घरेलू म्युचुअल फंड बाजार में दीर्घकालीन नजरिया रखने वाली कंपनियों को परिचालन की अनुमति सुनिश्चित करने के लिए नियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को म्युचुअल फंड लाइसेंस मांगने वाली कंपनियों के नेटवर्थ की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करनी चाहिए।
मौजूदा समय में दो करोड़ रुपए की नेटवर्थ सीमा के साथ कंपनियां म्युचुअल फंड (एमएफ) लाइसेंस हासिल कर सकती हैं। सीआईआई और प्राइसवाटरहाउसकूपर्स द्वारा कराए गए एक संयुक्त अध्ययन में कहा गया है, ‘ प्रारंभिक वर्षों में परिचालन की ऊंची लागत को देखते हुए सेबी को एमएफ लाइसेंस के लिए कंपनियों की नेटवर्थ सीमा मौजूदा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर देनी चाहिए।’
रपट में कहा गया कि इससे केवल वही कंपनियां म्युचुअल फंड बाजार में प्रवेश कर सकेंगी जो म्युचुअल फंड बाजार के लिए प्रतिबध्द हैं और दीर्घकालीन कारोबार का नजरिया अपनाने में सक्षम हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि म्युचुअल फंड उद्योग में नई कंपनियों के प्रवेश के साथ ही आने वाली अवधि में शुल्क की दरें कम होने की संभावना है और इस कारण फंड हाउस आउटसोर्सिंग पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं।
इसके अलावा म्युचुअल फंड कंपनियों को मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए और अधिक कर्मचारियों की जरुरत होगी और इसके लिए उन्हें शिक्षण संस्थानों के साथ गठजोड़ कर ऐसे प्रोग्राम पेश करने चाहिए जो वित्तीय सेवा से जुड़े उद्योगों के लिए समर्पित हो। इसी प्रकार, किसी योजना के लिए खर्च के तहत ली जाने वाली अधिकतम राशि पर पुनर्विचार के मामले में रिपोर्ट में कहा गया है, ‘खर्च के रुप में अतिरिक्त शुल्क लेकर फंड हाउस अपने निवेशकों के नेटवर्क का विस्तार कर सकेंगी।
साथ ही निवेशकों को बेहतर गुणवत्ता वाली सेवाएं मुहैया करा पाएंगी।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समयांतराल में म्युचुअल फंड कंपनियों को अन्य सेक्टरों जैसे बैंकिंग और टेलीकम्युनिकेशन के साथ अपने गठजोड़ को सशक्त बनाना होगा ताकि दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में वे अपनी पहुंच बढ़ा सकें। इसमें कहा गया है, ‘जिन फंड कंपनियों के पास पैसा है वे तकनीकी जरुरतों मेंआवश्यक निवेश कर सकते हैं।
लेकिन लंबी समयावधि में अन्य सेक्टर जैसे बैंकिंग और टेलीकम्युनिकेशन के साथ समझौता करना उद्योग से जुड़े खिलाड़ियों के लिए दीर्घावधि के लिए लाभदायक होगा।’ इसके अतिरिक्त उद्योग से जुड़ी कंपनियों को सक्रिय तौर पर निवेशकों को शिक्षित करना चाहिए क्योंकि इससे घरेलू म्युचुअल फंड बाजार के विस्तार में मदद मिलेगी।