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भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच Kotak AMC के नीलेश शाह ने बताई मार्केट स्ट्रैटजी

नीलेश शाह ने कहा- भारत-पाकिस्तान में तनाव नहीं बढ़ता है और संघर्ष सीमित रहता है, तो बाजार मजबूत होकर उभरेंगे।

Last Updated- May 09, 2025 | 11:35 AM IST
Nilesh Shah, managing director at Kotak Mahindra Asset Management Company
नीलेश शाह, प्रबंध निदेशक, कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी

बीते कुछ हफ्तों में भारतीय शेयर बाजारों को एक तरफ भारत और पाकिस्तान के बीच जियो-पॉलिटिकल टेंशन और दूसरी तरफ टैरिफ से जुड़े डर का सामना करना पड़ा है। कोटक महिंद्रा एएमसी (Kotak Mahindra AMC) के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह (NILESH SHAH) ने पुनीत वाधवा के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में बताया कि अगर भारत-पाकिस्तान में तनाव नहीं बढ़ता है और संघर्ष सीमित रहता है, तो बाजार मजबूत होकर उभरेंगे। उन्होंने कहा कि अगर मार्च 2024 तिमाही के कॉर्पोरेट नतीजे कमजोर होते और एफपीआई विक्रेता बने रहते, तो बाजार 10 फीसदी तक गिर सकते थे। इस बातचीत के संपादित अंश:

क्या आपको लगता है कि बाजार ने भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के जियोपॉलिटिकल घटनाक्रमों पर नपा-तुला जवाब दिया है?

हां, मुझे ऐसा लगता है. आइए कुछ देर के लिए जियोपॉलि​टिक्स को अलग रख देते हैं. सबसे पहले, 108 कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीदों से बेहतर रहे हैं. अब, कोई यह तर्क दे सकता है कि अच्छे नतीजे पहले आते हैं और बुरे नतीजे बाद में, लेकिन फैक्ट यह है कि असर में आंकड़े अनुमानों से बेहतर हैं. दूसरा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), जिनके खरीदने की उम्मीद नहीं थी, खरीदार बन गए हैं और अच्छी-खासी तादाद में खरीद रहे हैं। यह खरीदारी खुले तौर पर हुई है।

सप्लाई साइड पर कोई बड़ी IPO या QIP ए​क्टिविटी नहीं है। खासकर रिटेल और HNI की ओर से प्रॉफिट बुकिंग है। घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) अभी भी ने बायर हैं। इसलिए, इनफ्लो और फंडामेंटल फेवरेबल हैं।

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इसके अलावा, भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दोनों के लिए फायदेमंद है। खासकर गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन जैसे सेक्टर्स के लिए जहां भारत पहले मजबूत नहीं था। यह हमें यूरोपीय यूनियन और अमेरिका के साथ भविष्य की बातचीत के लिए अच्छी स्थिति में रखता है, जिससे चीन+1 स्ट्रैटजी एक वास्तविक अवसर बन जाती है।

संक्षेप में, इनफ्लो और फंडामेंटल्स बाजार का सपोर्ट कर रहे हैं और इसीलिए उन्होंने मैच्योरिटी के साथ प्रतिक्रिया दी है। अगर नतीजे कमजोर होते और एफपीआई विक्रेता बने रहते, तो बाजार 10 फीसदी तक गिर सकते थे।

जियो-पॉलिटिकल टेंशन का प्रभाव क्या है?

कारगिल जैसे सीमित संघर्षों में, बाजार 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया था। हमने 1962, 1965, 1971 और 1999 में युद्ध देखे हैं। हमारी एंकरिंग इसी इतिहास पर आधारित है कि सीमित संघर्ष बाजारों को गंभीर रूप से प्रभावित नहीं करता है. यह वह पूर्वाग्रह है जिसके साथ हम काम कर रहे हैं कि यह अभी भी एक सीमित संघर्ष है, पूर्ण पैमाने पर युद्ध नहीं। इसके अलावा, पाकिस्तान के पास संसाधन नहीं हैं – कोई पैसा नहीं, सीमित गोला-बारूद और चीन, तुर्की या अज़रबैजान जैसे देशों के अलावा कोई बड़ा ग्लोबल सपोर्ट नहीं है। तुर्की और अज़रबैजान मायने नहीं रखते। वहीं, चीन करता है तो उसके सपोर्ट को लेकर अनि​श्चितता है। बाजार फुलस्केल युद्ध के मुकाबले लो फि्रक्वेंसी संघर्ष को पसंद करते हैं।

तो जियो-पॉलिटिक्स एक तरफ और टैरिफ अनिश्चितता दूसरी तरफ, क्या बाजार एक दायरे में अटका हुआ है?

नि​श्चित रूप से। भारतीय शेयर बाजार एक चक्रव्यूह में फंसा हुआ है। हमारा बाजार पहले से ही फेयर वैल्यू पर कारोबार कर रहा है। यहां तक कि थोड़ा ऊपर भी। हम 21–22x फॉरवर्ड अर्निंग पर हैं, और 18x पर नहीं। इसलिए, रिटर्न करीब 8–10 फीसदी कम होगा। यह एक वॉलेटाइल दिन में भारतीय शेयरों की एक दिन की हलचल है। हम एक दायरे में बंधे, धीमी गति से चलने वाले बाजार में हैं। हालांकि, जियो-पॉलिटिकल रिस्क को छोड़कर, बाकी सब कुछ हमारे पक्ष में है। इसलिए बाजार की मॉडरेट प्रतिक्रिया है। अगर तनाव नहीं बढ़ता है और संघर्ष सीमित रहता है, तो बाजार इससे मजबूत होकर उभरेंगे। लेकिन अगर घटनाएं बाजार की उम्मीदों के विपरीत होती हैं, तो बाजारों को फिर से रीएडजस्ट करने की आवश्यकता होगी।

क्या कोई ऐसी धारणाएं हैं जिनके साथ बाजार उस स्तर पर काम कर रहे हैं?

हां, और इनमें यह विश्वास शामिल है कि अमेरिका आ​खिरकार ब्याज दरों में कटौती करेगा। भारत के साथ कोई बड़ा टैरिफ मुद्दा नहीं होगा। घरेलू विकास जारी रहेगा और लाडली बहना या अन्य जैसी प्रमुख सरकारी योजनाएं विकास को बाधित या पटरी से नहीं उतारेंगी. ये सेंटीमेंट्स पहले से ही बाजार में शामिल हैं.

स्ट्रैटजी के नजरिए से देखें तो क्या किसी को मौजूदा बाजारों में डिफेंसिव रुख अपनाना चाहिए या हाई बीटा दांव लगाना चाहिए?

मेरा सुझाव है कि निवेशक बुनियादी बातों पर टिके रहें और उचित वैल्यूएशन पर मौजूदा क्वॉलिटी स्टॉक्स वाले शेयरों पर फोकस करें। अच्छे फ्लोट वाले शेयरों पर नजर रखें। कुछ शेयर सिर्फ इसलिए नहीं गिरे हैं क्योंकि उनमें पर्याप्त फ्लोट नहीं है, इसलिए कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।

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क्या कोई ऐसे सेक्टर हैं जिन पर निवेशकों को ध्यान देना चाहिए?

सेक्टर के हिसाब से देखें तो कंज्यूमर डिस्क्रिशनेरी बेहतर नजर आ रहे हैं। ₹1 लाख करोड़ की टैक्स कटौती अब लोगों के हाथों में है – ज्यादातर खर्च करेंगे, और बचाएंगे नहीं. ब्याज दरें 0.5 फीसदी तक गिर गई हैं, और शायद 0.5 फीसदी और गिर सकती हैं. तेल की कीमतें $60–65 के दायरे में हैं. हम बिहार चुनावों के करीब पेट्रोल/डीजल की कीमतों में कटौती देख सकते हैं – सीधे लोगों की जेब में पैसा डालना. 8वें वेतन आयोग की उम्मीद 2027 में है – और लोग इस उम्मीद में खर्च करना शुरू कर देंगे।

इसलिए, अगले 24–36 महीनों में, आपके पास कई अनुकूल परिस्थितियां हैं – टैक्स कटौती, EMI राहत, फ्यूल की कीमतों कटौती और वेतन आयोग की उम्मीदें – सभी कंजम्प्शन का सपोर्ट कर रही हैं। और खपत रोटी, कपड़ा, मकान के बारे में कम होगी और अनुभवों के बारे में ज्यादा होगी जैसेकि एयरलाइंस, पर्यटन, होटल।

क्या आपको लगता है कि अनिश्चितता लोगों को गोल्ड की ओर भी ले जा सकती है?

यह पहले से ही हो रहा है। सेंट्रल बैंक भारी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं – 1000 टन। भारतीय हाउसवाइव्स/ हाउसहोल्ड भी कुछ हद तक खरीदारी का बूस्ट देंगे। इसलिए हमें सोने के लिए मजबूत सपोर्ट दिखाई देगा।

First Published - May 9, 2025 | 11:34 AM IST

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