भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गैर-पंजीकृत ‘फिनफ्लुएंसर’ के नियमन के लिए मानदंडों में संशोधन किया है। ऐसे लोगों से जुड़े संभावित जोखिम के बारे में बढ़ती चिंताओं को देखते हुए ऐसा किया गया है। इंटरनेट और डिजिटल मीडिया पर वित्तीय जानकारी देकर प्रभावित करने वालों को फिनफ्लुएंसर कहा जाता है।
नियामक ने तीन अलग-अलग अधिसूचनाओं में उसके नियमन में आने वाली इकाइयों और गैर-पंजीकृत व्यक्तियों के बीच संबंधों पर ‘अंकुश’ लगाया है। सेबी के निदेशक मंडल ने पिछले महीने इस बारे में एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अधिसूचनाओं के अनुसार सेबी के नियमन के तहत आने वाली इकाई और ऐसी इकाई के एजेंटों का ऐसे किसी दूसरे व्यक्ति के साथ संपर्क नहीं होगा जो सीधे या परोक्ष रूप से सलाह देता है या प्रतिफल का साफ-साफ दावा करता है।
नियामक ने कहा, ‘बोर्ड (सेबी) के तहत विनियमित कोई भी इकाई या ऐसी इकाई का एजेंट किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कोई सीधे या परोक्ष संबंध नहीं रखेगा जो किसी शेयर या प्रतिभूतियों के बारे में या उससी जुड़ी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सलाह देता हो या सिफारिश करता हो और वह व्यक्ति सेबी के साथ पंजीकृत न हो या उसे सेबी ने ऐसी सलाह या सिफारिश देने की अनुमति न दी हो।’
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने शुक्रवार को कहा कि नियामक ने पिछले तीन महीने में करीब 15,000 कंटेट साइट को हटाया है, जो बिना किसी पंजीकरण के निवेश सलाह या फिनफ्लूएंसर से जुड़े थे। बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि फिनफ्लूएंसर को सेबी के साथ पंजीकृत करने और विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता के चलते नियामक इस क्षेत्र में जवाबदेही और विशेषज्ञता के लिए मानक स्थापित कर रहा है।
इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि म्युचुअल फंड कंपनियां, शोध विश्लेषक, पंजीकृत निवेश सलाहकार और स्टॉक ब्रोकर फिनफ्लुएंसरों के साथ साझेदारी न करें। यह दिशानिर्देश नियमन के दायरे में न आने वाले फिनफ्लूएंसर से जुड़े संभावित जोखिमों पर बढ़ती चिंता के बीच आया है क्योंकि ऐसे लोग पक्षपातपूर्ण या भ्रामक सलाह दे सकते हैं।
39 शेयर ब्रोकरों व 7 जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण रद्द
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को 39 शेयर ब्रोकरों और सात जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण रद्द कर दिया। पंजीकरण अनिवार्यताएं पूरी करने में विफल रहने पर इन ब्रोकरों का पंजीकरण रद्द किया गया है।
इसके अतिरिक्त नियामक ने उन 22 ‘डिपॉजिटरी’ प्रतिभागियों का पंजीकरण भी रद्द कर दिया जो अब किसी भी ‘डिपॉजिटरी’ से नहीं जुड़े हैं। सेबी ने तीन अलग-अलग आदेशों में कहा, ‘इन इकाइयों के पंजीकरण प्रमाणपत्र को रद्द करने का मुख्य कारण उन्हें ‘डिपॉजिटरी’ का सक्रिय भागीदार या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य बने बिना अपने सेबी पंजीकरण का दुरुपयोग करने से रोकना है, जिससे ‘अनजान’ निवेशकों की सुरक्षा हो सके।
पंजीकरण रद्द होने के बावजूद ये इकाइयां शेयर ब्रोकर या जिंस ब्रोकर या ‘डिपॉजिटरी’ प्रतिभागियों के रूप में की गई किसी भी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हैं। वे सेबी को देय किसी भी बकाया शुल्क, बकाया तथा ब्याज का भुगतान करने के लिए भी जिम्मेदार हैं। सेबी ने अपने आदेश में कहा कि 39 शेयर ब्रोकरों और सात जिंस ब्रोकरों का कुछ शर्तों के तहत पंजीकरण किया गया था। इसमें यह शर्त भी थी कि वे किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य बने रहेंगे।
जिन 39 शेयर ब्रोकर का पंजीकरण रद्द किया गया है उनमें बेजल स्टॉक ब्रोकर्स, रिफ्लेक्शन इन्वेस्टमेंट्स, सम्पूर्ण पोर्टफोलियो, विनीत सिक्योरिटीज, क्वॉन्टम ग्लोबल सिक्योरिटीज, वेलिंडिया सिक्योरिटीज, व्राइज सिक्योरिटीज, क्रेडेंशियल स्टॉक ब्रोकर्स, आन्या कमोडिटीज, अंबर सॉल्यूशंस, आर्केडिया शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स और सी.एम. गोयनका स्टॉक ब्रोकर्स, डेस्टिनी सिक्योरिटीज शामिल हैं।
वेल्थ मंत्रा कमोडिटीज, सम्पूर्ण कॉमट्रेड, चैतन्य कमोडिटीज, बीवीके पल्सेस ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनी, इन्फोनिक इंडिया फाइनैंशियल सर्विसेज, फाइनैंशियल लीडर्स कमोडिटीज और वेलिंडिया कमोडिटीज वे सात जिंस ब्रोकर हैं जिनके पंजीकरण रद्द किए गए। इंटिग्रेटेड स्टॉक ब्रोकिंग सर्विसेज, मूंगिपा इन्वेस्टमेंट्स, एएसएल कैपिटल होल्डिंग्स, अटलांटा शेयर शॉपी, वेल्थ मंत्रा, पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक, मैक्स प्लानवेल्थ सिक्योरिटीज, ब्राइट शेयर्स एंड स्टॉक उन 22 संस्थाओं में शामिल हैं जिनका ‘डिपॉजिटरी’ प्रतिभागियों के रूप में पंजीकरण रद्द कर दिया।