अस्पताल/हेल्थकेयर कंपनियों के शेयर पिछले दो कारोबारी सत्रों में गिरावट के शिकार हुए। भारत में सबसे बड़ी अस्पताल श्रृंखलाओं में से एक मैक्स हेल्थकेयर का शेयर शुक्रवार तक महज दो दिनों में 16 प्रतिशत गिर गया। वहीं सबसे बड़ी अस्पताल श्रृंखला अपोलो हॉस्पिटल्स में इस दौरान 4.7 प्रतिशत की कमजोरी आई।
मेदांता की पैतृक फर्म ग्लोबल हेल्थ और फोर्टिस हॉस्पिटल्स में भी लगातार दूसरे दिन गिरावट आई। इन कंपनियों के शेयर बुधवार के ऊंचे स्तरों के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहे थे। कुल मिलाकर निफ्टी पर हेल्थकेयर इंडेक्स शुक्रवार को दिन के कारोबार में 0.7 प्रतिशत तक नीचे आ गया, जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में 1.5 प्रतिशत की तेजी आई।
एक एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट रूल्स, 2012 के अनुरूप मरीजों से ली जाने वाली फीस की दरें तय करने का आग्रह किया है। क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट अनिवार्य प्रावधान है कि केंद्र सरकार अस्पताल दरें निर्धारित करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ तालमेल करेगी। इस वजह से सर्वोच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को 6 सप्ताह के अंदर प्रस्ताव तैयार करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ काम करने का निर्देश दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निजी अस्पतालों और चिकित्सकीय संस्थानों द्वारा उपचार सेवाओं के लिए दरें तय नहीं किए जाने पर बुधवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि 12 साल पहले बने इस नियम के बावजूद इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। उसने यह भी कहा कि अगर केंद्र ने प्रस्ताव नहीं दिया तो वह अस्थायी राहत के तौर पर सभी निजी अस्पतालों में सीजीएचएस की दरें लागू कर देगा।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अलंकार गरुडे, समितिंजय बसाक और अनिकेत सिंह ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘यदि सीजीएचएस दरें लागू की जाती हैं तो हमारे कवरेज वाले लगभग सभी अस्पताल एबिटा के लिहाज से नकारात्मक स्थिति यानी घाटे में आ जाएंगे।’