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चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं भारतीय शेयर बाजार: नीलेश शाह

कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने बताया कि अगर भारत-पाकिस्तान टकराव सीमित रहा तो बाजार तेजी से बढ़ेंगे।

Last Updated- May 09, 2025 | 10:33 PM IST
कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह

घरेलू शेयर बाजारों को पिछले कुछ सप्ताहों से भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव और टैरिफ से जुड़ी चिंताओं से जूझना पड़ा है। कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने पुनीत वाधवा को फोन पर बातचीत में बताया कि अगर भारत-पाकिस्तान टकराव सीमित रहा तो बाजार तेजी से बढ़ेंगे। बातचीत के अंश:

क्या आपको लगता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल की घटनाओं पर बाजार ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है?

हां, मुझे ऐसा ही लगता है। एक पल के लिए हम भू-राजनीतिक हालात को अलग रख देते हैं। सबसे पहले, 108 कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीदों से बेहतर रहे हैं। अब, कोई यह तर्क दे सकता है कि अच्छे नतीजे जल्दी आते हैं और बुरे नतीजे बाद में, लेकिन तथ्य यह है कि वास्तविक आंकड़े अनुमानों से बेहतर रहे हैं। दूसरा, एफपीआई, जिनसे खरीदारी की उम्मीद नहीं थी, वे खरीदार बन गए हैं और बड़ी मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं। आपूर्ति के लिहाज से देखें तो कोई प्रमुख आईपीओ या क्यूआईपी गतिविधि नहीं है। यह मुख्य रूप से खुदरा और एचएनआई की मुनाफावसूली है। घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) अभी भी शुद्ध खरीदार हैं। इसलिए, निवेश प्रवाह और बुनियादी आधार अनुकूल हो गए हैं। इसके अलावा, भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता भी खासकर गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल फोन जैसे सेगमेंटों के लिए फायदेमंद है।  

भारत-पा​क टकराव का क्या असर पड़ेगा?

करगिल जैसे सीमित संघर्षों में बाजार वास्तव में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया। हमने 1962, 1965, 1971 और 1999 में युद्ध देखे हैं। हमारी बुनियाद का आधार यह है कि सीमित संघर्ष बाजारों को गंभीर रूप से प्रभावित नहीं करते हैं। यह वह पूर्वग्रह है जिसके साथ हम काम कर रहे हैं कि यह अभी भी एक सीमित संघर्ष है, न कि बड़े पैमाने की लड़ाई। इसके अलावा पाकिस्तान के पास संसाधन नहीं हैं, न ही पैसा है, गोला-बारूद सीमित है। चीन, तुर्की या अजरबैजान जैसे देशों के अलावा कोई बड़ा वैश्विक समर्थन भी उसे हासिल नहीं है। तुर्की और अजरबैजान मायने नहीं रखते, चीन मायने रखता है लेकिन वह किस हद तक समर्थन देगा, यह अनिश्चित है।

एक तरफ भू-राजनीति और दूसरी तरफ टैरिफ अनिश्चितता, तो क्या बाजार एक दायरे में फंस गए हैं?

बेशक, हां। भारतीय शेयर बाजार चक्रव्यूह में फंस गए हैं। हमारा बाजार पहले से ही उचित मूल्य पर कारोबार कर रहा है, हालांकि यह थोड़ा ऊपर है। हम 21-22 गुना की आगामी आय पर कारोबार कर रहे हैं, 18 गुना पर नहीं। इसलिए रिटर्न कम रहेगा, 8-10 फीसदी के आसपास। हम एक सीमित दायरे में, धीमी गति वाले बाजार में हैं। हालांकि, भू-राजनीतिक जोखिमों को छोड़कर बाकी सब कुछ हमारे पक्ष में है।  

(डिस्क्लेमर : बिजनेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड में कोटक समूह के नियंत्रण वाली इकाइयों की बहुलांश हिस्सेदारी है)

First Published - May 9, 2025 | 10:15 PM IST

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