नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड द्वारा प्रस्तावित इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) के लिए वैकल्पिक तरीके से पेमेंट यानी एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड एमाउंट (एएसबीए) के लिए पहले दौर की मॉक (प्रायोगिक) इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग की प्रक्रिया का संचालन किया।
पहले चक्र की इस मॉक इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग में आठ बैंकों, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और दो अन्य बैंकों ने सफलतापूर्वक भाग लिया। मालूम हो कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने वेब आधारित प्रणाली की व्यवस्था की है जिसके तहत इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग को संचालित किया जाएगा।
यह वेब आधारित प्रणाली बैंकों को मुहैया कराई जाएगी जिसके बदले बैंक कुछ निश्चित शाखाएं स्थापित करेंगे जिन्हें एडमिनिस्ट्रेटर के नाम से जाना जाएगा और इस बैंक की अन्य शाखाएं एडमिनिस्ट्रेटर के तहत काम करेंगी। इस मॉक यानी प्रयोग के तौर पर की गई इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग के लिए एनएसई ने एक नकली आईपीओ के लिए बोली लगाई और बैंकों को नकली फाइल तैयार कर इंटरफेस में अपलोड करने के लिए कहा गया।
एनएसई गुरुवार तक इस सत्र को जारी रखने की योजना बना रहा है। एनएसई के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इसके बाद इस इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग को पूरी तरह शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि जरूरत पड़ने पर इसमें मामूली फेरबदल किए जा सकते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इसे लेकर बहुत उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। बंबई स्टॉक एक्सचेंज ने अभी तक इस प्रक्रिया को शुरू नहीं किया है।
हालांकि सूत्रों ने बताया कि एशिया के इस सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज में यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। गौरतलब है कि सेबी प्रमुख सीबी भावे ने क हा था कि एक बार यह व्यवस्था शुरू हो जाने के बाद संस्थागत निवेशकों को उनकी एप्लिकेशन (मौजूदा 10 प्रतिशत) सहित 100 प्रतिशत राशि का भुगतान करना पड़ेगा।
सेबी के प्रस्ताव के मुताबिक एएसबीए प्रक्रिया के लिए सेल्फ-सर्टिफाइड सिंडिकेट बैंक (एससीएसबी) के लिए निवेशकों के आवेदन पत्र स्वीकार करने के साथ बोली लगाने वाली राशि की सीमा तक तक फंड को रोकने और इसकेबाद इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग मशीन में सारी सूचनाओं को अपलोड करना जरूरी होगा।
एक बार एलॉटमेंट का आधार तैयार कर लेने के बाद इश्यूअर द्वारा आवश्यक राशि की निकासी की जाएगी और बाकी बची राशि को एससीएसबी द्वारा मुक्त कर दिया जाएगा। निवेशकों की शिकायतों को दूर करने की जिम्मेदारी बैंकों की होगी। लीड मैनेजरों को एससीएसबी को लिखित रूप में इश्यू को जारी करने की तारीख की सूचना देनी होगी। इश्यू वापस लिए जाने की स्थिति में लीड मैनजरों को एससीएसबी को इसके संबंध में जानकारी देनी होगी।