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FII: विदेशी निवेशकों को नहीं भा रही भारतीय IT कंपनियां, प्रमुख फर्मों की परफॉर्मेंस पड़ी कमजोर

जून तिमाही में FIIs ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी IT कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 1.65 फीसदी घटा दी है

Last Updated- July 28, 2023 | 2:57 PM IST
FPIs' selling continues; withdraw Rs 7,300 cr from equities in a weekFPI की बिकवाली जारी; फरवरी के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार से 7,342 करोड़ रुपये निकाले

भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेशकों (FII) की अहम हिस्सेदारी होती है। मगर, दुनियाभर में चल रही आर्थिक अनिश्चितता के चलते इसका सबसे बड़ा असर IT कंपनियों पर पड़ता दिखाई दे रहा है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून तिमाही के दौरान देखा गया कि लार्ज-कैप आईटी कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) अपनी हिस्सेदारी घटाते जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर यह भी देखने को मिला कि मिडकैप आईटी कंपनियों में तेजी से निवेश आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल लेवल पर आर्थिक अस्थिरता की वजह से विदेशी निवेशक IT सेक्टर में पैसै नहीं लगा रहे।

अगर बाजार हिस्सेदारी की बात करें तो विदेशी निवेशकों ने मई में शेयरों में 43,838 करोड़ रुपये और जून में 47,148 करोड़ रुपये का निवेश किया था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अब तक शेयर बाजारों में FPI का निवेश 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। लेकिन इन सबके बीच ऐसा देखा जा सकता है कि IT कंपनियों की तरफ से ये निवेशक मुंह मोड़ रहे हैं।

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मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जून तिमाही में विदेशी निवेशकों (FII) ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी IT कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 1.65 फीसदी घटा दी है। जहां कंपनी में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 35.08 फीसदी थी, अब यह घटकर 33.43 फीसदी हो गई है।

रिपोर्ट ने यह भी बताया कि देश की सबसे बड़ी IT कंपनी टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज में भी FII की हिस्सेदारी 12.72 फीसदी से कम होकर 12.46 फीसदी हो गई है। कंपनी ने जून तिमाही में तिमाही आधार पर 16.84 फीसदी का नेट प्रॉफिट दर्ज किया, वहीं सालाना आधार पर इसमें 12.55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

इसके साथ ही टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में क्रमशः 10 अरब डॉलर और 10.2 अरब डॉलर के टोटल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू  (TCV) पर हस्ताक्षर किए। अलबत्ता वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में रेवेन्यू ग्रोथ स्थिर रही या इस दौरान केवल 0.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।

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Infosys का भी यही हाल रहा। बेंगलूरु की इस कंपनी के पास वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में 2.1 अरब डॉलर का बड़ा TCV था, लेकिन वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में रेवेन्यू ग्रोथ 1.3 प्रतिशत रही।

IT कंपनी टेक महिंद्रा में भी विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 1 फीसदी से ज्यादा गिर गई। कंपनी में जहां इन निवेशकों की हिस्सेदारी 26.87 फीसदी थी, वह जून तिमाही में घटकर 25.69 फीसदी पर आ गई।

यही वजह रही कि इस IT कंपनी ने जहां वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही के मुनाफे में 27 फीसदी की कमी आई थी, वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में नेट मुनाफा और कम होकर 39 प्रतिशत घट गया।

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First Published - July 28, 2023 | 2:57 PM IST

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