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Stock Market: शेयर बाजारों में तीन हफ्ते की सबसे बड़ी गिरावट

Stock Market: चुनाव, ब्याज दरों में कटौती को लेकर चिंता ने निवेशकों को परेशान किया है

Last Updated- May 29, 2024 | 9:37 PM IST
Editorial: Some unnatural aspects of the decline in the stock market शेयर बाजार में आई गिरावट के कुछ अस्वाभाविक पहलू

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी बिकवाली और चुनाव नतीजों व अमेरिका में ब्याज दरों के परिदृश्य को लेकर चिंता के बीच भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट आई। सेंसेक्स 668 अंक टूटकर 74,503 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी-50 इंडेक्स 183 अंकों की गिरावट के साथ 22,705 पर टिका। दोनों ही सूचकांकों में यह 9 मई के बाद सबसे बड़ी गिरावट है।

उतारचढ़ाव का पैमाना इंडिया वीआईएक्स मामूली बदलाव के बाद 24.2 पर बंद हुआ जो दो साल का सर्वोच्च स्तर है। एफपीआई बुधवार को 5,842 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे लेकिन देसी निवेशकों ने 5,234 करोड़ रुपये की खरीदारी की।

4 जून को आने वाले चुनाव नतीजों को लेकर चिंता के बीच भारतीय शेयर बाजार में घबराहट है। चुनाव के दौरान कम मतदान ने मतदाताओं की सुस्ती और सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत के मार्जिन पर इसके असर को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

निवेशक इस बात से चिंतित हैं कि सहज बहुमत से कम मिलने पर नीतिगत सुधार अटकेंगे जिसे बाजार चुनाव की अवधि में तेजी के दौरान मानकर चल रहा था। विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक मुनाफावसूली कर रहे हैं और चुनाव नतीजों से पहले कुछ रकम अपने पास रख रहे हैं।

भारतीय इक्विटी बाजारों में पिछले साल सत्ताधारी राजग को विधानसभा चुनाव में बड़ा बहुमत मिलने की उम्मीद के बीच तेजी आई थी। अमेरिका बाजार में ब्याज दरें उच्च स्तर पर बने रहने की चिंता से भी निवेशक परेशान हैं। 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का यील्ड 4.6 फीसदी पर कारोबार कर रहा था। शुक्रवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई का तरजीही स्तर, निजी उपभोग खर्च सूचकांक जारी करेगा जिसके बारे में अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि अप्रैल में यह सालाना 2.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकता है। मार्च में भी इतना ही बढ़ा था।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि कमजोर वैश्विक संकेतों ने निवेशकों को अमेरिकी उपभोग के आंकड़ों से पहले मुनाफावसूली के लिए प्रोत्साहित किया। यह महंगाई मापने का पैमाना है जिसके बढ़ने की संभावना है। दुनियाभर में बढ़ती महंगाई (जैसे जापान और ऑस्ट्रेलिया में ताजा रुझान दिखते हैं) अमेरिका में दरों में जल्द कटौती की उम्मीदें धूमिल कर रही है। विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक कमजोरी देखी गई है और वित्तीय व आईटी शेयरों का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है।

चेयरमैन जेरोम पॉवेल समेत फेड के अधिकारियों ने जोर देते हुए कहा है कि बेंचमार्क ब्याज दरों में कटौती से पहले महंगाई के लक्षित 2 फीसदी के स्तर पर आने को लेकर और सबूत की दरकार है। इस बीच, फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ मिनेपोलिस के अध्यक्ष नील कशकरी ने मंगलवार को कहा था कि अमेरिकी मौद्रिक नीति निर्माताओं ने दरों में बढ़ोतरी की संभावनाएं पूरी तरह से खारिज नहीं की हैं।

ब्रेंट क्रूड की कीमतें चढ़ीं और पश्चिम एशिया में फिर से उभरते तनाव के बीच कच्चा तेल 84.2 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। अमेरिकी खर्च के आंकड़ों के अलावा निवेशक मौद्रिक नीति अधिकारियों के बयानों और सप्ताहांत पर भारत में एग्जिट पोल के आंकड़ों पर निगाह जमाए हुए हैं।

रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्र ने कहा कि हालिया गिरावट निवेशकों के बीच सतर्कता का संकेत देती है। हमारा अनुमान है कि निफ्टी 22,550 के स्तर पर समर्थन खोज रहा है जो 20 दिन का ईएमए है। मई के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी नजदीक आ रही है, ऐसे में ज्यादा उतारचढ़ाव की संभावना है। हम आक्रामक लॉन्ग पोजीशन सीमित रखने और हेजिंग वाला तरीका अपनाने की सलाह दे रहे हैं।

First Published - May 29, 2024 | 9:37 PM IST

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