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शेयर बाजार में तेजी के बीच करीब 500 प्रवर्तकों ने घटाई अपनी हिस्सेदारी

2020 के शुरू में आए संकट के दौरान बड़ी तादाद में प्रवर्तकों ने हिस्सेदारी बढ़ाई थी। मार्च 2019 में प्रवर्तक हिस्सेदारी 40.88 प्रतिशत थी।

Last Updated- June 25, 2024 | 11:09 PM IST
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मार्च में करीब 462 प्रवर्तकों ने अपनी शेयरधारिता में गिरावट दर्ज की। यह पिछली 12 तिमाहियों में सबसे बड़ा आंकड़ा है। लगातार चार तिमाहियों में यह संख्या बढ़ रही हैं और इस बीच शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सबसे ऊंचे स्तरों पर पहुंच गए हैं। बीएसई का सेंसेक्स गुरुवार को 78,164.71 के सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गया।

462 कंपनियां संबंधित नमूने का करीब 15 प्रतिशत हैं। मार्च के दौरान 289 कंपनियों के प्रवर्तकों ने अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ाई। यह संबंधित नमूने का 9.4 प्रतिशत है। मार्च 2023 से प्रत्येक तिमाही में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की तुलना में ज्यादा संख्या में प्रवर्तक हिस्सेदारी बेच रहे हैं।

सिलिकन वैली बैंक की विफलता के बाद बैंकिंग संकट की आशंकाओं के कारण मार्च 2023 में बाजार में गिरावट आई थी। विश्लेषण में पिछली 13 तिमाहियों के दौरान उपलब्ध आंकड़ों वाली 3,086 सूचीबद्ध कंपनियों पर विचार किया गया है। जिन कंपनियों में प्रवर्तकों ने हिस्सा बढ़ाया, उनकी संख्या जून 2021 के बाद से सबसे अधिक है।

स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा का कहना है, ‘इन प्रवर्तकों के लिए यह स्वाभाविक है कि वे अपनी संपत्ति के एक हिस्से के रूप में इन्हें भुना लें। उनके लिए अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा कम करना सही है। कुछ प्रवर्तकों ने परिसंपत्तियां खरीदने के लिए हिस्सेदारी बेची हो सकती है। यह संभव है कि कुछ पारिवारिक सदस्य उस व्यवसाय से जुड़े न हों जिनमें उनकी मौजूदा प्रवर्तक हिस्सेदारी है और वे अलग होना चाहते हों। प्रवर्तक बिक्री इसका संकेत है कि पैसा कहीं और नहीं जा रहा है।’

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट ने कहा, ‘प्रवर्तकों ने सोचा होगा कि कीमतें बुनियादी आधार के मुकाबले ज्यादा ऊपर हैं। जब भी बाजार में तेजी आती है या अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही होती है, तो प्रवर्तकों के पास नए उद्यमों के बारे में कुछ विचार हो सकते हैं, जिनसे जुड़ना कंपनी के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए वे अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच देते हैं और उभरते व्यवसायों में पैसा लगाते हैं। कई बार पारिवारिक समझौते भी होते हैं। आम तौर पर, प्रवर्तकों की ज्यादातर संपत्ति कंपनी से जुड़ी होती है और वे विविधता लाने की कोशिश कर रहे होते हैं। यह प्रवृत्ति तब तक जारी रहेगी जब तक कि बाजार में तेजी जारी रहेगी।’

चालू तिमाही में भी यह रफ्तार बनी हुई है। प्रमुख प्रवर्तक हिस्सेदारी बिक्री के सौदों में इंटरग्लोब एविएशन भी शामिल है जो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का संचालन करती है। इंटरग्लोब एविएशन में करीब 2 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री 3,700 करोड़ रुपये और दवा कंपनी सिप्ला में 2.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री 2,700 करोड़ रुपये में हुई।

प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम के स्वतंत्र विश्लेषण से पता चलता है कि एनएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के मामले में निजी क्षेत्र के प्रवर्तकों की संख्या में गिरावट आई है। मार्च 2024 तक सूचीबद्ध कंपनियों की कुल वैल्यू में उनकी भागीदारी 41 प्रतिशत थी।

सितंबर 2020 में यह भागीदारी 45.39 प्रतिशत के साथ काफी ऊपर थी। 2020 के शुरू में आए संकट के दौरान बड़ी तादाद में प्रवर्तकों ने हिस्सेदारी बढ़ाई थी। मार्च 2019 में प्रवर्तक हिस्सेदारी 40.88 प्रतिशत थी।

First Published - June 25, 2024 | 10:32 PM IST

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