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मारुति: ए स्टार से चमक जाएंगे सितारे

Last Updated- December 08, 2022 | 4:41 AM IST

कार निर्माण के मामले में देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने पिछले साल की तुलना में इस साल अगस्त के महीने में कम कारों का उत्पादन किया है।


इसके अलावा अक्टूबर में भी इस कंपनी का वॉल्यून फ्लैट रहा है। ऐसी हालत में ‘ए स्टार’ को बाजार में उतारने से कंपनी प्रबंधन यह बात साबित कर सकता है कि उत्पादन पिछले साल से कम नहीं रहेगा।

ए स्टार के साथ ही कंपनी के सितारे भी सुधर सकते हैं। कंपनी के कमजोर उत्पादन की स्थिति में बदलाव इसी बात पर निर्भर करेगा की उसका ए स्टॉर अच्छा प्रदर्शन करे। वर्तमान सूरत-ए-हाल यह है कि उसका उत्पादन अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक सिर्फ 2.5 फीसदी ही बढ़ा है।

कंपनी ने घरेलू बाजार के लिए प्रतिमाह 5,000 और विदेशी बाजार के लिए प्रतिमाह इससे दोगुना उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य कंपनी के पूरे परिदृश्य में बदलाव लाने के लिहाज से काफी कम है। अगर यह कार मार्च 2009 तक 20,000 का लक्ष्य पाता है तो मारुति का उत्पादन 2007-08 के 764,000 के स्तर को पार कर जाएगा।

दूसरी ओर अगर इस मॉडल को ग्राहक नहीं मिले तो यह कंपनी के एक बड़ा आघात होगा क्योंकि इसके जरिये मारुति अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी हुंडई की आई 10 से सीधे टक्कर ले रही है। ए स्टार की ताकत और माइलेज काफी हद तक आई 10 के बराबर हैं।


आई 10 को बाजार पहले ही हाथोंहाथ ले चुका है। इस समय इसकी बिक्री 9 से 10 हजार इकाई प्रतिमाह है। किसी भी नए कार मॉडल के लिए इसे चुनौती देना टेढ़ी खीर ही साबित होगी।

हालांकि मारुति के स्विफ्ट और डिजायर मॉडलों की बिक्री खूब हो रही है। लेकिन ऑल्टो और वैगन आर का प्रदर्शन हाल में अच्छा नहीं रहा है।

अप्रैल-अक्टूबर 2008 में इस सेगमेंट के मॉडलों का वॉल्यूम 2.4 फीसदी ही बढ़ा है। यह दर 2007 में 36 फीसदी रही थी। बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि ए-स्टार को ग्राहक मिल सकते हैं। यह वैगन आर या स्विफ्ट के लोअर वर्जन मॉडलों के बाजार को कुछ हद तक खा लेगा। अगर ऐसा होता है तो इसका कुछ असर कंपनी के उत्पादन लक्ष्य पर भी पड़ेगा।

ए-स्टॉर के विदेश में अच्छा कारोबार करने के आसार हैं। यह मारुति के निर्यात लेवल को बढ़ा सकता है जो अप्रैल से अक्टूबर के बीच 21 फीसदी की दर से बढ़ा। यह देखते हुए की कंपनी ने इस साल कीमतों में कुछ वृध्दि की थी उसकी शुध्द बिक्री के वित्तीय वर्ष 2009 में 12 फीसदी के करीब बढ़ने के आसार हैं लेकिन इसके साथ लागत बढ़ने की वजह से कंपनी का परिचालन मुनाफा गिरेगा, इसलिए कंपनी के शुद्ध मुनाफे में इजाफे की गुंजाइश नहीं है।

आरकॉम: जीएसएम जाल

जनवरी 2008 के बाद से पिछले बुधवार को इस साल में तीसरी बार रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर 200 रुपये से नीचे बंद हुआ है।

इस दौरान इसका शेयर 73 फीसदी नीचे आया है जबकि सेंसेक्स इस दौरान 57 फीसदी ही गिरा। इस लिहाज से इसका प्रदर्शन सेंसेक्स से भी कमजोर रहा। आरकॉम को 19,068 करोड़ रुपये के साथ इस साल के अंत तक 14 सर्किलों में अपने जीएसएम नेटवर्क के रोलआउट करने की उम्मीद है।

बाजार को आशंका है इससे कंपनी का खर्च और बढ़ जाएगा क्योंकि कंपनी एक साथ दो नेटवर्क संचालित कर रहा होगा। वह पहले सिर्फ सीडीएमए ऑपरेटर ही था जिसके सितंबर 2008 तक 5.6 करोड़ ग्राहक थे।

सितंबर 2008 की तिमाही के कंपनी के नतीजों में ऊंची ऑपरेटिंग लागत का असर साफ देखा गया जहां कंपनी के वायरलेस सेगमेंट का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन गिरा है। इस गिरावट का कारण कंपनी का एक सीडीएमए ऑपरेटर होना है।

हालांकि पिछली दो तीन तिमाहियों से आरकॉम के ऑपरेटिंग मैट्रिक्स अधिक उत्साहवर्धक नहीं रहे हैं। उनमें कमी इस क्षेत्र में प्रति ग्राहक औसतन राजस्व (एआरपीयू) के लगातार कम होते जाने के चलते हुई है। सितंबर तिमाही में आरकॉम का एआरपीयू 271 रुपये रहा जबकि इसी दौरान भारती का एआरपीयू 331 रुपये रहा।

आरकॉम की एकाउंटिंग को लेकर भी कुछ चिंताए जताई जा रहीं हैं। एक अग्रणी ब्रोकर हाउस की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2008 के शुध्द मुनाफे में काफी जुगत लगाई गई थी। इसमें इंट्रेस्ट इनकम और व्यय के लिए आक्रमक एकाउंटिंग पॉलिसी अपनाई गई थी।

इसमें करों के मद में काफी कम प्रोविजनिंग की गई थी।  इतना ही नहीं 96 करोड़ रुपये की आय टाटा कम्युनिकेशन के साथ फ्लैग को लेकर चल रहे विवाद के निपटारे से आई थी। विश्लेषकों को कंपनी की उधारियां अधिक होने को लेकर भी चिंता है।

एक अनुमान के अनुसार मार्च 2009 के लिए नेट डेट और ऑपरेटिंग प्रॉफिट का अनुपात 1.8 गुना है। उनके अनुसार यह कंपनी इस क्षेत्र में सबसे अधिक उधार लेने वाली कंपनी है।

First Published - November 20, 2008 | 9:42 PM IST

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