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थरथराता रहा बाजार

Last Updated- December 08, 2022 | 12:41 AM IST

वैश्विक बाजारों में आई गिरावट का असर भारतीय बाजार के शुरुआती कारोबार पर देखा गया और बीएसई सेंसेक्स भारी गिरावट के साथ खुला।


कारोबार के पहले कुछ घंटों में सेंसेक्स में करीब 800 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 10 हजार के मनोवैज्ञानिक आंकड़े से चंद कदम ही ऊपर रहा। हालांकि बुधवार को रिजर्व बैंक की ओर से सीआरआर में एक फीसदी की कटौती और वित्त मंत्री की ओर से बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए 25,000 करोड़ रुपये दिए जाने के ऐलान का असर बाद में दिखा।

 उसके बाद लिवाली का माहौल बना और बाजार ने अच्छी वापसी की। बावजूद इसके कारोबार समाप्ति पर सेंसेक्स 227.63 अंक नीचे 10,581.49 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी भी भारी गिरावट से उबर कर 69.10 अंक नीचे 3,269.30 के स्तर पर बंद हुआ। बीएसई के छोटे और मझोले शेयरों में 1.5 से 2.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

सेंसेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट करीब 12 फीसदी हिंडाल्को के शेयरों में देखी गई। इसके साथ ही टाटा मोटर्स 11 फीसदी, रिलायंस 8 फीसदी, एलएंडटी 7.5 फीसदी, महिंद्रा एंड महिंद्रा करीब 7 फीसदी, इन्फोसिस, ओएनजीसी, एचडीएफसी बैंक और एसीसी के शेयरों में करीब 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

गिरावट केबावजूद रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयरों में 9 फीसदी, डीएलएफ 8 फीसदी, हिंदुस्तान युनिलीवर 7 फीसदी और एचडीएफसी के शेयरों में करीब 5 फीसदी की मजबूती दर्ज की गई।

दुनियाभर में शेयरों की डुबकी

वैश्विक मंदी के भय से एशियाई बाजारों में भारी मुनाफावसूली दर्ज हुई। तोक्यो के शेयर बाजार ने करीब 10 फीसदी गिरावट दर्ज की जबकि वॉल स्ट्रीट को पिछले दो दशकों में सबसे अधिक बिकवाली का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी खुदरा बिक्री की निराशाजनक रपट के कारण वैश्विक बाजारों में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई। डाओ 7.87 फीसदी गिरा। इधर सोल के सूचकांक 7.3 फीसदी और सिडनी के सूचकांक में 6.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।

अमेरिकी बैंक राहत पैकेज अपर्याप्त है, जिससे शेयर बाजार में फिर से गिरावट का दौर शुरू हो गया है। बाजार में जारी अफरा-तफरी से संकेत मिलता है कि इस बारे में और अधिक काम करने की जरूरत है।

जापानी प्रधानमंत्री तारो आसो

यदि संकटग्रस्त वित्तीय बाजारों में स्थिति सामान्य हो भी गई तब भी आर्थिक स्थिति में तुरंत किसी भारी सुधार की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। संकट गहराने से पहले से ही आर्थिक गतिविधियों में कमी आ रही थी।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष   बेन एस. बर्नांके

First Published - October 17, 2008 | 12:33 AM IST

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