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विदेशी मुद्रा के डेरीवेटिव सौदों में घाटा उठाने वाली कंपनियों को कुछ राहत

Last Updated- December 06, 2022 | 9:43 PM IST

अपने फॉरेन डेरिवेटिव्स सौदों में मार्क टू मार्केट घाटा उठाने वाली कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और ट्रेजरी हेड अब राहत की सांस ले सकेंगे।


क्योंकि स्विस फ्रैंक केमूल्य में 17 मार्च 2008 को अमेरिकी डॉलर की तुलना में 0.9636 की अधिकतम ऊंचाई देखने के बाद 8.76 फीसदी की कमी आई है।इस क्रास-करेंसी स्वैप में प्रवेश करते समय कंपनियों ने स्विस फ्रैंक को करेंसी केरुप में चुना था।


ऐसा माना जाता था कि स्विस फ्रैंक जापानी मुद्रा येन से ज्यादा स्थिर है क्योंकि स्विस फ्रैंक ने अमेरिकी डॉलर की तुलना में 1.10 केस्तर से ज्यादा कभी नही टूटा था।मुद्रा में इस सकारात्मक बदलाव की वजह से अपनी कंपनियों के डेरिवेटिव्स सौदें में 25 फीसदी का नुकसान पर चर्चा करने जा रहे कारपोरेट ने सम्मिलित रुप से अपने नुकसान को 32 फीसदी तक कम कर लिया है जिसमें से प्रत्येक ने अनुमानित 17 फीसदी से 25 फीसदी तक हानि को कम किया है।


मझोले श्रेणी केकारपोरेट को सलाह देने वाले दिल्ली केएक फॉरेक्स विशेषज्ञ का कहना है कि अपने डेरिवेटिव्स पर एमटीएम हानि झेलने वाली कंपनियां राहत महसूस कर सकेंगी। जिन कंपनियों ने अपने स्थित को खुला रखा और सौदों को बंद करने में नहीं हिचकिचाई,उनकी हालत संभल जाएगी।


एक कारपोरेट ट्रेजरी का कहना है कि जापानी येन और स्विस फ्रैंक कैरी करेंसी है जिसमें निवेशक उधार लेकर इक्विटी मार्केट में निवेश करते हैं। जब ये इक्विटीज बेहतर प्रदर्शन करती है तो इन दोनों मुद्राओं में अवमूल्यन होता है।पिछले साल एक अमेरिकी डॉलर पर 1.22 स्विस फैंक केस्तर पर ज्यादातर करेंसी स्वैप का निष्पादन हुआ था।सबप्राइम संकट और इक्विटी बाजार में गिरावट की वजह से 17 मार्च को स्विस फ्रैंक अमेरिकी डॉलर की तुलना 0.97 की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गया था।


विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ एक महीने पहले स्विस फ्रैंक का अमेरिकी डॉलर की तुलना में मूल्य कारपोरेट के लिये परेशान करने वाला रहा था। एक फॉरेक्स विशेषज्ञ का कहना है कि कंपनियां अभी खतरे से बाहर नहीं है। कंपनियां तब एक डॉलर पर 25 सेंट की हानि उठा रही थी जो अब 17 सेंट तक  होगा।कंपनियों ने ब्याज को घटाने या फॉरेन रिस्क से बचने के लिये क्रास करेंसी सौदे किये थे।


कई मामलों में इन कंपनियों ने पिछले साल फॉरेन डेरिवेटिव्स से अपनी आय बरकरार रखकर  अच्छा पैसा बनाया था। क्रेडिट बाजार में संकट और डॉलर की तुलना में स्विस फ्रैंक मजबूत होने से कंपनियों की हालत पतली हो गई क्योंकि बैंकों ने इन कंपनियों से उनके एमटीएम हानियों को कवर करने के लिये और सिक्योरिटी मांगी।


आधा दर्जन से अधिक कंपनियों ने इस मामले में न्यायालय का रुख किया क्योंकि उनका मानना था कि इन बैंकों फॉरेन डेरिवेटिव्स में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए कंपनियों को बेचा जिससे इन कंपनियों को भारी एमटीएम नुकसान हुआ।


विनियामकों के कंपनियों को इन डेरिवेटिव्स से हुए नुकसान को जारी करने के दिशा-निर्देश के बाद कई कंपनियों ने इन डेरिवेटिव्स से होने वाले नुकसान का खुलासा कर दिया।
यहां तक कि जापानी येन में भी 17 मार्च से अब तक 9.5 फीसदी तक का अवमूल्यन हुआ है जबकि इसने डॉलर की तुलना में 95.73 के कम स्तर को भी प्राप्त किया। इससे उन कंपनियों को फायदा होगा जिन्होनें येन में ली गई उधारी से बचने के लिये फॉरेन डेरिवेटिव्स में हेज किया था।

First Published - May 6, 2008 | 10:54 PM IST

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