लगभग सभी म्युचुअल फंड कंपनियां फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) लॉन्च कर चुकी है। क्या यह देखना उचित होगा कि इनके तहत किस गुणवत्ता वाले उपकरणों में निवेश किया जाता है?
इसके अतिरिक्त कृपया यह भी बताएं कि निवेश करने से पहले ऋण-जोखिमों के बारे में निर्णय कैसे लिया जाता है। -दिनेश गोयल
किसी भी फंड में निवेश करने से पहले उसके पोर्टफोलियो के बारे में जानना हमेशा ही बेहतर माना जाता है। लेकिन एफएमपी के मामले में यह संभव नहीं है। या तो ये नियतकालिक या फिर इंटरवल फंड होते हैं, एक निश्चित समयावधि के बाद इनका रॉल ओवर किया जाता है। आप पोर्टफोलियो को देख कर आकलन नहीं कर सकते हैं क्योंकि एफएमपी के तहत निवेश तभी किया जाता है जब आप आना निवेश कर डालते हैं। अभी तक उच्च कर वर्ग में आने वाले निवेशकों को एफएमपी से अपेक्षाकृत अधिक प्रतिफल मिलता रहा है।
हालांकि, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, कम तरलता वाली परिस्थिति और रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों की बिगड़ती स्थिति के नजरिये से देखें तो कुछ फंडों के एफएमपी पोर्टफोलियो को डीफॉल्ट का दिन भी देखना पड़ सकता है। इन परिस्थितियों के कारण फंड सांकेतिक लाभ से कम लाभ, शून्य प्रतिफल या फिर पूंजीगत घाटा भी दे सकते हैं।
आदर्श तौर पर एफएमपी उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों में निवेश करते हैं जिनकी रेटिंग कम से कम किसी एक क्रेडिट एजेंसी द्वारा की गई होती है। बिना रेटिंग के उपकरणों में निवेश करने के मामले में परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के निदेशक मंडल या ट्रस्टी की पूर्व-अनुमति प्राप्त करना जरूरी होता है। लेकिन लाभ बढ़ाने के लिए एफएमपी उच्च ऋण जोखिम उठा सकती हैं जिस वजह से डीफॉल्ट का जोखिम बढ़ जाता है।
इन जोखिमों से बचने के लिए निवेशक दो उपाय कर सकते हैं- पहला, वैसे एफएमपी से दूर ही रहें जिनका सांकेतिक लाभ अधिक है। दूसरा वैसे फंड परिवार के एफएमपी से अलग रहें जिन्होंने अपने वर्तमान एफएमपी के तहत कम रेटिंग वाले उपकरणों में निवेश किया हुआ है।
बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड हाल ही में इक्विटी लिंक्ड एफएमपी लेकर आई है। कृपया मुझे ऐसे एफएमपी के बारे में अधिक जानकारी दें साथ ही यह भी बताएं कि ऐसी योजनाओं में निवेश करने में क्या जोखिम है। -रंजन कर्नाड़
आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल के बाद बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड वह दूसरा फंड हाउस है जो इक्विटी लिंक्ड एफएमपी लेकर आया है। यह एक ऋण फंड है जो प्राथमिक तौर पर कंपनियों, बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किए गए बॉन्ड्स में निवेश करता है। साधारणतया ये जीरो कूपन बॉन्ड होते हैं जिनके प्रतिफल अंतर्निहित परिसंपत्तियों जैसे विभिन्न शेयर या सूचकांक पर आधारित होते हैं।
कूपन रेट निश्चित नहीं होता है लेकिन प्रतिभागिता का अनुपात निश्चित होता है। प्रतिफल इसी अनुपात के आधार पर दिया जाता है। प्रतिभागिता अनुपात निवेशकों को मिलने वाला अंतर्निहित परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी का निश्चित अनुपात होता है। इसका मतलब हुआ कि अगर अंतर्निहित परिसंपत्ति पूर्व-निर्धारित स्तर तक या उससे ऊपर पहुंचता है तो निवेशकों को एक निश्चित रिटर्न मिलेगा।
बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड दो इक्विटी लिंक्ड एफएमपी योजनाएं लॉन्च कर रही है, सिरीज-ए (एविएटर प्लान) जिसकी परिपक्वता अवधि 36 महीने की है और दूसरा सिरीज-बी (ग्लैडिएटर प्लान) जिसकी परिपक्वता अवधि 21 महीने की है। एविएटर और ग्लैडिएटर योजनाओं का प्रतिभागिता अनुपात क्रमश: 140-145 प्रतिशत का है और निफ्टी प्रतिफल के मामले में यह क्रमश: 97-100 प्रतिशत है। इन दोनों के नॉकआउट स्तर क्रमश: 190 से 200 प्रतिशत और 140 से 145 प्रतिशत हैं।
इस फंडों के नफा-नुकसान: ऐसी योजनाएं जोखिम नहीं उठाने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है। खास तौर से वैसे निवेशकों के लिए जो बाजार की बढ़त के दिनों में लाभ कमाने की इच्छा रखते हैं लेकिन गिरावट के समय में हानि नहीं उठाना चाहते हैं। मतलब यह है कि अगर अंतर्निहित परिसंपत्तियों में बढ़त नहीं होती है तो निवेशकों को कम से कम उनकी शुरुआती पूंजी जरूर मिलेगी। इस प्रकार जोखिम केवल एक ही है पूंजी में बढ़ोतरी नहीं होगी।
दूसरी तरफ, पारंपरिक एफएमपी योजनाओं से अलग ये एफएमपी प्रवेश और निकासी प्रभार लेते हैं। एविएटर और ग्लैडिएटर योजनाओं के तहत प्रवेश और निकासी प्रभार क्रमश: 2.25 प्रतिशत और 1.50 प्रतिशत है। अगर एक साल से पहले कोई निवेशक इन योजनाओं से बाहर होता है तो उसे 2 प्रतिशत का निकासी प्रभार देना होगा और निवेश करने के एक साल बाद और परिपक्वता की तारीख से पहले इनसे बाहर होता है तो निकासी प्रभार एक प्रतिशत के हिसाब से देना होगा। आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी की इक्विटी लिंक्ड एफएमपी योजना में कोई प्रवेश प्रभार नहीं है लेकिन परिपक्वता से पहले योजना से बाहर होने के मामले में औसत से अधिक 5 प्रतिशत का निकासी प्रभार लगाया जाता है।
मैंने 366 दिनों के एक एफएमपी योजना में निवेश किया हुआ है। इस निवेश पर किस हिसाब से कर लगाया जाएगा? मुझे किसी ने यह जानकारी दी है कि म्युचुअल फंडों से प्राप्त होने वाली आय पर व्यक्तिगत तौर पर कर नहीं लगाया जाता है। यही कारण है कि मैंने बैंकों की सावधि जमाओं में निवेश करने के बजाए एफएमपी योजना में निवेश किया है। मैंने ग्रोथ विकल्प का चयन किया है। – अमित शाह
आप गलत समझ रहे हैं। म्युचुअल फंडों से प्राप्त होने वाले सभी प्रकार की आय पर कर लगाया जाता है। केवल इक्विटी ओरियेंटेड फंडों से प्राप्त होने वाले दीर्घावधि के पूंजीगत अभिलाभों पर कर नहीं लगाया जाता है। एफएमपी और ऋण फंड, दोनों से प्राप्त होने वाली आय पर कर लगाया जाता है यद्यपि दोनों पर लगाए जाने वाले कर की दर अलग-अलग होती है। एफएमपी से प्राप्त होने वाले पूंजीगत अभिलाभ पर आपको कर देना होता है।
क्योंकि आपने 366 दिनों की एफएमपी योजना में निवेश किया है इसलिए दीर्घावधि के पूंजीगत अभिलाभ पर लगने वाला कर, 10 प्रतिशत बिना इंडेक्सेशन के और इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत जो भी कम हो, देना होगा। इंडेक्सेशन से मिलने वाला लाभ सावधि जमाओं की तुलना में एफएमपी को आकर्षक बनाता है। आपने ग्रोथ विकल्प का चयन किया है इसलिए आप पर लाभांश वितरण कर नहीं लगाया जाएगा।