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टाटा मोटर्स-खराब सड़क

Last Updated- December 07, 2022 | 2:06 PM IST

वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में बेहतर सुधार होने की वजह से कंपनी को बिक्री के वॉल्यूम को बढ़ाने में मद्द मिली। 


जून की तिमाही में कंपनी की बिक्री 14.4 फीसदी बढ़कर 6,928 करोड़ रुपए पहुंच गई। हालांकि लागत की बढ़ती कीमतों की वजह से ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 1.3 फीसदी की गिरावट आई और यह 7.7 फीसदी के स्तर पर आ गया।

इसी तरह कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट भी गिरकर 531 करोड़ पर पहुंच गया,जबकि वाणिज्यिक वाहनों के लिए माहौल के चुनौतीपूर्ण रहने की संभावना है,28,531 करोड़ की टाटा मोटर्स जून की तिमाही की शुरुआत में अपने वाहनों की कीमत में सुधार किया था।

इससे कंपनी को लागत की बढ़ती कीमतों से काफी हद तक निपटने में मद्द मिली। इसके अतिरिक्त हल्के वाणिज्यिक वाहनों के ब्रिस्क कारोबार में भी 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। इससे कंपनी को अपनी टॉपलाइन कारोबार को बढ़ाने में मदद मिली। कंपनी के प्रबंधन को विश्वास है कि मौजूदा समय में सीवी की मांग पूरी नहीं हो पा रही है और भविष्य में लांचिंग से कंपनी इस सेगमेंट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती है।

इसके अतिरिक्त कंपनी को यह अनुमान है कि ऊंची ब्याज दरों की वजह से भारी वाहनो की बिक्री पर असर पड़ सकता है। इससे फ्लीट ऑपरेटर की कॉस्ट संचालित होती है। कंपनी के पैसेंजर कार की बिक्री जून की तिमाही में बेहतर नहीं रही। यद्यपि इस साल इंडिका, इंडिगो और नैनो के नए मॉडल आने वाले हैं। नए मॉडलों की कमी की वजह से टाटा मोटर्स को बाजार हिस्सेदारी में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इस दौरान हुंडई और मारुति कई नए मॉडल लेकर आई हैं।

ऑटो पार्ट सब्सडियरी टेको में 26 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से कंपनी को कुछ पूंजी हासिल हो सकती है,इसके अलावा कंपनी की योजना राइट एवं ओवरसीज इश्यू के जरिए 10,100 करोड़ रुपए और जुटाने की है, जिससे कंपनी की हिस्सेदारी में 42 से 45 फीसदी तक की कमी आ सकती है। टाटा मोटर्स का राजस्व इस वित्त्तीय वर्ष के अंत तक  32,800 करोड़ रहने की संभावना है, जबकि कंपनी का शुध्द लाभ 1600 करोड़ रुपए रह सकता है।

दूसरे शब्दों में इस साल कंपनी का शुध्द लाभ पिछले साल के 1,635 करोड़ के लाभ की तुलना में सपाट रहने की संभावना है। मौजूदा बाजार मूल्य 416 रुपए पर कंपनी के शेयर का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 11 गुना के डिस्काउंट पर हो रहा है और यह सस्ता है। लेकिन पूंजी जुटाने में चल रही अनिश्चितता के चलते कंपनी को भविष्य में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

जी़-मुश्किल है जी

जी एंटरटेनमेंट के जून तिमाही के सब्सक्रिप्शन राजस्व में महज चार फीसदी की बढ़ोतरी की वजह से कंपनी का भविष्य मुश्किल में नजर आ रहा है। हालांकि इस टेलीविजन सब्सक्राइबर के एडवरटाजिंग रेवेन्यू में सालाना आधार पर 37 फीसदी का सुधार देखा गया। इससे कंपनी को अपने राजस्व में 38 फीसदी की बढ़ोतरी पाने में मदद मिली।

कंपनी ने इस वित्त्तीय वर्ष की तिमाही में कुल 542 करोड़ का राजस्व अर्जित किया। कंपनी को प्राप्त विज्ञापन में खेल क्षेत्रा की हिस्सेदारी 78 फीसदी रही। हालांकि बेहतर टॉपलाइन बढ़त होने के बावजूद ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में चार फीसदी की गिरावट देखी गई और यह 26.6 फीसदी के स्तर पर आ गया। कंपनी को इस वजह से 40 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा।

आईपीएल क्रिकेट मैचों के प्रसारण का जी टीवी की दर्शक संख्या पर असर पड़ा और कंपनी की ग्रास रेटिंग प्वाइंट 273 से घटकर 271 पर आ गई। जनरल एंटरटेनमेंट स्पेस में एनडीटीवी इमेजिन और आईएनएक्स जैसे नए चैनलों के आ जाने से कंपनी को कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है। एक दूसरे एंटरटेनमेंट चैनल कलर्स की लांचिंग से भी कंपनी जी की रेटिंग पर असर पड़ सकता है।

स्टार प्लस अभी भी नंबर वन पायदान पर बना हुआ है। मनोरंजन क्षेत्र में कंपीटीशन और बढ़ने की संभावना है और जी के पास इतनी पूंजी नहीं है कि प्रोडक्सन और लोगों की बढ़ती कीमतों को झेल सके। एडवरटाइजिंग रेट में भी धीरे धीरे गिरावट आई है।

जी का कुल राजस्व वित्त्तीय वर्ष 2009 के अंत तक 2,300 करोड़ के करीब रहने की संभावना है। इसके अलावा कंपनी वित्त्तीय वर्ष 2009 के अंत तक 450 करोड़ का शुध्द लाभ कमा सकती है। कंपनी ने पहले बाय बैक का फैसला किया था लेकिन कंपनी ने बाद में इसे टाल दिया। इसका निवेशकों पर विपरीत असर पड़ सकता है। मौजूदा बाजार मूल्य 205 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 19 गुना के स्तर पर हो रहा है।

First Published - July 31, 2008 | 9:54 PM IST

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