपर मानकों को पूरा करना होगा। कुछ मानकों में निष्पक्षता का रिकॉर्ड, वित्तीय अखंडता, किसी अपराध के लिए किसी अदालत में दोषी नहीं पाया जाना आदि मुख्य रूप से शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि बाजार नियामक स्टॉक एक्सचेंजेस ऐंड क्लियरिंग कॉरपोरेशंस (एसईसीसी) और डिपोजिटरीज ऐंड पार्टिसिपेंट (डीपी) से जुड़े नियमों में कुछ खास क्लॉज संशोधित करने की योजना बना रहा है। इनमें एमआईआई के शेयरधारकों, निदेशकों और मुख्य प्रबंधन कर्मी (केएमपी) जैसे लोगों के लिए फिट ऐंड प्रॉपर मानक शामिल हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘फिट ऐंड प्रॉपर पर्सन की परिभाषा में नए क्लॉज को इस तरह से शामिल किया जा सकता है जिससे संबद्ध व्यक्तियों की उपयुक्तता के बारे में आशंकाएं पैदा होने के मामले में इकाइयों पर नियम लागू करने के संबंध में ज्यादा स्पष्टता लाई जा सके।’
यदि अयोग्यता को बढ़ावा देने वाला कोई आदेश निदेशकों, केएमपी या शेयरधारकों के खिलाफ जारी किया जाता है तो इससे एमआईआई के फिट ऐंड प्रॉपर दर्जे पर प्रभाव पड़ सकता है। अधिकारी का कहना है कि चूंकि एमआईआई सार्वजनिक यूटिलिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर सेवा प्रदाता हैं, इसलिए सेबी नहीं चाहता कि उनका परिचालन प्रभावित हो।
सूत्रों का कहना है कि बाजार नियामक ने 28 जून को हुई बैठक के दौरान बोर्ड के समक्ष इस संबंध में प्रस्ताव रखा था।
नए प्रस्ताव के तहत, केएमपी को अयोग्य घोषित किए जाने पर स्टॉक एक्सचेंज या क्लियरिंग कॉरपोरेशन को 30 दिन के अंदर उस व्यक्ति को बदलना होगा, ऐसा नहीं किए जाने पर एमआईआई के खिलाफ भी फिट ऐंड प्रॉपर नियम लागू हो सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि एमआईआई के लिए इस तरह के बदलाव की जरूरत एनएसई में कथित को-लोकेशन मामले के बाद भी महसूस की गई थी।