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सेबी का ‘वायदा’, नहीं रहेगा ब्याज जोखिम

Last Updated- December 07, 2022 | 7:44 PM IST

एक्सचेंज में कारोबार किए जाने वाले ब्याज दर वायदा कारोबार को दिसंबर-जनवरी में सेबी की अनुमति मिल सकती है, जिससे बैंक और एफआईआई को ब्याज दर के जोखिम से निपटने में मदद मिलेगी।


सेबी के अध्यक्ष सी.बी. भावे ने कहा कि मुद्रा वायदा पेश करने में जितना वक्त लगा, ब्याज दर वायदा कारोबार पेश करने में उससे कम वक्त लगेगा। उन्होंने कोई समय-सीमा तो नहीं बताई, लेकिन संकेत दिया कि अगले पांच महीने के अंदर, यानी दिसंबर-जनवरी तक अनुमति दे दी जाएगी।

शुरुआत में ये वायदा अनुबंध 10 साल के सरकारी बांड के  मुनाफे पर आधारित होगा, जिसका निपटारा वास्तविक डिलीवरी से किया जाना चाहिए। हाल में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बनाई गई तकनीकी समिति ने वायदा अनुबंध की सिफारिश की है।

आरबीआई ने कहा कि जैसे-जैसे बाजार का विकास होगा एक्सचेंज को विभिन्न किस्म की सरकारी प्रतिभूतियों पर अनुबंध पेश करने पर विचार करना चाहिए और इस पर सार्वजनिक टिप्पणी मांगी। समूह ने यह भी सिफारिश की कि इन उत्पादों पर प्रतिभूति लेन-देन कर में छूट दी जानी चाहिए, ताकि नकद बाजार और अन्य प्रतिभूतियों और ब्याज दर वायदे में तालमेल बिठाया जा सके।

वर्ष 2003 में एनएसई द्वारा पेश ब्याज दर वायदा अनुबंध असफल रहने के कारण इस ब्याज दर वायदे की जरूरत पड़ी। इससे पहले 1999 में आरबीआई ने भी ओवर-द-काउंटर ब्याज दर वायदा पेश करने की पहल की थी। इन उत्पादों से संबंधित अनुभवों से सीख लेते हुए आरबीआई के पैनल ने सिफारिश की कि वायदा अनुबंध शुरुआत में 10 साल के सरकारी प्रतिभूति के मुनाफे पर आधारित हो।

First Published - September 3, 2008 | 12:19 AM IST

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