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सीमेंस: धीमी होती चाल

Last Updated- December 08, 2022 | 5:47 AM IST

इंजीनियरिंग फर्म सीमेंस के खराब सालाना नतीजों के कारण उसके शेयरों में एक ऐसे दिन भारी गिरावट देखने को मिली जब बाजार ने लगातार गिरावट के बाद सुधार का रुख दिखाया था।


बुधवार को हुई 16 फीसदी गिरावट के बाद  जनवरी से लेकर अब तक कंपनी का शेयर 76 फीसदी नीचे जा चुका है। यानी इसका प्रदर्शन बाजार से भी अधिक खराब रहा। 9,680 करोड़ रुपये की सीमेंस का शुध्द लाभ 10 फीसदी गिरकर 599 करोड़ रुपये हो गया।

इसका कारण कंपनी द्वारा करों में अधिक राशि चुकाया जाना है। कंपनी के राजस्व में पिछले चार सालों में सबसे धीमी वृध्दि इस साल देखने को मिली और यह सिर्फ 12 फीसदी बढ़कर 9,657 करोड़ रुपये हो गया।  कंपनी का प्रबंधन आर्डर लेने और आर्डर पूरा करने दोनों में देरी कर रहा है।

इसके बाद भी अगर सितंबर 2008 में कंपनी की टॉपलाइन में तेजी से वृध्दि होती तो यह आश्चर्यजनक ही होगा। इन हालातों के लिए क्रेडिट की तंगहाली प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। इसी के चलते ग्राहक अपनी विस्तार की योजनाओं में विलंब कर रहा है।

हालांकि उन्होंने कोई ऑर्डर कैंसल नहीं किया है। कुल मिलाकर इसकी स्थिति पूरे इंजीनियरिंग डिविजन के प्रॉडक्ट और सेवा दोनों के हालात एक से ही हैं। कंपनी का प्रबंधन पावर क्षेत्र को लेकर भी परेशान है जो कंपनी के कुल राजस्व में 40 फीसदी योगदान करता है।

इस साल इसकी सेल्स एक फीसदी गिरकर 4,237 करोड़ रुपये हो गई है। इसके साथ इस साल 100 करोड़ रुपये के सेल्स रिवर्सल के चलते इसी प्रॉफिटेबिलिटी पर असर पड़ा है। सितंबर 2008 के अंत तक सीमेंस की ऑर्डर बुक 14 फीसदी कम हुई इसका कारण कतर का आर्डर है।

कंपनी की 9,834 करोड़ रुपये की ऑर्डर बुक वास्तव में ज्यादा उत्साहित करने वाली नहीं है क्योंकि यह राशि एक साल के राजस्व जितनी ही है। सीमेंस को भारतीय रेलवे की ओर से मिले कुछ ऑर्डर भी इसमें इसमें शामिल हैं। अगले साल आम चुनावों के मद्देनजर इनके अपूर्ण रह जाने का अंदेशा है।

कंपनी के लिए ऊंची इनपुट लागत भी परेशानी का सबब है। इसके चलते इसका आपरेटिंग मार्जिन 1.2 फीसदी गिरकर नौ फीसदी रह गया है। हालांकि अब इनपुट लागत में कमी आ रही है। साथ ही कंपनी प्रशासनिक लागत पर नियंत्रण करने पर विचार कर रही है।

इससे वर्ष 2008-09 में मार्जिन में सुधार हो सकता है। अच्छी खबर यह है कि कंपनी के पास 980 करोड़ रुपये का कैश रिजर्व है। वह अपने पूंजीगत व्यय को 220 करोड़ रुपये के आसपास रखने की योजना बना रहा है।

2007-08 में भी उसका व्यय इतना ही रहा था। इसे देखकर लगता है कि कंपनी को बाहर से उधारी लेने की आवश्यकता नहीं है।

जीसीपीएल: ज्यादा फायदा नहीं

गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स के की बैलेंस शीट में 350 करोड़ रुपये का कैश यानी नकदी है। यह देखते हुए अगर कंपनी बायबैक की योजना बना रही है तो इसमें शायद ही किसी को कोई आश्चर्य हो।

लेकिन वह बायबैक में सिर्फ 15 करोड़ रुपये ही व्यय कर रही है। इसमें वह 120 रुपये के भाव पर 12 लाख शेयर वापस ले रही है। यह कंपनी की इक्विटी 0.5 फीसदी या फ्री फ्लोट (31 फीसदी) का 1.5 फीसदी है।

इससे शेयर की कीमतों को अधिक मदद नहीं मिलेगी। कंपनी ने बायबैक के लिए अधिकतम 150 रुपये प्रति शेयर का भाव तय किया है। सितंबर 2008 की तिमाही के दौरान कमजोर प्रदर्शन के बाद कंपनी के शेयरों ने अच्छी वापसी की है।

इस तिमाही में घरेलू कारोबार से कंपनी का शुध्द लाभ चार फीसदी गिरा। यह गिरावट ऑपरेटिंग प्राफिट के कमजोर होकर 26 फीसदी के स्तर पर आने के चलते हुई। हालांकि पिछली तीन तिमाहियों में कंपनी का साबुन क्षेत्र में बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है।

सिंथॉल, फेयरग्लो और गोदरेज नंबर वन के साथ इसकी बाजार हिस्सेदारी 9.5 फीसदी हो गई है। इसके आधार पर अनुमान है कि 2008-09 में कंपनी का राजस्व 22 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 1,350 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है। यह वृध्दि 2007-08 में 16 फीसदी थी।

हालांकि गोदरेज ने पिछले छह से आठ माह में अपने उत्पादों की कीमतों में इजाफा किया था, लेकिन इसके बाद भी उसे कच्चे माल के ऊंचे दामों की स्थिति से सामंजस्य बिठाने में कोई मदद नहीं मिली। अब पाम ऑयल जैसी कृषि कमोडिटियों की कीमतों में आई गिरावट से लागत का दबाव कम करने में मदद मिलेगी।

सितंबर तक पिछले छह माह में कंपनी के शुध्द मुनाफे में दो फीसदी की कमी आई है। इसके चलते कंपनी को वर्ष 2008-09 में अपनी बॉटम लाइन में 7-8 फीसदी की 2007-08 के स्तर को बरकरार रखना खासा मुश्किल होगा जब उसने इस दर से 159 करोड़ रुपये की वृध्दि अर्जित की थी।

हेयर कलर बिजनेस का कमजोर प्रदर्शन भी कंपनी की संभावनाओं को कमजोर कर रहा है। गोदरेज को अपने अधिक मार्जिन वाले प्रॉडक्टों की बिक्री बढ़ानी होगी। सितंबर की तिमाही में कंपनी की बिक्री छह फीसदी गिरी और उसकी बाजार हिस्सेदारी जो कुछ साल पहले 40 फीसदी थी, गिरकर 35 फीसदी रह गई।

कंपनी को इस क्षेत्र में गार्नियर और लोरेल से चुनौती मिल रही है, वहीं निचले स्तर पर उसे इमामी से कड़ी चुनौती मिल रही है।

First Published - November 27, 2008 | 10:50 PM IST

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