भुगतान की नई व्यवस्था के तहत शेयर ट्रेडिंग की धीमी शुरुआत हुई क्योंकि बैंक व ब्रोकरेज अभी भी बैंकएंड को सुचारू बनाने की प्रक्रिया में हैं। कथित तौर पर अस्बा सुविधा (जो 1 जनवरी से परिचालन में आ गई) में मामूली कारोबार देखने को मिला और काफी सीमित ग्राहक ही इस सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सहारा मिलता है। ऐसे ट्रेड का निपटान कामयाबी के साथ टी प्लस वन के आधार पर हुआ। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
अस्बा के तहत निवेशक अपने बैंक खाते में फंड को ब्लॉक करने में सक्षम होंगे, जो तभी डेबिट होगा जब ट्रेड की पुष्टि हो जाएगी। यह सुविधा शुरू में सिर्फ इक्विटी नकद कारोबार के लिए है।
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि क्लियरिंग कॉरपोरेशन 4-5 स्टॉक ब्रोकर संग सक्रियता के साथ इस प्रक्रिया को परख रहे हैं कि कैसे ब्लॉक रिक्वेस्ट सृजित होते हैं, ब्लॉक को रिलीज कैसे किया जाता है, एक ब्लॉक से कैसे कई डेबिट हो सकते हैं, खाते की एंट्री की रफ्तार कैसी है और स्पांसर बैंक के साथ इंटरकनेक्शन कैसा है। सूत्रों ने कहा कि ऐसे लेनदेन के लिए लागत पर शुरुआती बातचीत हो रही है और इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
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इस सुविधा के लिए ब्रोकरों को अपने ऐप व वेबसाइट पर फ्रंट एंड इंटरफेस मुहैया कराना होगा और उसके लिए पेमेंट गेटवे के साथ इंटरकनेक्शन भी होना चाहिए। एक ब्लॉक के जरिये निवेशक कई ट्रेड कई ब्रोकरों के साथ कर पाएंगे।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि एक बार ब्लॉक सृजित करने के बाद वह 30 साल के लिए वैध होगा, हालांकि यह बाजार के प्रतिभागियों के फीडबैक पर निर्भर करेगा और इसे 5 से 10 दिन तक नीचे भी लाया जा सकता है। निवेशक कभी भी अनब्लॉकिंग का अनुरोध कर पाएंगे।
एनपीसीआई के एमडी व सीईओ दिलीप अस्बे ने पिछले हफ्ते बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था, हमने दो बैंक एचडीएफसी बैंक व आईसीआईसीआई बैंक को जोड़ा है, जिनके ग्राहक इस सुविधा का इस्तेमाल कर पाएंगे। अन्य 10-15 बैंक इस सुविधा से जुड़ने की प्रक्रिया में हैं और हमें उम्मीद है कि यह मार्च तक हो जाएगा।