गुरुवार को भारतीय इक्विटी वायदा (फ्यूचर्स) में गिरावट आई, क्योंकि अमेरिकी मुद्रास्फीति का आंकड़ा आने के बाद निवेशकों ने दर कटौती पर अपना दांव घटाया है। आईएफएससी निफ्टी फ्यूचर्स सूचकांक गुरुवार को शाम 5 बजे तक 22,555 पर कारोबार कर रहा था, जो 1.08 प्रतिशत की गिरावट है। अमेरिकी उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई) का आंकड़ा बुधवार को जारी किया गया था, जो तीसरी बार अनुमानों से ऊपर रहा।
अमेरिकी श्रम विभाग के अनुसार, मुख्य सीपीआई (जिसमें खाद्य एवं ऊर्जा लागत अलग है) मार्च में फरवरी के मुकाबले 0.4 प्रतिशत बढ़ा। एक साल पहले की तुलना में इसमें 3.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल बढ़ा और यह 4.56 प्रतिशत पर पर कारोबार कर रहा था।
मुद्रास्फीति आंकड़ा आने के बाद बुधवार को अमेरिकी इक्विटी बाजारों में गिरावट आई थी। एसऐंडपी 500 सूचकांक गुरुवार के सत्र में 5,160.6 पर बंद हुआ, जो 0.95 प्रतिशत की गिरावट है। वहीं, डाउ जोंस 1.09 प्रतिशत गिरकर 38,461.5 पर बंद हुआ।
इस बीच, कच्चे तेल की कीमतें नीचे आई हैं और ये 91.4 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘मार्च का मुद्रास्फीति संबंधित आंकड़ा अनुमान से अलग रहा है और इससे दर कटौती के संदर्भ में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की क्षमता प्रभावित होगी। कीमतों में इस तेजी ने जून में होने वाली दर कटौती की उम्मीद धूमिल कर दी है। यह वर्ष बाजार द्वारा दर कटौती की उम्मीद के साथ शुरू हुआ था। दर कटौती की उम्मीद घटकर अधिकतम तीन या शायद दो रह गई है। अभी भी, इस साल दरों में 50 आधार अंक की कटौती की संभावना है।’
भारतीय इक्विटी बाजार गुरुवार को ईद की वजह से बंद रहे। बुधवार को भारतीय इक्विटी बाजार नई ऊंचाई पर बंद हुए और सेंसेक्स पहली बार 75,000 के निशान से ऊपर बंद होने में सफल रहा। हालांकि कारोबार के आखिर में धारणा सतर्क बनी रही।
विश्लेषकों का कहना है कि भविष्य में तिमाही नतीजों, खासकर आईटी और वित्त जैसे क्षेत्रों से भारतीय बाजार की चाल निर्धारित होगी।