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भारत में ETF फंडों को सेबी देगा ताकत, कंपनियों पर नियामक कम करना चाहती है बोझ

पिछले तीन वर्षों में ईटीएफ और इंडेक्स फंडों का एयूएम 3.4 गुना बढ़ा, सेबी के इस कदम से दुनिया की बड़े ईटीएफ भारत में रख सकते हैं कदम

Last Updated- April 04, 2023 | 10:15 PM IST
SEBI

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (AMC) के लिए म्युचुअल फंड (MF) लाइट नियमन लाने पर विचार कर रहा है। ये नियमन या कायदे उन म्युचुअल फंड कंपनियों के लिए होंगे जो इस वित्त वर्ष में केवल पैसिव फंड लाएंगे। दिशानिर्देशों का मकसद एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और इंडेक्स फंड लाने वाली कंपनियों पर कायदे-कानून का बोझ 90 फीसदी तक कम करना और शुद्ध हैसियत एवं अनुभव के संबंध में लगी बंदिश खत्म करना है। यह सब उनके लिए होगा, जो निवेश के फैसले मनमाने तरीके से नहीं लेते बल्कि संबंधित बेंचमार्क सूचकांक में होने वाले बदलावों के हिसाब से लेते हैं।

सेबी का यह कदम पैसिव फंड उद्योग की शक्ल पूरी तरह बदल सकता है। भारत में म्युचुअल फंड उद्योग की 40 लाख करोड़ रुपये की प्रबंधनाधीन संपत्ति में पैसिव फंडों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से भी कम है। एमएफ उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि एमएफ लाइट से नई पहलों को बढ़ावा मिल सकता है और दुनिया की बड़ी ईटीएफ कंपनियां भारत आ सकती हैं।

हाल में सेबी निदेशक मंडल की एक बैठक के बाद उसकी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा, ‘अगर इस समय म्युचुअल फंडों के दिशानिर्देश 100 पृष्ठों में फैले हैं तो हम उन्हें केवल 10 पृष्ठ में समेटना चाहते हैं और इसकी शुरुआत पैसिव फंडों से होगी।’ उन्होंने कहा कि म्युचुअल फंड के मौजूदा नियम कायदे केवल एक्टिव फंडों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं तो पैसिव फंड में निवेश करने वाले उनसे बंधकर क्यों चलें।

एमएफ उद्योग पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि सेबी के प्रस्तावित कदम से ईटीएफ क्षेत्र की दिग्गज वैश्विक कंपनियां जैसे वैनगार्ड और स्टेट स्ट्रीट भारत में कदम रख सकती हैं। पैसिव फंडों के नए प्रस्ताव से पहले ही सेबी ने निजी इक्विटी कंपनियों को एमएफ प्रायोजक के तौर पर काम करने की इजाजत दे दी थी।

सेबी के प्रस्ताव पर डीएसपी म्युचुअल फंड में प्रमुख (पैसिव इन्वेस्टमेंट्स) अनिल घेलानी ने कहा, ‘हालांकि अभी तस्वीर और साफ होने का इंतजार है मगर शुद्ध हैसियत, मुनाफा कमाने की क्षमता संबंधी नियमों, पात्रता संबंधी शर्तों की समीक्षा कर रियायत दी जा सकती है। इससे फिनटेक कंपनियों, डिस्काउंट ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म और ऐसी अन्य पीई समर्थित कंपनियों को पैसिव श्रेणी में जगह मिल सकती है। एएमसी आम निवेशकों की रकम के प्रबंधन का कार्य पहले की तरह ही करती रहेंगी, इसलिए निवेशकों के प्रति इनकी जवाबदेही कम नहीं होगी।’

पिछले तीन साल में ईटीएफ और इंडेक्स फंडों की प्रबंनाधीन परिसंपत्तियों में 3.4 गुना बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह निवेश पर आने वाली कम लागत और एक्टिव फंडों का खराब प्रदर्शन रहा है। एम्फी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार इंडेक्स फंडों की एयूएम इस समय करीब 6.72 लाख करोड़ रुपये है। फरवरी 2020 में इनकी एयूएम केवल 2 लाख करोड़ रुपये थी। इस तेज रफ्तार के बाद भी भारतीय ईटीएफ उद्योग का आकार वैश्विक पैमानों के हिसाब से बहुत छोटा है।

First Published - April 4, 2023 | 9:22 PM IST

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