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शेयर बाजार निवेशक जरा संभलकर! FY26 में इन 5 बड़े जो​खिमों पर रखें नजर

मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार को लेकर जो चिंताएं हैं वो घरेलू की बजाय ग्लोबल ज्यादा नजर आ रही हैं।

Last Updated- March 26, 2025 | 2:40 PM IST
Stock Market - Eicher motors F&O Strategy
Representational Image

Stock Market Risks in FY26: भारतीय शेयर बाजारों के लिए वित्त वर्ष 2025 (FY25) काफी उतार-चढ़ा भरा रहा। घरेलू और वै​श्विक सेंटीमेंट्स का असर बाजार की चाल पर देखने को मिला। इनमें लोकसभा चुनाव, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और चीन की राहत स्कीम्स ने मार्केट सेंटीमेंट्स को काफी प्रभावित किया। इसके चलते पिछले 12 महीनों के दौरान निवेशकों ने का मार्केट रिटर्न काफी ऊपर-नीचे हुआ।

उठापटक वाला यह वित्त वर्ष समाप्त होने वाला है। हालांकि अनिश्चितता अब समाप्त हो चुकी है, क्योंकि विश्लेषकों ने नए वित्तीय वर्ष 2025-26 (वित्त वर्ष 26) में उथल-पुथल बढ़ने का अनुमान लगाया है। इसकी एक बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘जवाबी टैरिफ’ पॉलिसी है। घरेलू स्तर पर देखें को सभी की नजर आर्थिक सुधार की चाल और नए सिरे से विदेशी निवेश की स्थिरता पर टिकी रहेंगी।

Mirae Asset Sharekhan के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और हेड (कैपिटल मार्केट स्ट्रैटजी) गौरव दुआ का कहना है कि बाजार को लेकर जो चिंताएं हैं वो घरेलू की बजाय ग्लोबल ज्यादा नजर आ रही हैं।

उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर में अनुमान के मुताबिक बढ़ोजरी और रूरल डिमांड में मजबूती के साथ अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिल सकता है। हालांकि, ग्लोबल स्तर पर 2 अप्रैल से शुरू होने वाले टैरिफ वार के साथ अनिश्चितता की एक नई चुनौती नजर आ रही है।

बेंचमार्क इंडेक्स की परफॉर्मेंस की बात करें तो निफ्टी50 6.3 फीसदी और सेंसेक्स 6.1 फीसदी के गेन के साथ FY25 को क्लोजिंग करने को तैयार है। इस बीच, ब्रॉडर मार्केट इंडेक्स, निफ्टी मिडकैप और निफ्टी स्मॉलकैप का इस वित्त वर्ष का रिटर्न 6.5 फीसदी के आसपास रह सकता है। ग्लोबल फंड्स ने इस वित्त वर्ष में भारतीय इक्विटी से रिकॉर्ड ₹1.54 लाख करोड़ निकाले, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने रिकॉर्ड ₹6 लाख करोड़ का निवेश किया।

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FY26 में बाजार के 5 बड़े जो​खिम

मार्केट के इन फैक्ट्स-फीगर और सेंटीमेंट्स के बावजूद स्टॉक मार्केट निवेशकों को वित्त वर्ष 2026 में कुछ प्रमुख जोखिमों पर नजर रखनी चाहिए।

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी

ट्रंप के जवाबी टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होने जा रहा है। यह ग्लोबल स्टॉक और करेंसीज के लिए एक बड़ा रिस्क है। एक्सपर्ट की चेतावनी है कि ये FY26 में फाइनें​शियल मार्केट्स के लिए एक अहम जोखिम हैं और निवेशकों के सेंटीमेंट्स को प्रभावित कर सकते हैं।

आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स में फंडामेंटल रिसर्च (इन्वेस्टमेंट सर्विसेज) हेड नरेंद्र सोलंकी का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड और इकनॉमिक ग्रोथ पर पूरा प्रभाव अभी तक महसूस नहीं किया गया है, क्योंकि इस तरह के नीतिगत बदलावों को नीचे तक पहुंचने में आमतौर पर कुछ तिमाहियां लगती हैं।” कहा जा रहा है, मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि ट्रंप के टैरिफ शुरू में आशंका से ज्यादा फोकस्ड और टारगेटेड हो सकते हैं।

इकनॉमिक रिकवरी में देरी

एनॉलिस्ट ने कहा कि हालांकि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन ​क्विक इकनॉमिक रिकवरी महत्वपूर्ण बनी हुई है। सुस्त विकास और ब्याज दर में कटौती के बाद धीरे-धीरे रिकवरी जैसी ज्यादातर घरेलू चिंताओं का असर पहले से ही मार्केट वैल्यूएशन पर दिखाई दे चुका है।

आनंद राठी के नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि मार्केट्स को FY26 की पहली छमाही के दौरान विकास में तेजी आने की उम्मीद है, लेकिन अगर यह रिकवरी वर्ष की दूसरी छमाही तक ​खिंचती है, तो इससे निवेशकों के बीच अल्पकालिक निराशा हो सकती है।

अर्निंग्स ग्रोथ में सुस्ती

कंपनियों के अर्निंग्स ग्रोथ की गिरावट के अनुमान के बावजूद, विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि मार्केट का आकलन अभी भी रिपोर्ट किए गए ट्रेंड्स से ऊपर हैं।

रेलिगेयर ब्रोकिंग के SVP रिसर्च अजीत मिश्रा के मुताबिक, चौथी तिमाही की अर्निंगस धीमी रहने की आशंका है क्योंकि क्रेडिट ग्रोथ कमजोर बनी हुई है। वहीं, सरकारी खर्च और भारतीय रिजर्व बैंक के लिक्विडिटी उपायों का असर संभवतः अगले वित्तीय वर्ष से ही दिखाई देगा।”

FII इनफ्लो पर अनि​श्चितता

पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों ने कैलेंडर वर्ष 2025 में विदेशी निवेशकों का पहला साप्ताहिक नेट इनफ्लो देखा। इस बीच शॉर्ट कवरिंग हुई। विश्लेषकों ने बताया कि FII की स्थिरता पर नजर रखनी होगी।

रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा ने बताया कि ग्लोबल इकनॉमिक रुझान, अमेरिकी ब्याज दर में बदलाव और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं निवेशकों के सेंटीमेंट्स को प्रभावित करेंगे। जिससे FII इनफ्लो की लॉन्ग टर्म स्थिरता घरेलू और बाहरी स्थिरता दोनों पर निर्भर हो जाएगी।

ग्लोबल रिस्क-ऑफ

टैरिफ डर से इतर अमेरिकी में मंदी का जोखिम, लंबे समय तक वैश्विक मौद्रिक सख्ती और अप्रत्याशित भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं कैपिटल इनफ्लो को प्रभावित कर सकती हैं। विश्लेषकों ने कहा कि इसके अलावा चीन में बेहतर इकनॉमिक संभावनाओं से निवेश डायवर्ट हो सकता है, जिसके चलते भारतीय शेयर बाजार पर दबाव पड़ सकता है।

First Published - March 26, 2025 | 2:40 PM IST

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