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बाजार में करेक्शन जारी, NSE पर लिस्टेड ब्रोकर्स के शेयर 70% तक गिरे; क्या स्ट्रेटेजी अपनाएं निवेशक?

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी. के. विजयकुमार का मानना है कि बाजार का मौजूदा मूड बुल्स के पक्ष में नहीं है।

Last Updated- February 18, 2025 | 2:46 PM IST
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Stock Market: पिछले कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाजार में जारी करेक्शन (Market Correction) के चलते नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्टेड स्टॉक ब्रोकर्स के शेयर 70% तक गिर चुके हैं। 18 सितंबर 2024 के बाद से निफ्टी50 इंडेक्स में 9% की गिरावट आई है। जबकि इस दौरान ट्रूकैप फाइनेंस (TruCap Finance), जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services), 5पैसा कैपिटल, प्राइम सिक्योरिटीज, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज और अरिहंत कैपिटल मार्केट्स जैसे लिस्टेड ब्रोकिंग कंपनियों के शेयर 30% से 70% तक टूट चुके हैं। इनमें प्रमुख इंडेक्स की तुलना में कई गुना ज्यादा गिरावट आई है। कंपनियों की फाइनेंशियल स्थिति को एनालाइज, तुलना और ट्रैक करने वाली कंपनी एसीई इक्विटी ने यह जानकारी दी है।

बाजार गिरने से ब्रोकर्स और एसेट मैनेजर्स को झटका

बाजार के दिग्गज जानकार ए. के. प्रभाकर का मानना है कि स्टॉक ब्रोकर्स और एसेट मैनेजर्स का प्रदर्शन सीधे तौर पर प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि कमजोर बाजार में कैश और फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) वॉल्यूम में गिरावट आती है। साथ ही मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी (MTF) के कारण डिफॉल्ट्स की संभावना बढ़ जाती है।

मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी निवेशकों को आंशिक भुगतान पर शेयर खरीदने की सुविधा देती है। ब्रोकर्स ट्रांसेक्शन के वैल्यू की शेष राशि को फंड करते हैं लेकिन ब्याज वसूलते हैं।

ए. के. प्रभाकर ने कहा, ”बाजार में गिरावट आने पर, MTF में डिफॉल्ट की संभावना बढ़ जाती है, जिससे ब्रोकिंग कंपनियों पर असर पड़ता है। कमजोर बाजार में आईपीओ की गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं, जिससे मर्चेंट बैंकरों की फीस कलेक्शन पर असर पड़ता है।”

उन्होंने कहा, “बाजार में लिक्विडिटी की कमी हो रही है। इससे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। शीर्ष स्तर से अब तक बाजार 9-10% गिर चुका है और आगे और गिरावट संभव है। सबसे पहले ब्रोकर्स के शेयर बिकेंगे, इसके बाद एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) और फिर वेल्थ मैनेजमेंट कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिलेगी। वैल्यूएशन पहले से ही ऊंची थी जिससे इन कंपनियों के लिए यह संकट और गंभीर हो सकता है।”

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क्या बाजार में आगे और गिरावट आ सकती है?

एसीई इक्विटी (ACE Equity) के डेटा के अनुसार, निफ्टी स्मॉलकैप 250 इंडेक्स में 22% की गिरावट, निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स में 20% और निफ्टी 500 इंडेक्स (Nifty 500) में 14% की गिरावट दर्ज की गई है।

दूसरी तरफ, एमके ग्लोबल, चॉइस इंटरनेशनल, आदित्य बिरला मनी और धानी सर्विसेज जैसे चुनिंदा ब्रोकिंग कंपनियों के शेयर 27% तक बढ़ने में कामयाब रहे हैं।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रह सकती है?

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी. के. विजयकुमार का मानना है कि बाजार की मौजूदा कंस्ट्रक्ट बुल्स के पक्ष में नहीं है। विदेशी निवेशक (FIIs) बिकवाली जारी रख सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बाजार से जुड़े सकारात्मक संकेत नहीं मिल रहे हैं। अमेरिकी बाजार मजबूत बना हुआ है, जिससे वहां कैपिटल फ्लो बढ़ सकता है। यदि चीन सरकार के नए सुधारों से FIIs को सकारात्मक संकेत मिलते हैं, तो भारतीय बाजारों के लिए यह और बुरी खबर हो सकती है।”

इंडियन स्टॉक मार्केट vs चीन स्टॉक मार्केट

हांग सेंग इंडेक्स (Hang Seng) का P/E रेशियो मात्र 12x है, जबकि भारत में 12 महीने का फॉरवर्ड P/E 18.5x पर ट्रेड कर रहा है। इसलिए, चीनी बाजार की तुलना में भारतीय बाजार अधिक महंगा है, जिससे भारतीय शेयरों में निवेश घट सकता है।

क्या निवेशकों को खरीदारी करनी चाहिए?

वी. के विजयकुमार के अनुसार, भारतीय लार्ज-कैप स्टॉक्स उचित मूल्य पर ट्रेड कर रहे हैं। इस सेगमेंट में कैलिब्रेटेड खरीदारी की जा सकती है। हालांकि, एग्रेसिव खरीदारी के लिए अभी बाजार का माहौल अनुकूल नहीं है और इससे बचना चाहिए।

First Published - February 18, 2025 | 2:40 PM IST

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