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NCDEX का IMD संग करार, मौसम डेरिवेटिव पर नजर

मौसम डेरिवेटिव एक वित्तीय साधन है जो पूर्व-निर्धारित मौसम की घटनाओं आदि के आधार पर भुगतान की पेशकश करता है।

Last Updated- July 03, 2025 | 10:49 PM IST
NCDEX signs MoU with IMD, focus on weather derivatives

भारत के पहले मौसम डेरिवेटिव के औपचारिक शुरुआत की दिशा में कदम आगे बढ़ते हुए देश के अग्रणी कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इससे एनसीडीईएक्स को मौसम विभाग के ऐतिहासिक और वास्तविक समय के मौसम के आंकड़ों तक पहुंच मिल जाएगी।

इससे एनसीडीईएक्स को सांख्यिकीय रूप से मान्य मौसम सूचकांक विकसित करने में मदद मिलेगी जो मौसम से जुड़े वायदा अनुबंधों का आधार बनेंगे। वेदर डेरिवेटिव को प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम 1956 यानी एससीआरए में 2024 में शामिल किए जाने के बाद यह एनसीडीईएक्स का ऐसा पहला करार है। एससीआरए ने कमोडिटी एक्सचेंजों को बाजार में इसे उत्पाद के रूप में पेश करने का मार्ग प्रशस्त किया जिससे कि हितधारक जोखिम प्रबंधन कर सकें। प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम यानी एससीआरए से सिक्योरिटीज और स्टॉक एक्सचेंज प्रशासित होते हैं।

एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ अरुण रस्टे ने कहा, इस साझेदारी से एनसीडीईएक्स के बाजार बुनियादी ढांचे और नवाचार आईएमडी की वैज्ञानिक उत्कृष्टता और डेटा परिशुद्धता से जुड़ जाएंगे। साथ ही यह भारत के पहले मौसम डेरिवेटिव की पेशकश की दिशा में एक अहम कदम है।
इस सहयोग के तहत विकसित किए जाने वाले वेदर प्रोडक्ट से मौसमी और स्थान विशेष के डेरिवेटिव अनुबंध तैयार हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे कृषि, परिवहन और संबद्ध उद्योगों में मौसम से जुड़े जोखिमों पर विशेषज्ञता में इजाफा होगा।

इससे पहले 2023 में एनसीडीईएक्स ने मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे ताकि कृषि जिंसों पर मौसम के असर को गहराई से समझ सके और बारिश पर आधारित दो सूचकांक प्रायोगिक आधार पर पेश कर सके। ये सूचकांक हैं इंडियन मॉनसून इंडेक्स और इंडियन रेन इंडेक्स।

क्या है मौसम डेरिवेटिव और यह कैसे काम करता है?

मौसम डेरिवेटिव एक वित्तीय साधन है जो पूर्व-निर्धारित मौसम की घटनाओं आदि के आधार पर भुगतान की पेशकश करता है। यह मौसम संबंधी जोखिमों या नुकसानों से बचाव में मदद करता है। उदाहरण के लिए, अगर एक किसान को बारिश जैसी मौसम की घटनाओं से संबंधित जोखिम है और वह डेरिवेटिव खरीदता है और विक्रेता को प्रीमियम देता है तो वह बारिश के जोखिम से बचाव करता है। अगर ज्यादा बारिश होती है तो विक्रेता उसे मौद्रिक लाभ देता है और खरीदार नुकसान को कवर कर सकता है। अगर बारिश अच्छी है और कोई नुकसान नहीं है तो प्रीमियम ही विक्रेता द्वारा अर्जित लाभ हो जाता है।

वित्तीय संस्थान, बीमा कंपनियां मौसम डेरिवेटिव बेचती हैं। एनसीडीईएक्स के सीईओ के अनुसार वैश्विक स्तर पर शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज में मौसम पर वायदा और ओटीसी (ओवर द काउंटर – सीधे दो पक्षों के बीच) अनुबंध हैं। कमोडिटी डेरिवेटिव के उलट (जो वॉल्यूम आधारित होते हैं) मौसम डेरिवेटिव अनुबंध हीटिंग डिग्री डेज (एचडीडी), कूलिंग डिग्री डेज (सी़डीडी) जैसे सूचकांकों पर आधारित होते हैं जो कुछ और नहीं बल्कि गर्मी का एक दायरा होती है यानी अपेक्षा से अधिक गर्म / अपेक्षा से अधिक ठंडा।

First Published - July 3, 2025 | 10:37 PM IST

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